Tuesday, March 31, 2009

मेरा गिफ्ट

मम्मी अपना कार्यक्रम एक दिन प्रिपोन कर रविवार को सुबह ही वापस आ गई.. पता है मम्मी मेरे लिये क्या गिफ्ट लाई है.. ये छोटा सा स्विंमिंग पूल..  रंग बिरंगा पूल..और मेरे लिये तो खेलने का पुरा मैदान


इसमें लगे है दो सींग.. और इन्हे दबाने पर पीं-पीं की आवाज भी आती है.. 


इसमें एक गेट भी है, और उस पर लगे है प्यारे प्यारे सितारे..



मम्मी ये सोच कर लाई थी, की मैं इसमें खेलता रहुगाँ और वो अपना काम करती रहेगी... पर अब मैं इन दीवारों में नहीं रहने वाला..


रविवार को तो पूल का मजा बिना पानी के ही लेना पड़ा, मौसम बदल गया था न, बारिश भी हो रही थी.. जल्द ही  देखुंगा पानी भर के कैसा लगता है..

Sunday, March 29, 2009

ये अंगुर खट्टे नहीं हैं..

अंगुर न मिले तो खट्टे होते है, और मिल जाये तो कभी नहीं.. कुछ दिनों पहले (१९ मार्च को) मम्मी ने एक कटोरी में अंगुर दे दिये.. और मुझे कैसे लगे ये तो तस्विरों में ही देखिये..




खट्टे तो बिल्कुल नहीं थे न?

धन्यवाद
कल राज भाटीया अंकल मे भी कमेंट्स की सेंचुरी पुरी कर ली.. भाटिया अंकल अपना प्यार तो देते ही है साथ ही मम्मी-पापा के लिये टिप्स भी देते हैं... थेंक्यु अंकल..

Saturday, March 28, 2009

मेरी माँ, प्यारी माँ, मम्मा

मम्मी अभी बाहर गई है, अभी रविवार या सोमवार को आयेगी.... मैं दिन भर पहले की ही तरह खुश रहता हूँ, और खाना, पीना, खेलना, सोना सभी पहले की तरह ही है.. तो क्या मैं मम्मी को मिस नहीं कर रहा? करता हूँ, रात मैं करवट बदलते मेरी नजरें मम्मा को ही ढुढती है, सुबह आँख खुलते ही कमरे के दरवाजे पर देखता हूँ, शायद मम्मा हो... मम्मा नहीं होती पर मैं आराम से हूँ.. लेकिन सभी हैरान है.. और पापा को पुछते है "आदि रह रहा है न?".. हाँ भई.. आज और कुछ नहीं मम्मा के लिये एक प्यारा सा गीत लाया हूँ.. और साथ में तस्विरें मेरी और मम्मा की.. मेरे जन्म से लेकर अब तक की.. आंनद लिजिये..

Friday, March 27, 2009

लेट्स हैव पार्टी टुनाईट..

पापा के साथ पहला दिन..  शाम को भी पापा खुश थे और ये ब्लोग लिख रहे थे.. इसका मतलब है कि मैने केयर टेकर को परेशान नहीं किया.. रात तो आराम से सोया और सुबह भी तंग नहीं लिया... वक्त से आंटी के पास गया और शाम को पापा के साथ मस्ती भी...

खुब music बजाया और डांस भी किया... मम्मी नहीं तो क्या हुआ..  आप भी देखिये १ मिनिट का ये विडियो



इसी विडियो का असंपादित रुप देखने के लिये यहां क्लिक करें, ये लगभग ५ मिनिट का है...

(आदि के साथ अकेले रहने का ये अनुभव भी बहुत प्यारा है.. उसकी हर छोटी छोटी जरुरतों का ख्याल रखना और हर पल उससे बात करना... वैसे पहले तो मन में काफी शंका और डर था.. कैसे होगा.. आदि रोयेगा तो कैसे चुप होगा.. मम्मी की याद आयेगी तो... पर २४ घंटे गुजारने के बाद इस वक्त तो एंजोय कर रहा हूँ.. आदि बहुत अच्छे से रह रहा है... love you beta - रंजन)

Thursday, March 26, 2009

मेरे नये केयरटेकर..

