Sunday, November 30, 2008

मेरा डाईट प्लान

थोडे़ दिनों में मैं सात माह का हो जाऊँगा.. और पिछले दो-ढाई महीने से मेरा ऊपरी आहार भी शुरु हो चुका है.. और रोज तरह तरह की चीजे खाने/चखने  को मिल रही है... मेरी इन दिनों का डाईट प्लान

सुबह करीब ८ बजे - दूध-बिस्किट.. या चाय बिस्किट..

सुबह १०-११ - सूजी की खीर, उपमा, हलवा, पटोलीया इत्यादि

दोपहर में २-३ बजे - फल सब्जी जैसे.. केला, सेव, चीकू, पपीता, उबली सब्जियां जैसे गाजर, पालक, मटर, आलू, शकरकन्द

शाम को ५-६ बजे - बिस्किट चाय दूध के साथ या सेरेलक

शाम को ८ बजे -  खिचड़ी, दाल, दलिया

और इसके साथ २-३ घण्टे से दूध तो पीता ही रहता हूँ...

वैसे तो मैं प्यार से खाना खा लेता हूँ, पर कभी कभी तो बहुत हमांगा (दादी हंगामा को ऐसे ही बोलती है) करता हूँ.. और पापा-मम्मी से पूरी मेहनत करवाता हूँ.

Saturday, November 29, 2008

मूछें हो तो नत्थुलाल जैसी..

टोपी मे लगे ऊन के धागे निकाल-निकाल कर मुँह में डालते देख मम्मी ने मेरी टोपी हटा ली और ऊन के धागों से मूछें बना दी.. पहले तो एसे ही लगाई.. तो बात नहीं जमी.. लेकिन मम्मी भी न... टेप से चिपका दी..




है न बिल्कुल नत्थुलाल जैसी मूछें?

Wednesday, November 26, 2008

मेरे संग हँस लो!

पापा के साथ मस्ती के पल.. पापा भी खुब गुदगुदी कर हँसाते हैं.. और मैं भी बहुत enjoy करता हूँ.



पापा अभी बाहर गये है.. लेकिन ये पल बहुत miss करता हूँ.. पापा भी तो मुझे miss करतें होगें न?

Tuesday, November 25, 2008

खिलौनो की टोकरी

रंग बिरंगे खिलौनों की टोकरी पास हो तो बहुत busy हो जाता हूँ... उनको देखना, परखना चखना कितना काम होता है... आप भी देखिये इस वीडियो में.. और जाकिर साहब का तबला सुनिये background में..



है आपके पास अपनी खिलौनों की टोकरी?

Monday, November 24, 2008

गोल गोल थाली, गोल गोल रोटी वीडियो में

आपने देखा था मैं रोटी के साथ खेल रहा था, उसे खाने की कोशीश कर रहा था.. पापा ने कुछ लिखा होगा.. पर पता नहीं आपको पूरी बात बताई या नहीं.. एसा करते हैं उसी खेल का वीडियो देख लेते है... ये ज्यादा मजेदार है..



कैसा लगा?

(background music - विक्कु विनायक का दक्षिण भारतीय संगीत)

Saturday, November 22, 2008

गोल गोल थाली, गोल गोल रोटी

गुरुवार की शाम मम्मी खाना खाने के बाद थाली पास में रख मुझसे और पापा से बात कर रही थी.. मेरी समझ मे नहीं आ रहा था आखिर ये थाली और रोटी है क्या...फिर क्या था.. चकमा देकर निकल लिया पता लगाने.. आप भी साथ हो लो मेरे इस मिशन में....






इतनी मेहनत से ये रोटी हाथ लगी है....

Friday, November 21, 2008

तेरे नाम अनेक तू एक ही है!


