दिल्ली के चिड़ियाघर से मैं और मम्मा एक मगरमच्छ खरीद लाये.. बड़ा सा.. मुझसे भी बड़ा.. और अब प्रेक्टिस हो रही है उसे काबू में रखने कि...
पहले मुंह चेक कर लेते है .. कहीं दांत तो तेज नहीं है... |
पहले पीठ पर सवार हो लो.. |
कर मुंह बंद कर.. |
दम लगा के... |
आ गया काबू में... |
खोल मुंह... |
है दम तो काट के दिखा.. |
हा हा नहीं काट पाया... अब चल मुगफली खा... |
आ गया मगरमच्छ मेरी काबू में....
:-) bada maza aaya ladai dekh ke…. hume to pehle hi pata tha ki aap hi jeetoge :-)
ReplyDeleteअरे उसे मूंगफली मत खिलाना वर्ना उसमें भी तुम्हारे जितनी ताकत आ जायेगी उसके बाद वो तुम्हारे काबू में कैसे आएगा :)
ReplyDeleteमगरमच्छ की ये मज़ाल की पंगा ले सके...
ReplyDeleteमगरमच्छ को तो काबू में आना ही था... बहुत ही मज़ेदार रही ये लड़ाई...
ReplyDeleteमगरमच्छ तो बहुत प्यारा है!
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
ReplyDeleteमेरा शौक
मेरे पोस्ट में आपका इंतजार है,
आज रिश्ता सब का पैसे से
अरे वाह।
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति...
ReplyDeleteVery cute :)
ReplyDeleteजरा संभल कर :D
ReplyDeleteसुंदर चित्रों के साथ मगरमच्छ को पकड़ने का सुंदर अंदाज .....
ReplyDeleteमेरी नई पोस्ट की चंद लाइनें पेश है....
जहर इन्हीं का बोया है, प्रेम-भाव परिपाटी में
घोल दिया बारूद इन्होने, हँसते गाते माटी में,
मस्ती में बौराये नेता, चमचे लगे दलाली में
रख छूरी जनता के,अफसर मस्ती के लाली में,
पूरी रचना पढ़ने के लिए काव्यान्जलि मे click करे
बढि़या, चित्रकथा जैसी।
ReplyDeleteमगर बिना अगर-मगर किए काबू में आ गया।
bahut sundar prastuti.
ReplyDeleteSo good to see your bravery. Nice crocodile.
ReplyDeleteमगरमच्छ को तो काबू में आना ही था आखिर उसे Brave boy आदित्य जो ट्रेन कर रहा था....
ReplyDeleteनववर्ष 2013 की हार्दिक शुभकामनाएँ... आशा है नया वर्ष न्याय वर्ष नव युग के रूप में जाना जायेगा।
ReplyDeleteब्लॉग: गुलाबी कोंपलें - जाते रहना...
koi update nahi......
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