Thursday, September 30, 2010

छोटा बन्दर.. (little monkey)

स्नेक फार्म में स्नेक देखने के बाद "लिटल मंकी" ने  बहुत उछल कूद की... 




ये जम्हाई.. 

और आपने स्नेक फार्म नहीं देखा तो यहाँ देखें...

कल हमारा सारा सामान "मेरी साइकिल" सहित पैक होकर इंडिया चला गया.. हम कल शाम को बेंकोक से चिंगमई (chaing mai) जायेगें.. और फिर ७ को इंडिया...

Tuesday, September 28, 2010

कौनसा झंडा किस देश का...

मम्मु आदि के लिए मेगनेट के फ्लेग लाई.. और आदि उन्हें तुरंत पहचानने लगा.. आदि की मीठी मीठी बोली.. और उसकी बातें.. दिवाना बना दे... 7 मिनिट का ये विडियो.. समझ नहीं आया कहाँ से छोटा करें...

 आपको पता है सारे फ्लेग्स....

(Flags of the nations)

डरना नहीं सांपो से - स्नेक फार्म

एशिया का पहला और दुनिया का दूसरा स्नेक फार्म बैंकोक में है..  ये थाई रेसक्रोस सोसाइटी द्वारा संचालित होता है..  शनिवार हम भी पहुँच गए स्नेक देखने...

हम वक्त से पहुँच गए.. क्योकिं ११ बजे सापों पर आधारित जानकारी पर एक शो होता है..  सबसे पहले हमें दिखाया किंग कोबरा (king cobra)


और उसके बाद कोबरा (cobra)


फिर तो एक के बाद एक कई सांप दिखाए,


और ये तो धूप में इन्द्रधनुषी रंग भी देता है... आपको पता है इसका नाम?


और फिर मौका था सांपो से मिलने का..   सांपो से डरने का नहीं.. बिल्कुल मेरी तरह..

और देखें.. कैसे प्यार से हमारे गले में आ गया न ये पायथन.. 

स्नेक फार्म में सांपो पर जानकारी के लिए दो प्रदर्शन हाल भी है.. एक मैं कई तरह के जिन्दा सांप रखे है और दूसरे हाल में सांपो के जीवन पर पूरी जानकारी..

डरना नहीं ये नकली सांप है...

मजा आया मेरे साथ स्नेक फार्म घूम कर..


****
ज्यादा जानकारी के लिए..Snake Farm (Queen Saovabha Memorial Institute), और Bangkok Snake Farm Brochure

Monday, September 27, 2010

स्कूल..

वैसे तो हम बैंकोक में केवल ६ माह के लिए आये थे.. पर सोचा की आदि का प्री स्कुल यहाँ शुरू कर देगें.. पर अप्रेल - मई में बैकोंक में सब कुछ सामान्य नहीं था.. सड़कों पर प्रदर्शन हो रहे थे.. तो बेहतर था की स्कूल शुरू न किया जाए.. मई अंत तक में ये सब ठीक हुआ तो समर ब्रेक के लिए स्कुल बंद हो गए.... और जुलाई में जब स्कूल खुले तो आदि का स्कुल भी शुरू हो गया...  तीन महीने के लिए.. सोचा "कुछ नहीं" से "कुछ" अच्छा है.... आदि ने स्कुल जाना शुरू कर दिया.. कभी रो कर कभी बिना रोये... (खुश होकर नहीं).... बीच में काफी छुट्टियाँ रही.. तो आदि स्कुल के माहोल में ढल ही नहीं पाया... पहले स्कुल पहुँच कर रोता था.. फिर स्कुल की गली में पहुंचते ही... और धीरे धीरे नहाने पर भी रोने लगा... उसे समझ आ गया.. की स्कूल का पूरा कार्यक्रम नहाने से शुरू होता है... ये सब देख हमने तय कर लिया की सितम्बर से स्कूल नहीं भेजेगें.. जब वो एन्जॉय नहीं कर रहा तो उसका कोई मतलब नहीं.... और बात केवल एक माह की थी....   स्कूल में भी खबर कर दी... लेकिन अगस्त के अन्त्तिम दिनों स्कूल काफी नियमित रहा और आदि भी एन्जॉय करने लगा...  आराम से तैयार होता.. अपनी साइकिल लेकर स्कूल के लिए निकल पडता... और रोना बिल्कुल बंद हो गया... और जब आदि एन्जॉय करने लगा तो फिर स्कूल भी जारी रहा... अंतिम माह में आदि ने स्कूल में बहुत मस्ती की.. और बहुत कुछ सीखा.. अब अंग्रेजी में बात करने लगा है..:) "Come, Go, Yes, No, Here, Down,..." और ऐसे कई शब्द बोल अपना काम निकाल लेता है... इस सप्ताह स्कूल की छुट्टी है... मिड टर्म ब्रेक.. और अगले सप्ताह "chang mai" घूमते हुए भारत वापसी... 7 अक्टूबर को दादा दादी के पास जोधपुर पहुँच जाएगा आदि...