वैसे तो मेरा ’कागजी’ नाम ’आदित्य रंजन’ है.. और प्यार से मुझे ज्यादातर लोग ’आदि’ ही कहते है..और आपको मेरे नाम की कहानी भी पता है, लेकिन मेरे प्यार के कई नाम और भी है.. कुछ तो पुराने हो गये लेकिन कुछ अभी भी प्रचलन में है.. आप मेरे दोस्त हो न! इसलिये आपको सारे नाम बता देता हूँ..

जन्म के समय मेरा नाक बिल्कुल लाल था.. तो पापा मुझे ’पोपट’ कहते थे.. पापा के साथ-साथ अंशु और अक्षु चाचा भी पोपट बोलने लगे.. लेकिन दादा को ये कतई पसंद नहीं आया.. और पोपट तो अस्पताल से घर आते-आते ही उड गया.. पापा पोपट कहते थे पर दादी के लिये तो मैं लड्डु से कम नहीं था.. तो दादी मुझे ’लाडु’ कहती थी.

प्रीती दीदी से तो मिले है न? जब नानी के घर से दादी के घर आया.. तो दीदी मेरे साथ खेलने आती थी और मुझे ’क्युट-क्युट बेबी’ पुकारती थी.. प्रीती दीदी तो अब भी मुझे ’क्युट-क्युट’ बेबी ही कह कर बुलाती है..

पापा ’सिहं इज किंग’ फिल्म का गाना गाते गाते कब मुझे "आदु सिंह" कहने लग गये है, उनको भी पता नहीं.. पर मुझे खेलता देखते है और मुझे "आदु सिंह" ही कहते है..पापा मुझे आदु सिंह कहते हें तो नाना 'आद राम'.

आपके प्यार से दो नाम और मिले.. उडन तश्तरी अंकल ने दिये.. एक तो ’बबुआ’ और दुसरा ’पलटुराम’.. अब मैं पलटी भी मारता हूँ न इसलिये..

ऋषभ भैया और मेरी बनावट में अनुरंजन चाचा को अंतर नजर आया.. उनको मैं बहुत सोफ्ट लगता हूँ... तो दिपावली पर इस बार मिले तो मेरा नाम ’सोफ्टी ब्वॉय’ रख दिया.. अब तो दादा भी फोन पर ’सोफ्टी ब्वॉय’ के हाल पुछते हैं..

मम्मी के लिये तो मैं क्या क्या हूँ.. इसकी गिनती तो वो भी नहीं कर पायेगी..कभी ’सोना बेटा’ तो कभी मुन्नु, कभी गुट्टु तो कभी प्यारु और कुछ नहीं तो छुटंकु ओर भी जाने क्या क्या ...

चाहे कुछ भी नाम हो हुँ तो मैं प्यारा-प्यारा ’आदि’ ही न?



नोट:- ये ब्लोग लिखते लिखते ’उड़न तश्तरी’ अंकल का फो़न आ गया.... अब तो जल्दी ही उनसे मिलने वाला हूँ मैं..

Monday, November 17, 2008

निशाना चूक ना जाये..

मेरे खिलौने वाला स्टेण्ड पास ही रखा था.. उस पर सुन्दर सुन्दर string में रंगीन फोन मुझे बहुत बुला रहा था.. अब हाथ तो नहीं पहूँच पा रहा था, तो... अरे.. मैं क्यों बताने लग गया वीडियो है आप ही देख लो...



देखा मेरा निशाना?

Sunday, November 16, 2008

पिछले दिनों..

9 नवंबर को पोलियो रविवार था.. मुझे पोलियो दवा पीने अस्पताल जाना था. लेकिन मैं दवा पीने नहीं गया.. ऐसा नहीं है कि मुझे इसके बारे में नहीं पता था.. पता तो था पर मुझे एक दुसरे जरुरी काम के लिये जाना था.. चाची से मिलने.. नई चाची..  रविवार को पिंकु चाचा का 'रोका' था चाची भी दिल्ली आई थी, अब चाची से मिलना तो जरुरी था न? ये वो ही चाची है जो एक बार मेरे लिये बंदर लाई थी और मैने आपको बताया नहीं था की बंदर कहाँ से मिला, अब 'रोका’ हो गया तो बता सकता हूँ.. चाची बहुत बिजी थी तो ज्यादा बात नहीं की लेकिन थोड़ी देर गोद में जरुर खेला.
चाची जल्दी आना मुझे आपके साथ खेलना है!
प्रिया चाची

