Friday, October 31, 2008

चला आदि हीरो बनने

जोधपुर से,
वैसे तो मेरी फोटो रोज़ ही ली जाती है.. और आप भी रोज़ ही उन्हे देखते है..लेकिन professional photography का तो अलग ही मज़ा है.. सोमवार को पापा मुझे और ऋषभ भैया को लेकर संजय स्टूडियो गये.. और हमारी ढेर सारी फोटो खिचवाई..  अलग-अलग angle से.. अलग अलग तरीकों से कई फोटो ली.. आप भी देखिये अपने हीरो को..


ऋषभ भैया की और मेरी और फोटो यहां देखे... है न मजेदार फोटो..

Thursday, October 30, 2008

ऋषभ का खिलौना

ऋषभ भैया हालांकि मुझसे थोड़े ही (६ माह) बडे़ है.. पर उनके लिये तो मैं किसी खिलौने से कम नहीं.. भैया जब मस्ती के मुड़ में होते है तो मजे ही मजे.. वो प्यार से मुझे देखते है, स्माइल देते है और छुकर भी देखते है.. हाँ कभी - कभी ज्यादा तेज छुने की कोशिश करते है.. जैसे मैं कोई खिलौना हूँ....पर कोई न कोई तो पास होता ही है..
पुरा घर मेरी और भैया कि किलकारियों से गुँज गया है.. सभी दिन भर के लिये वयस्त है.. मेरे और "ऋषभ बाबु" के लिये..



आज तो मैं नानी के घर हूँ.. अरे वहाँ भी तो धमाल मचानी है..

Wednesday, October 29, 2008

दीपावली पूजन

जोधपुर से..

आप सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं.. और आभार आपके शुभकामना संदेशों के लिए..

दीपावली की शुभकामनाएं
कल तो लक्ष्मी पूजन था... शाम को मम्मी ने मुझे नये कपडे़ पहना कर तैयार कर दिया था.. ऋषभ भैया भी तैयार हो गये.. हाँ उनको तो अनुरंजन चाचा ने नींद में ही तैयार कर दिया.. उनके लिए दादा बहुत सुन्दर जोधपुरी सूट और जूती लाये थे..
दादी की गोद में आरती

लक्ष्मी पूजन पर दादा दादी ने पूजा का थाल तैयार किया और हमने लक्ष्मी पूजा की.. मैं भी आरती की किताब ध्यान से देख कर आरती में अपना योगदान दे रहा था..

घर से पूजा कर हम चाचा के शोरुम गये.. वहां भी तो पूजा करनी थी... ऋषभ भैया तो अभी तक सो ही रहे थे...चाचा के शोरुम में भी सो ही रहे थे... वहां भी पूजा हुई.... पर पूजा करते करते मैं तो थक गया.. और पापा की गोद में सो गया.. लेकिन ऋषभ भैया की नींद तब तक पूरी हो गई.. और पटाखों के मज़े तो उन्होंने ही लिये..
दादा की गोद में ऋषभ भैया

तो ऐसी रही मेरी पहली दिपावली..

दादा दादी और ऋषभ भैया के साथ मेरी मस्ती जोधपुर में चालू है.. जल्दी ही और बातें लेकर आता हूँ..

Tuesday, October 28, 2008

राशन कार्ड मे नाम आना क्या मुश्किल काम है?

दादा मेरे जन्म के कुछ समय बाद ही एक फार्म ले आये.. मेरा नाम राशन कार्ड में लिखवाने के लिए.. पूरा फार्म
भर कर रख दिया.. नाम को छोड़ कर..ताकि जैसे ही मेरा नाम तय हो और वह तुरन्त फार्म जमा करवा दे... फिर जैसे ही यह तय हुआ कि मैं "आदित्य रंजन" कहलाऊँगा .... और फिर मैं भी राशन कार्ड में दर्ज हो गया.. ज़रुरी दस्तावेज है.. पता नहीं कब काम आ जाये?
मेरा राशन कार्ड

बहुत आसान काम है.. आपका तो राशन कार्ड है न?

