दीपावली पर खूब पटाखे जलाए.. बिलकुल नहीं डरा.. (मम्मु और बाबा डर रहे थे, मेरी निडरता देखकर)
फुलझड़ी, अनार के बाद राकेट पर भी हाथ आजमाया...
मम्मु आप जाओ... मैं लगाऊंगा...
पहले ऐसे पकडो..
और फिर ऐसे बोतल में लगाओ...
कुछ देर तो लगाने का काम किया.. फिर मेरा मन भी ललचा गया... ज्यादा मजा तो उसे जलाने में है..
बाबा आप मुझे दे दो.. मैं जलाऊंगा...
ज्यादा बहादुरी ठीक नहीं...
वो राकेट चला.....
आपने पटाखे जलाए...
वाह भाई तुम तो बहुत साहसी हो . मै तो पटाखों के शोर से ही डरा हुआ था
ReplyDeleteअरे वाह, अभी से रॉकेट।
ReplyDeleteबच्चे को पटाखे का शौक लगा रहे हैं ?
ReplyDeleteप्यारे आदित्य,
ReplyDeleteतुम्हारे मुंडन की मेहंदी और मुंडन के फोटोस भी आज ही देख पाए पिचले दिनों व्यस्त हो गई थी ...दीपावली थी न :) तुम्हे भी सपरिवार दीपावली की ढ़ेर सारी शुभकामनाएँ !!
हम तो यहाँ पटाखों का आनन्द ले नहीं सकते ....तुम्हे चला कर देखा तो ही खुश हो लिए :)
ब्रेव बॉय
अनुष्का