पोलीयो की बात करते करते चाची की बात करने लग गया.. रविवार को दवा नहीं पी सोचा बाद में कोई घर आकर पिला देगा..लेकिन पूरे सप्ताह कोई नहीं आया तो कल पापा नजदीक के health center गये और डॉ से बात की, उन्होने भी फोन कर पता लगाया की आदि की सोसाईटी में दवा पिलाने क्यों नहीं गये.. बताया शायद आपके चौकीदार ने नहीं आने दिया होगा.. खैर उन्होने मेरा पता पुछा और कहा जल्द ही किसी को भेजेगें.. पापा चौकीदार को भी हिदायत दी की कोई दवा पिलाने आये तो रोके नहीं.. ये सब कर पापा घर लौटे ही थे कि दरवाजे की घंटी बजी, पता चला आदि को दवा पिलाने आये है.. ये तो चमत्कार हो गया.. मैने तुरंत दवा पी ली आखिर ये तो "दो बुंद जिन्दगी की" है, और मेरी अंगुली पर चुनाव से पहले ही निशान लग गया..

लाल गोले में पोलियो दवा का निशान

एक उदास करने वाली बात, जोधपुर से पुखराज भैया आये थे, मम्मी का हाथ बटानें और मेरे साथ खेलने.. हम दिन भर बहुत खेलते थे और खुब मस्ती करते थे.. मैं उनके साथ बहुत खुश रहता था, लेकिन वो कल रात वापस चले गये.. लेकिन जल्द ही वापस आयेगें मेरे साथ खेलने.. bye-bye भैया!!

Friday, November 14, 2008

पलटुराम की पलटन

मैनें आपको बता दिया कि मैं पलटने लगा और आपने मान भी लिया.. आप बहुत अच्छे है.. सुनी - कही बात आसानी से मान लेते है.. धन्यवाद..

लेकिन आज मैं आपको अपनी ’पलटन’ दिखा ही देता हूँ.. लगभग दो मिनिट का ये विडिओ देखिये और मेरी पलटन का मजा लिजिये...


Thursday, November 13, 2008

बच्चा पार्टी

जोधपुर की कुछ बातें आपको बतानी रह गई थी.. जोधपुर में जहाँ भी जाता सभी मुझसे मिलने और बात करने को आतुर रहते थे.. खासकर छोटे.. (आपसे छोटे,मुझसे तो बडे़).. तो बाल दिवस पर ऐसी ही बच्चा पार्टी के साथ कुछ पल...

दिपावली के अगले दिन.. चार्मी भुआ ये यहाँ सभी गये.. ये देखिये सबसे घिरा हुआ..


सभी से अलग अलग नहीं मिल सकता था न? तो मैं बीच में लेट गया और सभी मेरे चारों और.. गुडी़या भुआ, बंटी भुआ, डीपंल भुआ, चार्मी भुआ, अक्षु चाचा,करिश्मा भुआ,अनुरंजन चाचा ओर ऋषभ भैया
१ नवम्बर को पापा के सभी दोस्त लहरिया रिसोर्ट में मिले.. ये देखो सलोनी दीदी के साथ.
सलोनी दीदी
नानी के घर तो बहुत धमाल मचा, बीकानेर से आये इन भाई बहनों के साथ..
नक्षत्र, गुडी़या और कनु दीदी


दादा के यहाँ प्रिती दीदी हमेशा मेरे पास रहती थी.. और मेरे साथ खुब खेलती थी..

और ये है प्रिती दीदी

Tuesday, November 11, 2008

धडाम...

