Thursday, October 16, 2008

देखता हूँ कौन आया है

मम्मी पापा सुबह की चाय पी रहे थे, मुझे गोद में लेकर... तो गली में देखने का काम तो मुझे ही करना था न.. एक क्षण के लिए उनका ध्यान हटा और मैं.. अरे अब मैं खुद क्या बतांऊ आप ही देख लो..

बहुत मज़ा आ रहा था पर पापा भी न.. तुरन्त हटा दिया.. चोट लगने का ख़तरा था भाई
(15 Oct 08)

12 comments:

  1. देखना सभाल के नहीं खुद भी नीचे पहुँच जाओगे।

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  2. हा-हा-हा-हा, आदि‍ के पापा भी तो ग्रील से लटक कर फोटो खींच रहे थे।

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  3. अरे, अभी से ताक-झाँक!...
    मैं मजाक कर रहा था. दुनियाँ की पहचान करने की कोई उमर थोड़े न होती है.

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  4. दुनिया की पहचान ऐसे ही ताक झांक से शुरू होती आदि लगे रहो

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  5. ये आदि के पापा भी न!! कहाँ जाकर फोटो खींचे हैं??

    चाय पीने में मन नहीं लगता क्या कि हमारे आदि को ठीक से ताक झांक भी नहीं करने देते. :)

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  6. 'are yaar tum dekhtey rhe kee kaun aaya or hume aane mey aaj dair ho gyee, dair he shee lakin dekho hum aa gye, chlo ab jhankna band kro ok.....so cute"

    love ya

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  7. आदि बेटा सम्भल के अभी तांक झाक नही ? बुरी बात... वेसे कहते है पुत के पाव पालने मे ही दिख जाते है, लेकिन मामी ओर पापा को बोलो तुम्हारा पुरा ख्याल रखे, चाय के समय भी
    प्यार

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  8. आदित्य बेटा,ऐसे ही ताक-झाँक जारी रखोगे तो लगता है मम्मी-पापा को ग्राउंड floor में घर लेना पड़ेगा

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  9. अब कब तक तांक झांक चलती रहेगी आगे भी तो कुछ और बताओ नई पोस्ट का इंतजार कर रहे है

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  10. कहाँ हो आदि?? लगता है नए घर मैं सेट हो रहे हो. ठीक है जल्दी काम ख़तम करो और नए घर के तुम्हारे अनुभव बताओ.

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कैसी लगी आपको आदि की बातें ? जरुर बतायें

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