पता है साबुन के बुलबुले कैसे बनाते है?
पहले हाथी को पानी पिलाओ.... हाँ ये ग्रीन ग्रीन हाथी है... ये ही मेरे लिए बुलबुले बनाता है....
फिर उसका ट्रिगर दबाओ....
और ये बने बुलबुले....
ये रहे इत्ते सारे....
मम्मु आपको भी चाहिए...
ये लो
आपको चाहिए क्या?
आईये जानें .... मन क्या है!
ReplyDeleteआचार्य जी
आदि बेटा काफी कुछ सीख गये हो, अब तो!
ReplyDeleteवाह तुम तो वाक़ई बहुत बड़े - बड़े बुलबुले बनाना सीख गए हो . बहुत बढ़िया. शाबाश.
ReplyDeleteलाओ लाओ, मुझे चाहिये....मम्मु को अब मत देना..अब समीर अंकल का नम्बर है.
ReplyDeleteblog jagat ka kya badhiya sadupyog hai....achchha hai...!!!
ReplyDeleteबुलबुले बनाना सीख गए ! बढ़िया !
ReplyDeleteबहुत खुब जी खुब बनाओ, ओर हमे बताने के लिये धन्यवाद
ReplyDeleteवाह आदित्य, मुझे भी चाहिए बुलबुले...
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कल 7 जून को 'पाखी कि दुनिया' में समीर अंकल जी की प्यारी सी कविता पढना ना भूलियेगा.
बहुत अच्छा लगता है ना यूँ बुलबुले बनाना....चित्र बहुत प्यारे हैं
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