गत शनिवार को हम एक पार्टी में गए.... वहाँ बहुत सारे बच्चे आये... सब मुझसे बड़े... हम सब खेल रहे थे...सब भाग रहे थे.. तेज तेज... मैं भी उनके पीछे भागा... पुरी ताकत से... पर ये क्या... मैं धड़ाम... गिर गया.... मुहँ के बल गिरा.... मम्मु बाबा उठाते तब तक तो मुहँ से खून बहने लगा.... मम्मु ने जल्दी से मुझे बर्फ खिलाई.. थोड़ी चीनी खाने को दी... पता चला उपरी होठ पर एक बड़ा जख्म हुआ है... थोड़ी देर मम्मी की गोद में चिपका रहा... फिर ठीक हो गया....
ये देखो... होठ पर चोट लगी है....
ये मुस्कान अगले दिन की है....
अब तो चोट बिलकुल ठीक हो गई है... और इस शनिवार को हम घूमने जा रहे है... बेंग चवाक (Bueng Chawak)और सामचुक मार्केट (Samchuk Market)... वहाँ पर क्या है....ये तो आने पर ही बता पाऊँगा....
ओह ! ख़ैर कोई बात नहीं ...
ReplyDeleteगिरते हैं शहसवार ही मैदाने जंग में,
वे क्या खाक गिरेंगे जो घुटनों के बल चलें.
जल्दी ठीक हो जाएगी ये चोट भी और फिर बच्चों को एसी छोटी-मोटी चोटें तो लगती ही रहती हैं :)
अरे आदि तो0 चोट मे भी मुस्कुरा रहा है? वाह मेरे शेर । वैसे बच्चे चोट खा कर ही बडे होते हैं और चोट से बहुत कुछ सीखते हैं जल्दी से ठीक हो जाओ आशीर्वाद्
ReplyDeleteअरे मेरे बच्चे को चोट लग गई...ओह्ह! खूब दुखा होगा न!! देख कर खेला करो बेटा...चलो, अच्छा है ठीक हो गये...अब आ कर घूम कर फोटो दिखाना खूब हँसते हुए..
ReplyDeleteअरे, कुछ नहीं, चींटी मर गयी । आदित्य तो स्ट्रांग है ।
ReplyDeleteओह ऎसी छोटी मोटी चोट तो लहती रहती है .कोई बात नही बहादुर
ReplyDeleteअरे आदि को चोट लग गयी...चलो ठीक तो हो गए न...बस काफी है...अच्छे से घूम के आओ और फिर हमें फोटू दिखाना :)
ReplyDeleteअरे ये हीरो तो शेर है ना........
ReplyDeletelove ya
ये तो गड़बड़ बात है ! जहां तुम गिरे उस 'जगह' की पिटाई पापा जी ने की थी ना ?
ReplyDeleteबचपन में ऐसी चोटें न लगे तो बचपन कहेगा ? बहादुर बच्चे इनकी परवाह नहीं करते !
ReplyDeleteये चोटें ही तो स्ट्रोंग बनाती है !
Thokar hi admi ko age bdne ki preda deti hai |Chahe vah bachapan ho chahe jvani ho ya prouda avstha |thokar se chot lagna to vagib hai par ye chote alag alag time par alag alag tarah se bharti hai|
ReplyDeleteAadi is cool as always.....new blog design is cool too.......
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