Monday, October 27, 2008

सबसे छोटा होने के कई फ़ायदे हैं !!

जोधपुर से
मैं परिवार में सबसे छोटा हूँ.. और सबसे छोटा होने के कई फ़ायदे हैं !! .. सभी का प्यार दुलार तो मिलता है साथ ही ख़ास मौक़ों पर ख़ास वरीयता.

अब कल की ही बात लो.. चाचा के नये शोरुम का उदघाटन था.. तो फीता काटने मुझे ही बुलाया गया.. वैसे यह काम तो मुझे और ऋषभ भैया को मिल कर करना था.. पर वह तो पहुंचे नहीं.. तो उनका काम भी मुझे ही करना पड़ा.. ऋषभ भैया don't worry मैं अच्छे से करुंगा.

सुबह-सुबह ही मैं तैयार होकर दादा-दादी मे साथ शोरुम पहुँच गया.. मम्मी तैयार नहीं थी तो उनको छोड़ कर आ गया.. आखिर मुझे उदघाटन करना था, मैं कैसे लेट हो सकता था.. पूजा-पाठ हुआ.. प्रसाद मिला और फिर मैंने दादा की गोद में सवार होकर फीता काट दिया..

कैंची है ज़रा ध्यान से

लो काट दिया फीता आपके शोरुम का..
इत्ती बड़ी कुर्सी चाचा की..

वहाँ बहुत सारे लोग मिले..और सभी खुश थे.... और प्रकाश चाचा ने मुझे थोडा़ सा गुलाब जामुन भी खिलाया....

Sunday, October 26, 2008

आपके कमेंट मैं भी देखता हूँ..

आप सभी का प्यार मुझे हमेशा मिलता है.. आप सोचते होगें हम इतनी मेहनत से आदि को कमेंट्स भेजते है पर आदि थोड़े ही देख पाता होगा.. ऐसी बात नहीं है... मैं मेरी पोस्ट और आपके कमेंटस खुब देखता हूँ 

आप सभी का आभार!!!

Saturday, October 25, 2008

मेरी सीट कहाँ है?


दिल्ली केंट रेल्वे स्टेशन परकल मैं पहली बार छुक-छुक गाड़ी में बैठा... दीपावली पर दादा-दादी के पास जा रहा था.. पर पापा को देखो उन्होंने मेरी टिकट ही नहीं बुक करवाई.. कहते है कि ट्रेन में बच्चों की टिकट नहीं होती. अब आप ही बताइये कि बिना टिकट भी कोई ट्रेन में जाता है भला? ख़ैर !मैं बिना टिकट ही स्टेशन की ओर चला.. स्टेशन तक आना कोई नई बात नहीं थी.. वहां तो एक बार पहने भी आ चुका हुँ, पर इस बार मैं छुक-छुक गाड़ी में बैठने वाला था.. स्टेशन पर मैंने बहुत मस्ती की.. जानने वाले से भी और अनजानो से भी.. अनजाने है तो क्या बात करुंगा तभी तो जान पाऊंगा ..

ट्रेन (२४६१ दिल्ली - जोधपुर - मण्डोर एक्सप्रेस) आई पूरी ३० मिनट लेट..हम सही जगह पर ही खड़े थे.. और जल्दी से ट्रेन में चढ़ गये.. अरे! इसमें तो डिब्बे नई डिज़ाइन वाले थे बिल्कुल नये... लेकिन ट्रेन खचाखच भरी हुई थी.... और मेरे लिए कोई सीट भी नहीं थी..भूख भी लग रही थी.. थो़डी़ देर तो देखा फिर तो मैं दूध मांगने लग गया.. दूध पीते-पीते ही मैं मम्मी की गोदी में सो गया...

