Wednesday, November 10, 2010

किस्सा ऑरेंज साइकिल का...

वैसे तो दो साइकिल है... और एक घोड़ा भी.. पर आदि और ऋषभ दोनों को ऑरेंज साइकिल ही चाहिए... और इस साइकिल पर दोनों भाई अपना हक जमाते रहे....

भय्या ये साइकिल मुझे दे दो..

आदि तू हट जा "ये साइकिल मैं तुझे नहीं देती"

ये साइकिल मुझे चाहिए...

साइकिल चाहिए.."ये ले.."

चपक से काम नहीं बना तो भाई साहब में रामबाण तरीका अपनाया....

और विजयी रहे...

(ऋषभ आदि का चचेरा भाई है और करीब ६ माह बड़ा है..   दोनों भाइयों ने दीपावली पर खूब मस्ती की.. और अब दोनों फोन पर बतियाते है)

13 comments:

  1. बच्चों को सदा दूसरों की साइकिल ही क्यों अच्छी लगती है।

    ReplyDelete
  2. साइकिल आधी आधी नहीं कर पाए होंगे बेचारे क्या करें ।

    ReplyDelete
  3. ... और थोडी देर बाद वो साइकिल किनारे में पडी रहेगी .. ऐसा ही होता है !!

    ReplyDelete
  4. उस रामबाण तरीके की फोटो नहीं दिखाई दे रही !!

    ReplyDelete
  5. ये क्या आदि ? बड़े भाई को रोकर साइकिल मांगना पड़ी :)

    ReplyDelete
  6. ओह सायकिल का पंगा...आदित्य

    ReplyDelete
  7. आदि तु तो शेठी लग रहा हे... गंजे, मजा आ गया, हमे अपना बचपन याद आ गया

    ReplyDelete
  8. हा हा!! रामबाण तो जो पहले चला दे...:)

    ReplyDelete

कैसी लगी आपको आदि की बातें ? जरुर बतायें

Related Posts with Thumbnails