वैसे तो मम्मी ही मेरा ध्यान रखती है, मेरे हर जरुरत का ख्याल रखती है तो वो ही मेरी केयरटेकर है.. और जब मम्मी ऑफिस जाती है तो मैं शशि आंटी के पास रहता हूँ तो दिन में आटीं मेरा ध्यान रखती है तो वो भी मेरी केयरटेकर हुई..

लेकिन आज से मुझे कुछ दिनों के लिये नया केयरटेकर मिला है.. मम्मी को ऑफिस के काम से कुछ दिन बाहर गई है और मैं साथ जा नहीं सकता..  नहीं जा तो सकता था पर होटल में मेरी देखभाल कैसे होगी.. घर तो घर है.. और मम्मी को काम भी तो होगा... साथ नहीं जाऊंगा तो रहुगां कहां? मेरे लिये एक नये केयर टेकर की तलाश शुरु हो गई.. और वो आसानी से मिल भी गया.. उनके साथ तो मैं थोडे़ थोडे़ समय के लिये रहता भी हूँ.. तो तय हो गया कि वो ही मेरे नये केयर टेकर होगें.. पर एक दिक्कत थी.. उनको अनुभव नहीं था...  पर अनुभव तो काम करने से ही होता है न? फिर क्या था नये केयर टेकर की  ट्रेनिंग शुरु हो गई.. दो-तीन दिन की ट्रेनिंग के बाद केयर टेकर को भी आत्मविश्वास आ गया..  पता चला मेरे नये केयरटेकर कौन है? ये देखो मुझे नहलाने की प्रेक्टिस कर रहे है.. दो दिन में सीख भी गये हैं..


जी हाँ, पापा ही मेरे नये केयर टेकर है.. और इसी प्रेक्टिस ने इन्हे व्यस्त कर रखा है और आप नई पोस्ट नहीं देख पा रहे हैं.. खैर ३-४ दिन पापा के साथ खुब मस्ती करने का प्लान है.. और अगर मैनें वक्त दिया तो आप को भी अपडेट मिलता रहेगा..

Saturday, March 21, 2009

हाथों पर थाली गुमाई है कभी?

देखा होगा ना आपने कभी कहीं हाथों पर थाली घुमाते हुए? कैसे संतुलन बना देते हैं, ये ऐसे ही नहीं होता अभ्यास करना पड़ता हैं.. देखो ऐसे..



मुस्करा रहे हो? है न!

Friday, March 20, 2009

छोटे छोटे कबुतर दो..

ज्ञान अंकल के पिल्लों से तो मिले हो न? जैसे उनके पास पिल्ले है वैसे ही मेरे पास कबुतर के बच्चे.. अंकल को बड़ी आसानी हुई कुकुर के बच्चों को पिल्ला कह दिया.. आप बताओ कबुतर के बच्चों को मैं क्या कहूँ? चलो अभी चुजा बोल देते हैं.. नाम में क्या रखा है?

हमारी बालकॉनी में कबुतरी ने दो अण्डे दिये थे.. और अब उनमें से दो प्यारे प्यारे चुजे निकले है, छोटे छोटे से.. मिलना चाहोगे?

वो देखो वो रहे, कोने में..


नहीं दिखे? ठहरों गोदी से उतर कर बताता हूँ.... वो रहे..


अब दिखे? क्या अच्छे से नहीं दिखे.. लो मैं हट जाता हूँ, मुझे तो आप रोज देखते हो...


ये है हमारे प्यारे प्यारे चुजे.. आये पसंद आपको?.

Thursday, March 19, 2009

आदि गुम गया....

