Thursday, November 11, 2010

बाबा आओ काऊ को घास खिलाते है...

काऊ (गाय) को रोटी और घास खिलाना जोधपुर में मेरा पसंदीदा काम है.... सुबह अगर कोई काऊ  का नाम ले ले तो एक दम उठ कर तैयार हो जाता हूँ.. काऊ को रोटी खिलाने... स्कुल जाते हुए रास्ते में काऊ को घास खिलाना भी बहुत जरुरी है...






है न आदि गुड बॉय....

Wednesday, November 10, 2010

किस्सा ऑरेंज साइकिल का...

वैसे तो दो साइकिल है... और एक घोड़ा भी.. पर आदि और ऋषभ दोनों को ऑरेंज साइकिल ही चाहिए... और इस साइकिल पर दोनों भाई अपना हक जमाते रहे....

भय्या ये साइकिल मुझे दे दो..

आदि तू हट जा "ये साइकिल मैं तुझे नहीं देती"

ये साइकिल मुझे चाहिए...

साइकिल चाहिए.."ये ले.."

चपक से काम नहीं बना तो भाई साहब में रामबाण तरीका अपनाया....

और विजयी रहे...

(ऋषभ आदि का चचेरा भाई है और करीब ६ माह बड़ा है..   दोनों भाइयों ने दीपावली पर खूब मस्ती की.. और अब दोनों फोन पर बतियाते है)

Tuesday, November 9, 2010

रंगोली...

दीपावली के दिन नेहा चाची ने बहुत सुन्दर रंगोली बनाई...


 रंगोली की सुरक्षा के लिए पुरे इंतजाम भी किये गए.. 
मैंने भी सुरक्षा व्यवस्था का पूरा सम्मान किया.. और रंगोली को दीपावली के दिन रहने दिया... लेकिन अगले दिन सुबह सुरक्षा में ढील हुई.. और मैंने भी रंगोली बनाने की कोशिश की...


पुरे मन से सारी रंगोली बना दी...
आपकी मेरी रंगोली पसंद आई...

Monday, November 8, 2010

पटाखे...

दीपावली पर खूब पटाखे जलाए.. बिलकुल नहीं डरा.. (मम्मु और बाबा डर रहे थे, मेरी निडरता देखकर)

फुलझड़ी, अनार के बाद राकेट पर भी हाथ आजमाया...

मम्मु आप जाओ... मैं लगाऊंगा...

पहले ऐसे पकडो..

और फिर ऐसे बोतल में लगाओ...

कुछ देर तो लगाने का काम किया.. फिर मेरा मन भी ललचा गया... ज्यादा मजा तो उसे जलाने में है.. 

बाबा आप मुझे दे दो.. मैं जलाऊंगा...

ज्यादा बहादुरी ठीक नहीं... 
\

वो राकेट चला.....

आपने पटाखे जलाए...

Sunday, November 7, 2010

आदि एट बेस्ट...

उस दिन बहुत अच्छे मुड में था... 




कौनसी फोटो सबसे प्यारी है!

Saturday, November 6, 2010

स्टाइल में...

जुल्फों के जाने से पहले.. कुछ यादें कैमरे में कैद कर ली...




कैसा लगा मेरा ये लुक!!

Friday, November 5, 2010

मुंडन चित्रों में...


पहले थोड़ा न नुकर...  मामा मुझे नहीं पहनाओ...

माला भी नहीं पहननी...



कुछ पलों में सब ओके..  टीका लगा दो...


धागा (मोली) भी बाँध दो...

माला लाओ..


और मुंडन भी.. लेकिन मुझे motivate करने के लिए सब गीत गा रहे थे... ताली बजा रहे थे...

और खुशी खुशी आगे के बाल गायब...

और फिर पीछे के भी...

मुंडन ओवर...

(पता है जिस कैमरे से फोटो खींची थी.. उसका कार्ड खराब हो गया और सारे फोटो गायब.. बस ये बचे थे.... फिर कल रात चमत्कार हुआ... और सारे फोटो रिकवर हो गए... :) 



Thursday, November 4, 2010

मुंडन की पहली तस्वीरें...

मेरे बाल कहाँ चले गए?


हैप्पी बर्थडे मम्मु!!

जल्द मिलते है और तस्वीरों के साथ.... 

आप सभी को दीपावली की शुभकामनाएँ...... 

Wednesday, November 3, 2010

मेहंदी मुंडन से पहले की...

आज मुंडन है और कल रात घर में मेहंदी लगाई जा रही थी.. हाथों पर चित्रकारी होते देख मैंने भी अपने हाथ आगे कर दिए.. आखिर मुंडन तो मेरा होना है...

शुरुआत मम्मु ने की.. 


और फिर आवंला चाची ने.. 

आवंला चाची इसलिए की वो मुझे आवंला खिलाती है...


हथेली पर जब मेहंदी लग गई तो मैंने फरमाइश कर दी.. अंगुली पर भी लगा दो...

ये देखो!! है न सुन्दर..

एक हाथ जब हो गया.. तो मैंने तुरंत ही दूसरा हाथ भी आगे कर दिया... और इस बार फरमाइश थी "काऊ" बनाने की.. "काऊ" वाली मेहंदी?  पर चाची कोशिश कर रही है.. काऊ बनाने की...

हो गई मेरी मेहंदी....
ये देखो.. मेरे दोनों हाथ.. 

पूरी तैयारी हो चुकी है मुंडन की!! बस कुछ देर और...
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