आस पास में बैठे सभी को लग रहा था कि बच्चा है.. रात में सोने नहीं देगा.. disturb करेगा.. पर वह मुझे नहीं जानते थे...मैं तो disturb करता ही नहीं हूँ.. मैं तो ट्रेन के झूले खा के सो रहा था.. एक बार सोया तो फिर सुबह सात बजे ही उठा..

फिर तो मैं पूरे रंग में था.. सभी के साथ खूब खेला.. हँसा और चिल्लाया भी..

ट्रेन जोधपुर पहुँची 1 घंटा लेट.. दादा स्टेशन पर मेरा इन्तजार ही कर रहे थे.... दादा मुझे लेकर घर आ गये.. और मुझे पूरा घर दिखाया... और biscuit का breakfast भी किया..

अब तो आप जान ही चुकें है कि मैं जोधपुर आ गया हूँ.. और आपको यहीं से जोधपुर के बारे बताऊंगा..

"आप सभी को दीपावली की अग्रिम शुभकामनाएं"

Wednesday, October 22, 2008

मम्मी मे सुजी की खीर बनाई है..

माफ़ कीजिये बिना बताये चला गया था.. उस दिन ताक झांक के बाद हमने घर बदल दिया और अब हम नये घर में आ गये है.. शनिवार को ही हम पैकिग कर नये घर में आ गये... फिर तो में बहुत बिजी हो गया था..

काम करते करते बहुत थकान हो गई और रोज रोज केला खाकर कोई कितने दिन रहे.. बताईये.. कितने दिनों से केला ही खा रहा था... नये घर में कुछ तो नया चाहिये न?

और मुझे सोमवार को लंच में सुजी की खीर मिली.. मैं तो खीर खाने के लिए बहुत उतावला हो रहा था.. पापा ने हाथों से चम्मच छिन कर खीर खाने की कोशीश कर रहा था.. और अब मुझे दिन में दो बार खाना मिलता है...

आपको पता है अब में ६ माह का होने वाला हूँ, और मुझे धीरे धीरे कई नई चीज़े खाने को मिलेगी..पर आप चिन्ता नहीं करना.. आपसे मिल बांट के खाऊगा..

एसे बनती है सुजी की खीर
एक चम्मच देशी घी में सुजी अच्छे से सेक लें, सुजी के सिकने पर उसमें दुघ और शक्कर डालकर पका लें.. सुजी की खीर तैयार..

Thursday, October 16, 2008

देखता हूँ कौन आया है

मम्मी पापा सुबह की चाय पी रहे थे, मुझे गोद में लेकर... तो गली में देखने का काम तो मुझे ही करना था न.. एक क्षण के लिए उनका ध्यान हटा और मैं.. अरे अब मैं खुद क्या बतांऊ आप ही देख लो..

बहुत मज़ा आ रहा था पर पापा भी न.. तुरन्त हटा दिया.. चोट लगने का ख़तरा था भाई
(15 Oct 08)

Wednesday, October 15, 2008

मेरे हाथ की ताकत

कल आपने देखा मैं आपने पाँव से पूरी ताकत लगा कर खेल रहा था.... लेकिन ऐसी बात नहीं है कि मैं केवल अपने पाँव ही चला सकता हूँ. इस वीडियो में देखे मेरे हाथ की ताकत..


Tuesday, October 14, 2008

पाँव की ताकत

देर शाम में केला खाकर आदि बहुत उर्जावान हो और वो खेलने के लिये मचल रहा था.. ऐसे में उसका स्टेन्ड उसके पास रख दिया.. फिर उसकी गतिविधियाँ शुरु हो गई.. पहले तो पाँव से बहुत देर तक music बजाता रहा फिर उसे एक साइड में फैंक दिया.. और फिर अपना पाँव मुह में..

ये वीडिओ लगभग ६ मिनिट का है.. कोशीश कि इसे edit कर छोटा करने कि पर.. देखिए और आंनद लीजिये..