देखो मम्मी के साथ कैसे कैसे खेल खेलता हूँ.. और मम्मी तो मुझे खीर भी नहीं खिलाती और गुमा देती है... कैसे? आप देखो




(Scheduled on March 16th)

Tuesday, March 17, 2009

शुभ दिन

पापा कुछ दिनों के लिये बाहर गये हैं.. कुछ पोस्ट लिख गये है, जो इस सप्ताह में प्रकाशित होगी, अगर वक्त और इंटरनेट मिला तो आपको जरुर कुछ और मजेदार बातें बतायेगें... अन्यथा फिर एक सप्ताह बाद मिलेगें..



आपका दिन शुभ हो...

scheduled on March 16, 2008

Saturday, March 14, 2009

फलों का शौकीन

फल मुझे बेहद पसंद है.. सेव, केला, पपीता, चीकू और मेरा फेवरेट संतरा.. संतरा तो इतना पसंद है कि आप कभी भी खिला दो.. मम्मी तो मुझे खाना खिलाने के लिये संतरे का सहारा लेती है.. थोडा़ सा संतरा और एक कौर रोटी का.. मम्मी का भी काम हो जाता है और मेरा भी..

फलों का ये ही शौक मुझे किचन तक ले गया..  फिर क्या हुआ? देखिये ये स्लाईड शो


Thursday, March 12, 2009

एक रंगीन पोस्ट

मेरी पहली होली...

कल होली थी, मेरी पहली होली.. एक रंगीन त्यौहार के लिये एक रंगीन पोस्ट.. थोड़ी बाते और ढेर सारा कलर..

सुबह ११ बजे नास्ता कर होली खेलने के लिये तैयार हो गया... और तब तक पापा ने गुलाल से थाली सजा दी.. पता है पापा के साथ जोधपुर से चार्मी भुआ भी आई थी मेरे साथ होली खेलने के लिये..


शुरुआत पापा ने मुझे गुलाल लगा कर की.. फिर सब एक दुसरे गुलाल लगा कर होली खेलने निकल पडे़.. लिफ्ट में एक और आदि मिल गया, उन्हे भी गुलाल लगा कर आंटी के घर चल दिये..


हैप्पी होली पापा

ये भी आदि है, 

वहां गये तो पता चला वो सब मेरा ही इंतजार कर रहे थे.. जम कर एक दुसरे तो गुलाल लगाया मिठाई खाई..


कोई पहचान नहीं आ रहा, ये सब कौन नये लोग है?

अरे ये विक्की भैया को देखो, वैसे तो मौका नहीं मिला लेकिन मैं गोद में था तो चुपके से भाभी के कैसे गुलाल लगा दिया..


आंटी के घर होली का धमाल मचा कर पहुवें पिंकु चाचा के घर.. चाचा घात लगाये हमारा ही इंतजार कर रहे थे.. जैसे ही दरवाजा खुला पानी की एक भरी बाल्टी हमारे ऊपर गिरी.. मैं सबसे आगे पापा की गोद में था तो इसके लपेटे में मैं भी आ गया.. अचानक हुऐ इस हमले से चौंक गया और थोड़ी देर बाद मामला समझ आया.. ऐसे खेलते है होली..
रंग और गुलाल में सने हम सब..

पहचान रहे हो? कैसा था घर से चला जब और कैसा हो गया..


गुलाल लगाया, मस्ती की पर होली की मिठाई भी खाने को मिली... और होली के दिन तो रंग वाली मिठाई खा सकते हैं न?
कैसी रही आपकी होली?

Tuesday, March 10, 2009

होली की शुभकामनाऐं

आप सभी को होली की ढेर सारी शुभकामनाऐं



कल पापा दिल्ली आ रहे है, मेरे साथ होली खेलने.. असली फोटो कल मिलेगी...

Monday, March 9, 2009

दिल्ली मेट्रो में आपका स्वागत है!!