सावधानी हटी, दुर्घटना घटी! जानते समझते हुए भी आदि की सुरक्षा व्यवस्था में चूक हुई और आदि सोफे से गिर गया..
रविवार सुबह.. बाहर जाने की जल्दी थी.. पिकुं के यहाँ काफी मेहमान आने को थे.. मैं दुसरे कमरे में था.. और आदि अपनी मम्मी के साथ सुबह का ब्रेकफास्ट कर रहा था.. सोफे पर.. अचानक अंजु को लगा की आदि को प्यास लगी है.. तो वो आदि को सोफा पर लिटा कर पानी लेने चली, एक कदम ही चली कि पीछे से आवाज आई धड़ाम... आदि सोफा से पलट गया और नीचे गिर गया.. अंजु ने जल्दी से आदि को गोद में लिया.. पर आदि तो बहुत जोर से रो रहा था... शुक्र है.. आदि को चोट नहीं लगी.. और थोडी़ देर में दूध पीकर सो गया..
लेकिन ये हमें जगाने के लिये बहुत था.. आदि कि सुरक्षा व्यवस्था और कड़ी कर दी गई..हमने तय किया कि आदि को पलंग या सोफा पर अकेला नहीं छोडे़गे.. और खेलने के लिये आंगन पर ही लिटाएंगे..

Sorry aadi..

love you..
माँ, पापा

Friday, November 7, 2008

चारों और किटाणु रख दो..

पलटुराम के पलटने के लिये मैदान बनाने के लिये पापा मम्मी बात कर रहे थे.. एक कमरे को अच्छे से साफ कर आंगन में एक बडा़ सा गद्दा लगा दें.. दिवारों पर मेरे पोस्टर सजा दे.. और गद्दे के चारों और किटाणु रख दे.. अरे ये क्या.. किटाणु?... अरे!! मम्मी की जीभ फिसल गई.. मम्मी कहना चाह रही थी.. कमरे को अच्छे से पोछा लगा किटाणु मुक्त कर, गद्दे के चारों और खिलौने रख दे.. हाँ ये ठीक है.. फालतु टेशन हो गया किटाणु सुनकर..

आया मजा़ किटाणु की बात सुनकर ? चलो अब फोटो देखते है.

सर्दीयां आ गई और मेरी टोपी भी.. नानी लाई है

दोपहर की धूप में.. बैठने की practice और खिलौनो का अवलोकन
दोपहर की नींद में.. देखा मेरा सोने का style?

Wednesday, November 5, 2008

दादी के गीत

कल दिन भर कुछ अनमना सा रहा.. मम्मी भी समझ नहीं पा रही थी क्या हुआ.. ह्ल्का सा जुकाम तो था,पर मैं आराम से नहीं था.. पापा शाम को ऑफिस से आये तो भी हर रोज वाली बात नहीं थी..

पापा फिर मुझे घुमाने भी ले गये.. घर से बाहर आकर "पलटुराम" कुछ ठीक हुआ.. बाहर चहल पहल देख थोडा़ मन लगा रहा.. पर वो बात नहीं आई..

घूमकर जब घर पहुंचे तो फिर दादी से बात की.. पता नहीं मम्मी और दादी कि क्या बात हुई पर मम्मी उसके बाद रुई तेल में भीगा कर लाई, उसे मेरे चारों और घुमाया.. फिर उसे जलाया.. और कुछ देर बाद बोली "आदि की बहुत नज़र उतरी है"... अब पता नहीं ’नजर’ थी या कुछ और.. इतने दिनों बाद दिल्ली आया हूँ.. जोधपुर में कितने लोग थे.. जोधपुर की याद भी तो आ सकती है न?

पता है दादी मुझे और "राजस्थानी गीत" सुनाती थी.. इतने दिनों में मैने घुमर, बन्ना और न जाने कितने गीत दादी की गोद में दुबक कर सुने ... और बहुत खुश हुआ..
याद तो आती है. पर अब तो फोन पर ही बात कर लेता हूँ....
दो-तीन दिनों की इस उदासी के बाद आज मन कुछ ठीक हुआ है, और मेरी मस्ती अब धीरे धीरे फिर से परवान चढ़ रही है...