Monday, October 13, 2008

पापा की कहानी और आदि की good night..

रात को मुझे सुलाने के लिये कभी कभी पापा मुझे कहानी सुनाते है.. मै पापा की गोद में लेटा हुआ प्यार से कहानी सुनता हूँ.. और सुनते सुनते कब नींद आ जाती है पता ही नहीं चलता.. कल रात ऐसा ही हुआ.. पापा की कहानी चलती रही और मेरी नींद.. आप भी देखिये 
"एक जंगल में दो शेर रहते थे. उनके नाम था राम और श्याम.. दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे..हमेशा साथ-साथ रहते थे. साथ साथ शिकार करते, खाते, खेलते.. बहुत ताकतवर थे दोनों..पुरे जंगल में उनका राज चलता था.. सारे जानवर उनसे डरते थे. उसी जंगल में मोनु बंदर रहता था.. मोनु  बहुत शरारती था.. उसको शेरों की दोस्ती से बहुत ईर्ष्या होती थी.. एक दिन उसने तय किया कि वो शेरों की दोस्ती तोड़ के रहेगा..
जल्द ही उसे वो मौका भी मिल गया.. एक दिन राम और श्याम हिरण का शिकार कर के लाये.. शिकार को श्याम के पास छोड़ राम नदी में पानी पीने चला गया... मौका देख मोनु श्याम के पास आया और बोला श्याम जी आप बहुत ताकत वाले है.. आपको ही जंगल का असली राजा होना चाहीये.. देखिये शिकार तो आप करते है.. पर खाने का मजा राम ले लेता है..

श्याम मोनु की बातों में आ गया.. उसने कहा.. तुम सही कहते हो मोनु..मुझे ही जंगल का राजा होना चाहिये.. और उसने हिरण को खाना शुरु कर दिया.. अब मोनु बंदर भाग कर राम के पास गया और बोला.. राम जी.. आज तो आपको पानी से ही पेट भरना पडेगा.. आपका शिकार तो श्याम अकेला ही खा गया है.. कह रहा था मैं जंगल का असली राजा हूँ.. आलसी राम तो केवल मेरा मारा शिकार खाता है..
ये सुन राम को गुस्सा आ गया और तो तुरंत श्याम के पास गया, वहां उसने देखा श्याम हिरन खा रहा था.. ये देख राम, श्याम से लड़ पडा.. दोनों में खुब लडाई हुई और फिर दोनों एक दुसरे को कोसते हुई अलग-अलग रास्तों पर चल पडे़..

अलग होने के बाद दोनों की हालत खराब हो गई.. उनको शिकार मुश्किल से मिलने लगे.. और जंगल में उनका रुतबा भी कम हो गया.. अब जानवर उनसे पहले कि तरह नहीं डरते थे.. ये सब देख चिकुं खरगोश को उन पर दया आ गई.. उसने छानबीन की तो पता चला की ये सब शरारत मोनु की है.. वो राम से मिला और सारी बात बताई.. पहले तो राम को विश्‍वास नहीम हुआ पर चिकुं के जोर देने पर वो मान गया. और दोनों सच्चाई जानने के लिये मोनु बंदर के पास गये.. राम नजदीक झाड़ी में छुप गया और चिकुं मोनु से बातें करने लगा..
चिकुं ने मोनु से कहा तुम बहुत बहादुर हो.. तुमने कैसे एक ही पल में राम और श्याम की दोस्ती तुड़वा दी.. देखो दोनों की क्या हालत हो गई है.. सच में मोनु तुम्हारा जबाब नहीं. ऐसी बाते सुन मोनु भी घमण्ड में आ गया और बोला.. अरे ये कौनसी बड़ी बात है.. वो दोनों तो थे ही मुर्ख.. ये सुन राम झाडियों से निकल गया और उसमे मोनु को दबोच लिया.. 
राम उसे लेकर श्याम के पास गया और सारी बात बताई और कहा की ये शरारात इस मोनु की है.. श्याम ने कहा दोस्त मोनु ने सही कहा हम मुर्ख है जो इसकी बातो मे आकर आपस में लड़ पडे़.. दोनों एक दुसरे के गले मिले और उन्होने चिकुं को धन्यवाद दिया.. और मोनु को जंगल से भगा दिया.. 
इस कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है कि हमें दोस्तों पर भरोसा करना चाहिये और किसी की बातों में नहीं आना चाहिये.. अपनी अक्ल लगानी चाहिये.." 
पर ये आदि कंहा गया.. लगता है सो गया है. Good Night