4 March 2009

घर के पास ही मेट्रो स्टेशन है, एक नहीं दो-दो.. गलियारे और बालकानी में खडें हो तो "मेट्रो रानी" सर्राटे से भागती दिखती है.. पर मुझे मेट्रो में घूमाने अब तक कोई नहीं ले गया...:)

पुखराज भैया कि बहुत इच्छा थी मेट्रो में बैठने की, दिल्ली आये और मेट्रो में नहीं बैठे, क्या कहेगें गाँव में जाकर!! उनके गाँव जाने का समय करीब आ रहा था, पर पापा इन दिनों अक्सर टूर पर रहते है और वक्त ही नहीं निकाल पा रहे थे.... आखिर जब 4 मार्च को पापा कन्याकुमारी गये हुये थे तो हमें मेट्रो घूमाने का जिम्मा मम्मी ने उठाया.. मम्मी मुझे और पुखराज भैया को साईकल रिक्शा पर ले द्वारका सेक्टर १२ मेट्रो स्टेशन पर गई, मैं तो साइकल रिक्शा पर पहली बार ही सवारी कर रहा था, और ज्यादा जानता नहीं हूँ, आपको ज्यादा जानकारी ज्ञान अंकल यहां  दे रहे हैं..

साईकल रिक्शा की सवारी के बाद हम मेट्रो स्टेशन पहूँचे, मम्मी ने केवल पुखराज भैया का टिकट लिया, मैं तीन फीट से छोटा हूँ इसलिये फ्री..

मम्मी ट्रेन अब आयेगी?
कौन तेज होर्न बजाता है, मुकाबला मेट्रो से..

बहुत मुश्किल से जगह मिलती है बैठने को, खैर पैसे गिन लूँ, वापसी का टिकट तो दिलाना है न?


मेट्रो की पहली यात्रा द्वारका स्टेशन पर जाकर खत्म हुई....


-:खुशखबरी:-
स्कोर बोर्ड की गड़बडी से जरा देर से पता चला की समीर अंकल मेरे ब्लोग पर कमेंट्स का सैकड़ा लगा चुके है, शानदार १०७ कमेंट्स के साथ...

तालियां

और सीमा आंटी बस एक टिप्पणी दूर है शतक से.... 

दोनों को बहुत धन्यवाद!!!

THANK YOU SAMEER UNCLE!!!
THANK YOU SEEMA AUNTY!!!!!!

Sunday, March 8, 2009

मेरी पहुँच ऊपर तक है..

इतने महिने सोते हुऐ और बैठे हुऐ गुजार दिये... अब जाकर खडे़ होना सीखा है.. और जब खडे़ होना सीख लिया तो बैठना काहे को.. और अब तो मेरी पहुँच ऊपर तक हो गई है.. देखिये ये विडियो.. (अवधि - १.१२ मिनिट)


कितनी बढ़ गई है न मेरी पहुँच!!

बनोगे मेरे दोस्त? बस यहाँ क्लिक करें..

Saturday, March 7, 2009

मम्मी का ध्यान मैं रख लूंगा!!

पापा मम्मी और मुझे जोधपुर जाना था, होली मनाने और चाचा की शादी की तैयारियां करने.. जाने की सभी तैयारियां भी हो चुकी थी..टिकट भी बुक था.. और सामान भी तैयार था.. पर अचानक मम्मी के पास ऑफिस का कुछ जरुरी काम आ गया.. और पता चला वो नहीं जा पायेगी..:) चाचा की शादी में बहुत कम समय बचा है और पापा का जोधपुर जाना जरुरी था.. फिर तय हुआ मम्मी मेरे पास दिल्ली में रहेगी और पापा जोधपुर जायेगें... तो मेरी होली दिल्ली में ही मनेगी... वैसे मम्मी को टेंशन लेने की जरुरत नहीं, मैं हूँ न!



