वैसे तो दो साइकिल है... और एक घोड़ा भी.. पर आदि और ऋषभ दोनों को ऑरेंज साइकिल ही चाहिए... और इस साइकिल पर दोनों भाई अपना हक जमाते रहे....
भय्या ये साइकिल मुझे दे दो..
आदि तू हट जा "ये साइकिल मैं तुझे नहीं देती"
ये साइकिल मुझे चाहिए...
साइकिल चाहिए.."ये ले.."
चपक से काम नहीं बना तो भाई साहब में रामबाण तरीका अपनाया....
और विजयी रहे...
(ऋषभ आदि का चचेरा भाई है और करीब ६ माह बड़ा है.. दोनों भाइयों ने दीपावली पर खूब मस्ती की.. और अब दोनों फोन पर बतियाते है)
घमासान..!!!
ReplyDeleteबच्चों को सदा दूसरों की साइकिल ही क्यों अच्छी लगती है।
ReplyDeleteसाइकिल आधी आधी नहीं कर पाए होंगे बेचारे क्या करें ।
ReplyDelete... और थोडी देर बाद वो साइकिल किनारे में पडी रहेगी .. ऐसा ही होता है !!
ReplyDelete:-)
ReplyDeleteउस रामबाण तरीके की फोटो नहीं दिखाई दे रही !!
ReplyDeleteये क्या आदि ? बड़े भाई को रोकर साइकिल मांगना पड़ी :)
ReplyDeleteखतर्नाक आदि .................
ReplyDelete:))
ReplyDeleteओह सायकिल का पंगा...आदित्य
ReplyDeleteखट्टी मीठी नोख झोंक :)
ReplyDeleteअनुष्का
आदि तु तो शेठी लग रहा हे... गंजे, मजा आ गया, हमे अपना बचपन याद आ गया
ReplyDeleteहा हा!! रामबाण तो जो पहले चला दे...:)
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