मम्मी पापा सुबह की चाय पी रहे थे, मुझे गोद में लेकर... तो गली में देखने का काम तो मुझे ही करना था न.. एक क्षण के लिए उनका ध्यान हटा और मैं.. अरे अब मैं खुद क्या बतांऊ आप ही देख लो..
बहुत मज़ा आ रहा था पर पापा भी न.. तुरन्त हटा दिया.. चोट लगने का ख़तरा था भाई
(15 Oct 08)
देखना सभाल के नहीं खुद भी नीचे पहुँच जाओगे।
ReplyDeleteहा-हा-हा-हा, आदि के पापा भी तो ग्रील से लटक कर फोटो खींच रहे थे।
ReplyDeleteसम्भल कर जनाब.
ReplyDeleteअरे, अभी से ताक-झाँक!...
ReplyDeleteमैं मजाक कर रहा था. दुनियाँ की पहचान करने की कोई उमर थोड़े न होती है.
दुनिया की पहचान ऐसे ही ताक झांक से शुरू होती आदि लगे रहो
ReplyDeleteये आदि के पापा भी न!! कहाँ जाकर फोटो खींचे हैं??
ReplyDeleteचाय पीने में मन नहीं लगता क्या कि हमारे आदि को ठीक से ताक झांक भी नहीं करने देते. :)
'are yaar tum dekhtey rhe kee kaun aaya or hume aane mey aaj dair ho gyee, dair he shee lakin dekho hum aa gye, chlo ab jhankna band kro ok.....so cute"
ReplyDeletelove ya
आदि बेटा सम्भल के अभी तांक झाक नही ? बुरी बात... वेसे कहते है पुत के पाव पालने मे ही दिख जाते है, लेकिन मामी ओर पापा को बोलो तुम्हारा पुरा ख्याल रखे, चाय के समय भी
ReplyDeleteप्यार
आदित्य बेटा,ऐसे ही ताक-झाँक जारी रखोगे तो लगता है मम्मी-पापा को ग्राउंड floor में घर लेना पड़ेगा
ReplyDeleteअब कब तक तांक झांक चलती रहेगी आगे भी तो कुछ और बताओ नई पोस्ट का इंतजार कर रहे है
ReplyDeletejayda tak-jak abhi se thik nahi hai janab!
ReplyDeleteकहाँ हो आदि?? लगता है नए घर मैं सेट हो रहे हो. ठीक है जल्दी काम ख़तम करो और नए घर के तुम्हारे अनुभव बताओ.
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