एक और बात आपको पता है न मेरे पासपोर्ट में नाम गलत छप गये थे? और उन्हे वापस भेजना पड़ा था.. आप सभी की शुभकामनाऐं और ब्लोग पर लिखने का असर देखें कल मेरा पासपोर्ट ठीक हो कर भी आ गया.. केवल १० दिन में... बस दो स्टाम्प लग गये गल्ती सुधारने के...:) हुर्रे!!!

Friday, March 6, 2009

आपने कब सिखा था स्विच ऑन करना?

आपको याद है आपके स्विच ऑन-ऑफ करना कब सीखा था? बहुत साल पहले न? अभी भी आता है स्विच ऑन करना या भूल गये? भूल गये तो कोई बात नहीं, मैने अभी नया नया सिखा है आपको भी सिखा देता हुँ..

ये है स्विच बोर्ड..

स्विच ऑन करने के लिये बटन को निचे से प्रेस करें..

इसके लिये अपनी तर्जनी का इस्तेमाल करें..


और उसी अंगुली से ऊपर की और प्रेस करने से स्विच ऑफ भी हो जाता है..
और अगर अंगुली से काम न बने तो फिर दोनों हाथों से कोशिस करें स्विच जरुर ऑन हो जायेगा..
सीख गये न? अगर नहीं सीखे तो कोई बात नहीं.. मुझसे मिलने आना सीखा दुंगा..
(स्विच बोर्ड आदि को कई दिनों से आकर्षित कर रहे थे... बोर्ड को छुने के लिये बेताब रहता था.. जब आदि को बोर्ड के पास ले जाते तो दोनों हाथों से बटन ऑन ऑफ करने की कोशिश करता था... पर कामयाब नही हो पाता... कल शाम सोफा पर मम्मी की गोद में बैठे वो फिर उछल कर स्विच बोर्ड पर छुने की कोशिश करने लगा... अंजु ने उसे ऊपर चढ़ने में मदद की और फिर बाकी किस्सा तो खुद ही बयान कर रहा है - रंजन)
  

Thursday, March 5, 2009

रिसेप्शन - मिलिए मेरे परिवार से

चाचा की शादी - ४ (अंतिम)

१२ और १३ के कार्यक्रम से ही मैं थक गया और बीमार हो गया..  सर्दी और दस्त भी.. १४ को शादी के दिन कुछ खास enjoy नहीं कर पाया.. घोडे पर भी नहीं बैठ पाया.. और रिसेप्शन में भी थोडा़ देर से पहुँचा..  थोड़ी देर में ही मैं मौहोल में जम गया और खुब फोटो खिचवाई..


आज आपको पूरे परिवार से मिलवाता हूँ


इनको तो आप जानते हैं? ये है मेरे पापा..

और ये है प्यारी मम्मी

और ये पापा मम्मी और मैं
और ये चाचा चाची.. अरे इनकी ही शादी थी..
और इसमें है दादा दादी (दायें खडे़ हुये), उनके पास बैठे है नीलकमल चाचा और सबसे बायें खडे़ है शिल्पी चाची और अनुरंजन चाचा.. और रेड ड्रेस मैं है ऋषभ भैया..


और ये है हमारा पूरा परिवार.. सबसे छोटा मैं.. ढूढों कहां हूँ मैं...

और ये है मेरी नानी
और ये है मनोज मामा

और ये है बच्चा पार्टी.. कार्तिक चाचा, चार्मी भुआ और चिंकी भुआ..

तो ये हुई पिंकू चाचा की शादी.. अब एक और खुशखबरी सुनाता हूँ... अप्रेल में नीलकमल चाचा की शादी है.. फिर से वो ही मस्ती वो ही धमाल होगा..
और ये है प्रिया चाची.. हाँ इनका नाम भी प्रिया है.. दो-दो प्रिया चाची हो गई अब...

जल्द ही आप सभी तो न्यौता भेजुगाँ,, आयेंगे न चाचा कि शादी में.. १७ अप्रेल को जोधपुर में?
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