Monday, November 3, 2008

हैप्पी बर्थडे मम्मी..

9 दिनों की जोधपुर यात्रा के बाद आज सुबह दिल्ली आ गया.. स्टेशन पर सभी मुझे छोडने आये.. दादा, दादी, नीलकमल और अंशु चाचा.. पता है पहने दादी नहीं आने वाली थी... दादी की तबीयत कुछ ठिक नहीं थी.. तो पापा ने उन्हे घर पर ही रुकने के लिये कहा.. पर ये सुन दादी और उदास हो गई.. अब दादी को उदास तो नहीं देख सकते न?

ट्रेन का सफ़र अच्छा रहा... थोड़ी देर मुझे माहौल समझने में लगती है... तो पापा के कन्धे पर झुला... फिर तो अपने pram में मजे से सो गया.. और सुबह घर पहुँच कर ही उठा.. सुबह तो फुल मस्ती में था.. और होऊगां भी क्यों नहीं... इतने दिनों से घुम कर आया था.. और पलटूराम बन पलट कर मजे ले रहा था.. सीधे से उल्टा, फिर उल्टे से सीधा.. और इतनी मस्ती आयेगी ही...आज मेरी मम्मी का जन्म दिन है.. वैसे तो  हमने तो कल ही दादा, दादी और नानी के साथ मना लिया.. पर आज भी होगा न?

हैप्पी बर्थडे मम्मी..

Sunday, November 2, 2008

आज में छः माह का हो गया...

आज मेरा "मंथली" बर्थडे है.. आज मैं पुरे छः माह का हो गया.. कल सामान्य जाँच के लिये हम डॉक्टर के पास गये.. मेरा वजन अब 7.5 kg हो गया है.. ये देखो मेरे वजन का ग्राफ

हरी लाइन के पास-पास ही मेरा वजन बढ़ रहा है.. सामान्य रुप से..

जोधपुर आकर में अब उल्टा होना सीख गया हूँ.. और सोते समय बिस्तर में घूम जाता हूँ.. मम्मी ढुढती रहती है :)

19 सितंबर को मम्मी का हाथ देख कर घुमने की कोशिश
5 अक्टुबर को चण्डीगढ़ में मम्मी ने करवट से सुलाया तो में पलट गया

एक बात और अब मुझे मेरा नाम कुछ-कुछ समझ आने लगा है... आप "आदि" कहोगे तो आपकी तरफ देख लूगां.. और एक smile मिल जाये तो आपका ’लक’ है :)
जोधपुर की मस्ती आज खत्म होने वाली है, शाम को मण्डोर एक्सप्रे़स से फिर दिल्ली चला जाऊंगा... कुछ बाते और है.. जो दिल्ली जा कर बताऊगा.

Saturday, November 1, 2008

ये लो मेरा विजिटींग कार्ड

सबका विजिटींग कार्ड होता है.. बस मेरा ही नहीं था.. पापा के दिमाग में कुछ आइडिया आ रहे थे तो उन्होने एक dummy कार्ड बनाया... कार्ड में मेरे नाम के निचे लिखा था.. "मम्मी पापा का प्यारा बेटा".. दादी ने कार्ड देखा तो तपाक से कहा.. "क्यों मम्मी पापा का प्यारा बेटा... दादा - दादी का क्या ’खारा’ बेटा? लिख दादा-दादी का प्यारा बेटा".... फिर अनुरंजन चाचा ने सुझाया "सभी का प्यारा बेटा"...

पापा आप सभी को फोन नंबर देना चाहते है, पर वो इंटरनेट पर नहीं छापना चाहते... लेकिन चिन्ता कि क्या बात.. आपके पास मेरा मेल id तो है न? बस एक मेल करो.. आपको फोन नंबर वाला कार्ड तुरंत भेज दूँगा.
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