लीची भी मुझे पसंद है... और इस मौसम में खूब मिल रही है.... और ये में खूद खा सकता हूँ...
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लीची मुहं में... और नजरें... टीवी पर... विनी द पूह... |
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पाँव की पट्टी.... चिंता न करना शौक से बाँधी है... बस जरा ही खरोच लगी थी... |
आपको भी लीची खानी है.. तो प्लेट में से ले सकते हो :)
हमने भी कल ही खाई है,
ReplyDeleteअब आप खाओ
यह भी कोई पूछने की बात है?
ReplyDeleteमुझे भी पसंद है तभी तो इसकी खुश्बू से भ्क़ागी आयी मेरे लिये भी बचा लेना। आशीर्वाद।
ReplyDeleteआदित्य तुम मेरे ब्लांग मे नही आये न..नही तो में तुम्हें अपने घर के पेड़ की लीची खिलाती….लीची ज्यादा नहीं खाना, पेट खराब होजायेगा….समझे ?...
ReplyDeleteWah ! Lekin dhyaan rakhna kabhi-kabhi ismein keedey bhi nikalte hain.
ReplyDeleteसच में..एक जमाना बीता लीची खाये...अबकी आयें तो खिलवाना बेटू!!
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