Monday, November 8, 2010

पटाखे...

दीपावली पर खूब पटाखे जलाए.. बिलकुल नहीं डरा.. (मम्मु और बाबा डर रहे थे, मेरी निडरता देखकर)

फुलझड़ी, अनार के बाद राकेट पर भी हाथ आजमाया...

मम्मु आप जाओ... मैं लगाऊंगा...

पहले ऐसे पकडो..

और फिर ऐसे बोतल में लगाओ...

कुछ देर तो लगाने का काम किया.. फिर मेरा मन भी ललचा गया... ज्यादा मजा तो उसे जलाने में है.. 

बाबा आप मुझे दे दो.. मैं जलाऊंगा...

ज्यादा बहादुरी ठीक नहीं... 
\

वो राकेट चला.....

आपने पटाखे जलाए...

4 comments:

  1. वाह भाई तुम तो बहुत साहसी हो . मै तो पटाखों के शोर से ही डरा हुआ था

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  2. अरे वाह, अभी से रॉकेट।

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  3. बच्चे को पटाखे का शौक लगा रहे हैं ?

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  4. प्यारे आदित्य,
    तुम्हारे मुंडन की मेहंदी और मुंडन के फोटोस भी आज ही देख पाए पिचले दिनों व्यस्त हो गई थी ...दीपावली थी न :) तुम्हे भी सपरिवार दीपावली की ढ़ेर सारी शुभकामनाएँ !!
    हम तो यहाँ पटाखों का आनन्द ले नहीं सकते ....तुम्हे चला कर देखा तो ही खुश हो लिए :)
    ब्रेव बॉय
    अनुष्का

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कैसी लगी आपको आदि की बातें ? जरुर बतायें

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