लेकिन कभी कभी मैं भी कंफ्युज हो जाता हूँ.. जब एक साथ दो दो चीजें मिले.. समझ नहीं आता किसे लूं और किसे छोड दूं.. ऐसा ही मेरा जैकेट है.. दो-दो लटकने वाली चीजें है.. और दोनों मुझे बराबर आकर्षित करती है..समझ नहीं आता कि ये लूं कि वो लूं.. फिर क्या दोनों पकड़ लेता हूँ.. और उन्हे मुँह में डालना तो मेरा अधिकार है..
कैसी लगी आपको मेरी बातें? जरुर बताऐं..
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तुम्हें बार बार बताना पडेगा क्या ? जब दाँत सुरसुराएं तो काट खाने के लिए मम्मी पापा हैं ना ! क्यों आलतू फालतू चीजों को कुतरते हो ?
ReplyDeleteBahut pyari harkatein karte ho Aadi!
ReplyDeleteपल्टू भाई जरा विवेक जी की बात पर गम्भिरता पुर्वक ध्या दो और उसका रिजल्ट हमें बताना. :)
ReplyDeleteटोपी खा जाओगे तो पहनोगे क्या??
ReplyDeleteपापा/मम्मी की गोद में तो बैठे हो, धीरे से कान काट लो. फिर हँसना. :)
अरे वाह.. हमारा चूहा बिटवा तो अब बिल्ली कि पूछ तक को कुतरने लगा है.. :)
ReplyDeleteअदीईई आज तो ये नीला पिला रंगों वाला टेम्पलेट आँखों को खुब भाया.....और तुम्हारी प्यारी प्यारी बातें दिल को....."
ReplyDeleteLove ya
कमल कर रहे हो तुम. छोटू अगर इसी तरह से दो-दो चीजें सामने रखकर फ़ैसला करोगे तो डिसीजन मेकिंग थ्योरी के मास्टर बन जाओगे....:-)
ReplyDeleteडिसीजन मेकिंग कैपेसिटी तो बिल्ली की पूँछ क़तर कर साबित भी कर दिया. फालतू में सब कहते हैं कि बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधेगा? तुमने साबित कर दिया कि गले में घंटी बाँधने की ज़रूरत ही नहीं है. पुँछ क़तर कर बिल्ली को उसकी औकात बताई जा सकती है.....इंटेलिजेंट किड.
फोटो में गजब लग रहे हो. मैं निर्णय नहीं कर पा रहा हूँ कि कौन सी फोटो सबसे बढ़िया है.
doobeyji kho gaye adi ki shararton mein
ReplyDeleteये लूं कि वो लूं...
ReplyDeleteजो मर्जी ले ले आदि, अभी तुझे कोई कुछ नही कह सकता , जितनी मर्जी तोड़ फोड़ कर | जब बड़ा होकर इस ब्लॉग पर ये फोटो देखेगा तब मजा आएगा |
आज मैंने सुंदर-सुंदर फूलों के
ReplyDeleteसौ से ज़्यादा फ़ोटो लिए,
पर तुमसे ज़्यादा प्यारा
और
ख़ूबसूरत उनमें से एक भी नहीं था।
तुम जब भी "सरस पायस" पर आते हो,
वहाँ की शोभा
कई गुना बढ़ जाती है!
मेरी ओर से
तुम्हारे लिए -
प्यार ही प्यार!
बेशुमार!