Wednesday, June 2, 2010

सियाम ओसियन वर्ल्ड - बड़ी बड़ी फिश

बैकोक आये और सियाम ओसियन वर्ल्ड (SIAM OCEAN WORLD) न देखा.. तो समझिए आपका सफर अधूरा है... और हम है की इतनी सुन्दर जगह देखने में दो महीने लगा दिए.....खैर देर आये दुरस्त आये....

ओसियन वर्ड में कई तरह के समुद्री मछलियों और अन्य प्रजातियों  को  बहुत खूबसूरत तरीके के रखा गया है.. हम पुरे साढ़े तीन घंटे तक घूमते रहे... वैसे अगर निनी न आये तो पुरे दिन भी वहाँ रहा जा सकता है...  और शार्क से लेकर पेंग्विन तक तो खेलते निहार सकते है... और बीच बीच में फीडिंग शो... वक्त का पता ही नहीं चलता....

निहारिए रंग बिरंगी मछलियों को....












सब जगह घूमने के बाद हमने देखा एक 4D सिनेमा... और सिनेमा देखते देखते मैं सो गया...

सियाम का टिकट महँगा (~30USD) जरुर है.. पर मेरे लिए तो एंट्री फ्री थी... ये है ९० सेमी से कम होने का फ़ायदा...



(SIAM बैकोक में हाल में हुए हंगामे का केन्द्र बिंदु था.. इसलिए वहाँ जाना मुनासीब नहीं था)

11 comments:

  1. सैर कराने का शुक्रिया आदित्य!

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  2. निन्नी भी जबरदस्ति आ जाती है मेरे बबुआ को ऐन टाईम पर...हम भी घूम लिए तुम्हारे साथ. मझ्झा आया, :)

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  3. अरे वाह हमने भी हीरो के साथ बैकोक की सैर कर ली.......मछलिया तो सच में सुन्दर है हीरो...
    love ya

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  4. 4D सिनेमा? भाई, ये क्या बला है?
    3D तक तो सुना था।

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  5. नीरज भाई,

    ३ डी सिनेमा में एक और डी physical effects का जोड़ दे तो ४ डी हो जाता है.. इस इफेक्ट को फ़िल्म के साथ जोड़ देते है... जैसे कोई जानवर परदे पर पानी फैक रहा है और वो पानी आप पर गिरे.. (वास्तव में), या बैठे हुए आपकी कुर्सी हिलने गले... बहुत मजेदार होता है.. लगता है जैसे आप अभी फ़िल्म के एक पात्र हो...

    आइये बैकोक घुम्मकड़ी करने.. दिखाते है आपको....

    रंजन

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  6. 90 सेंटीमीटर से कम होने के फायदे ...वाह !
    हमें भी मंझा आया :)

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  7. मजेदार रही यह यात्रा, हम भी घूम लिए...

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  8. आदि के माध्यम से हमें भी सुन्दर नज़ारों के
    दर्शन हो गये!

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  9. वाह आदि मजे हो रहे हैं

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  10. 4D सिनेमा? अरे हम ने भी देखा है यह सिनेमा बहुत रोचक... अब तो टी वी भी ३D वाले आ गये है, जिन पर फ़िल देख कर ऎसा लगता है जेसे हम भी उन के अंदर ही बेठे है... मजेदार बिलकुल 4D सिनेमा की तरह से, राम राम आदित्या

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  11. बढ़िया और आकर्षक होने के कारण
    चर्चा मंच पर इस पोस्ट की चर्चा
    निम्नांकित शीर्षक के अंतर्गत की गई है –
    इस दुनिया में सबसे न्यारे!
    --
    टर्र-टर्रकर मेढक गाएँ -
    पेड़ लगाकर भूल न जाना!

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कैसी लगी आपको आदि की बातें ? जरुर बतायें

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