गर्मी की छुट्टियाँ शुरू हो गई.. दादा दादी भी आये है.. पर गर्मी के चक्कर में घुमाना फिरना कम हो रहा है... फिर भी गर्मी को चकमा देकर एयर फोर्स म्यूजियम देखने पहुंचे.... इतने सारे प्लेन को पास से देखना बहुत प्यारा अनुभव था....
मजबूत तो है न? |
कितना बड़ा है.. दौड कर नापना पड़ेगा... |
बैठने की से जगह... है न मस्त... |
कैसे काम करता है ये... |
ये रेड रेड क्या है... |
इतने सारे... |
ये है बिलकुल मेरे खिलौने की तरह... |
दादा दादी और आदि... |
ये है म्यूजियम... |
ये क्या है... टायर वाला? |
मजा आया!!
ये एक शुरुआत है, घूमने के शौक की,
ReplyDeleteबहुत अच्छी जगह दिखाई, आदित्य!
ReplyDeleteअरे वाह ये तो दिल्ली का म्यूज़्यिम लग रहा है. हमारे बच्चे भी यहां खूब मज़े करते थे.
ReplyDeleteबहुत मज़ा आया :)
ReplyDeleteइतने सारे प्लेन, और ठीक करने के लिए एक नन्हां सा इंजीनियर। बहुत नाइंसाफी है ये। :)
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कौमार्य के प्रमाण पत्र की ज़रूरत किसे है?
ब्लॉग समीक्षा का 17वाँ एपीसोड।
इत्ते सारे प्लेन...समीर अंकल की उड़न तश्तरी कहाँ थी?
ReplyDeleteयह म्यूजियम तो बहुत प्यारा है...हम भी घूम लिए आदि के साथ.
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