Saturday, October 11, 2008

लुका छिपी खेले आ हम

कल मुझे सोफा पर लिटा मम्मी काम में लग गई। कूछ देर बाद आकर देखा तो आदित्य नहीं था. वहां नहीं था? कहां गया होगा? अभी तो यहीं था!
अरे मैं कहीं नहीं गया..मैं तो सोफा के बेक कवर में छुप गया है. मेरी और मम्मी के लुका छिपी के इस खेल की कुछ तस्वीरें..
मम्मी में छुप गया, मुझे ढुढों?
मैं यहां हूँ
कहाँ? नहीं पता चला न?
अरे ये तो रहा..
एक बार और छुप जाता हूँ.. मजा आ रहा है..मम्मी ढुढों
अरे ये रह मैं.. सोफा पर कवर के पीछे..

इस लुका छिपी के खेल के बाद एक और बात.. आपको पता है आज बिग बी का जन्म दिन है.. अरे अभिषेक के पापा की बात नहीं कर रहा.. मेरे बिग बी.. (बिग ब्रदर) का.. ऋषभ भैया का.. आज वो पुरे एक साल के हो गये... जन्म दिन की शुभकामनाएं भईया..
मेरे ऋषभ भैया

Thursday, October 9, 2008

पीहु दीदी की जन्मदिन पार्टी

27 सितम्बर को पीहु दीदी का जन्म दिन था. वो पुरे दो साल की हो गई. पीहु दीदी के पापा (बृजेश अंकल) ने एक प्यारी सी पार्टी रखी. मुझे भी बुलाया था ..मैं खुश था, मैं पहली बार जन्मदिन की पार्टी में जा रहा था भाई..


मैं और सिमर दीदी पार्टी वाले दिन मम्मी ने मुझे समय से पहले ही तैयार कर दिया... मिशा दीदी भी आई हुई थी, उनको भी साथ लिया.. मासी और नानी भी चले, और मम्मी भी.. हम सभी बृजेश अंकल के साथ ही पार्टी में गये.. सबसे पहले.. महमानों का स्वागत जो करना था.

वहां बहुत सारे गुब्बारे भी लगे हुये थे.. मेरा हाथ तो पहुँच नहीं सकता था तो मुझे एक गुब्बारा तोड़ कर दिया..सभी बच्चों को सुन्दर सुन्दर cap मिली.. मुझे भी मिली..


मोना मासी ने सभी बच्चो को बहुत सारे गेम्स खिलाये.. लेकिन मैं तो केवल दूर से देख सकता था.. बड़ा हो जाऊंगा फिर तो बहुत धमाल मचाऊंगां..

फिर तो दीदी ने केक काटा.. हम सबसे गाना गाया.. मैने भी गाया हुँ हुँ करके.. मम्मी ने मुझे भी थोड़ा सा क्रीम खिलाया..

लेकिन ये सब करते करते मैं थक गया और फिर थोडा़ सा रोया . लेकिन मम्मी की गोदी में दुध पीकर मैं फिर से तैयार हो गया..

तो एसी रही मेरी पहली जन्मदिन पार्टी.. हाँ अब मुझे अनुभव हो गया है बर्थ डे पार्टी में जाने का.. बाई द वे आपका जन्म दिन कब है? :)

आपको विजयदशमी की शुभकामनाएँ!!
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