छोटी बॉल से तो मैं बहुत खेलता हूँ, और पापा से एक मैच भी गया.. आपने देखा भी तो होगा न.. और उडन तश्तरी अंकल ने तो मुझे मैच के बीच फुटबाल टेस्ट करते हुऐ भी पकडा था.. पता है मेरे पास एक बड़ी बॉल भी है... बहुत बड़ी.. पर उससे तो मुझे बहुत डर लगता था.. अगर उसे कोई मेरे पास भी लाता तो मैं रोने लग जाता था.. पापा ने मेरा डर भगाने की कोशिश भी की पर.. ना बाबा ना..
मैं बडा़ हो गया हूँ . और अब मैं उस बॉल से बिल्कुल नहीं डरता हूँ.. ये तो अच्छी तरह से मेरी पकड़ में आ जाती है और मैं इससे बडे़ मजे से खेल सकता हूँ. अब कोई डर नहीं..
मैं बडा़ हो गया हूँ . और अब मैं उस बॉल से बिल्कुल नहीं डरता हूँ.. ये तो अच्छी तरह से मेरी पकड़ में आ जाती है और मैं इससे बडे़ मजे से खेल सकता हूँ. अब कोई डर नहीं..
टोपी संभालु या बॉल?
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शाबाश ! ऐसे ही सभी डर छोडते जाओ !
ReplyDeleteपर भाई तुम्हारा ब्लॉग खुलने में बहुत समय लेता है . रहम करो गरीबों पर :)
धन्यवाद विवेक अंकल,
ReplyDeleteआपकी सलाह पर तुरंत काम किया है, काफी विजे़ट हटा दिये है.. अब शायद कम समय ले...
यदि अब भी ज्यादा समय ले रहा है तो जरुर बताना.. पापा से और मेहनत करवाऊगां
वाह..तुम तो बड़ा मस्त इंसान हो। अब तुम वाकई बड़े हो गए हो, निडर भी। जम के खेलो।
ReplyDeleteबहुत अच्छे..अंकल के रहते किसी से भी क्या डरना. जरा इसे भी टेस्ट करके तो बताना कि कैसी है? हा हा!!
ReplyDeleteन्यू ईयर के न्यू खिलौना दिलवाकर देने को कहो मम्मी पापा को वरना रो रो कर हालाकान कर देना.
यार छोटू इतने दिनों से आ नही पाया तुमसे मिलने.. अब तो तुम काफ़ी बहादुर हो गये हो.. इसी तरह से डर मिटाते रहो.. जब बड़े हो जाओगे और हमारे कमेंट्स देखोगे अपनी ब्लॉग पर.. तब हमे भूलना नही..
ReplyDeleteतुम्हारे पापा तुमसे बहुत प्यार करते है.. देखो तुम्हारे लिए कितना प्यारा ब्लॉग बनाया है.. याद रखना तुम्हारे पापा 'बेस्ट डैड' है..
हा एक शिकायत मुझे भी है.. ब्लॉग देर से खुलता है.. चिंता मत करो.. तुम्हारे लिए जल्दी से एक अच्छा ले आउट ढूंड के देता हू..
आदित्य,
ReplyDeleteडरो मत, क्योंकि डर के आगे जीत है.
भविष्य के फुटबाल स्टार का दर्शन कर धन्य हुआ!
ReplyDeleteवाह!
ReplyDeleteऐसे ही 'बाल क्रीड़ा' करते रहो. टोपी संभालना पहले सीखो. टोपी है तो बाल है. टोपी गई नहीं कि बालों में धूल-मेल जम जायेगी.
लगता है आजकल बहादुर हो गए हो ! बस ऐसे ही बहादुर और निडर बने रहो !
ReplyDeleteअबे पलटू, अकेले अकेले ही खेल रहे हो भाई, अरे यार सभी बच्चे डर जाते है , गुबारा फ़टने से भी तो डर लगता है ना, लेकिन एक दो बार ही फ़िर नही, चलो अब बाहदुर बन गये तुम तो.
ReplyDeleteप्यार
अब भी बांलाग खुलने मै बहुत देर लगती है जब की मेरा नेट तो बहुत तेज है,
हां तो भाई पल्टू दादा, खेलो मस्ती करो और मम्मी पापा को तंग करो पर तुम सर्दी से बच कर रहो. ठीक है?
ReplyDeleteऔर खेलने के लिये ताऊ को भी बुला लिया करो कभी
कभी.
bahut badia
ReplyDeleteअरे छोटे हो कहाँ तुम ?
ReplyDeleteठीक तो हो !
बेहद सुन्दर .
ReplyDeleteविवेक अंकल,
ReplyDeleteमैं बिल्कुल अच्छा हूँ, चाचा की शादी के लिये जोधपुर गया हूँ.. जल्द ही आपको खबर देता हूँ..
धन्यवाद,
आदि..
और क्या, डरते तो डरपोक लोग हैं। और तुम तो राजा बेटा हो।
ReplyDeletedear aaditya be bold and never afraid of anything except ur parents, cos they love u very much
ReplyDeleteमस्त रहो पर ठंड से थोड़ा जरूर डरना।
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