अंतिम दिन थोड़ा स्टाइल मार के....

वो लाला है.. एक दिन पहले उसे "काट" खाया था... जाते जाते उसे भी "सोरी"


येलो टी शर्ट में कविता मेडम है.. बस पुरी स्कूल में ये ही हिंदी जानती थी.. मेरी बात समझती थी..

ये मेरी क्लास...
शनिवार को आदि स्नेक फार्म देख कर आया... कल मिलते है.. स्नेक के साथ..

Saturday, September 25, 2010

स्माइल - बेंजाकिटी पार्क

घर की बालकोनी से देखा तो पता चला की सामने बेंजाकिटी पार्क (Benjakiti Park) में काफी चहल पहल हो रही थी.. कुछ सजावट भी हो रही थी... 


देखो कितना सुन्दर लग रहा है...


देखिये.. रात में कितना सुन्दर लग रहा है पार्क...

पता चला वहा "स्माइल फेस्टिवल" है.. तो हमने भी प्लान बना दिया वहा घूमने का...
और ये उसी जगह की फोटो दिन में...

फिर क्या अपनी साइकिल उठाई और चल दिए... पता है उस दिन मैंने २ किमी से ज्यादा साइकिल चलाई..
और ये जो टी शर्ट पर सफेद निशान देख रहे है.. वो एंट्री पास है...

आपको मेरा घर दिख रहा है? वो पीछे...झील के उस पार.. रेड कलर की छत है न.. उस बिल्डिंग में.. और उसके आगे जो बड़ी बिल्डिंग दिख रही है उसमें है बाबा का ऑफिस..

वहाँ घूमते हुए हमें ये झूला दिखा.. हम भी लाइन में खड़े हो गए...  हमारे पास टिकट नहीं था.. फिर भी अंकल में हमें चढ़ा  दिया 

झूले में गोल गोल घूमते हुए बहुत सुन्दर नजारा दिख रहा था...
आप कहोगे आदि साईकल कहाँ है.. वो भी तो लेकर गए थे... तो ये देखो नीचे खड़ी है मेरी साईकल..

और फिर ये खूबसूरत फव्वारा देख हम घर आ गए...  

(SMILE FESTIVAL, BENJAKITI PART, BANGKOK, THAILAND)

Friday, September 24, 2010

मैं अपने आप करेगा....

मैं अपने आप करेगा आजकल आदि का तकिया कलाम हो गया है...  कुछ भी हो मैं अपने आप करेगा... जैसे

मैं अपने आप नहायेगा...
मैं अपने आप पहनेगा...
मैं अपने आप उतरेगा..
मैं अपने आप चलायेगा..
मैं अपने आप बंद कर लेगा..
मैं अपने आप खायेगा..


आदि की ये "अपने आप" पुराण 'गद्य' लिखते लिखते 'पद्य' बन गई.... और फिर उड़नतश्तरी मैं बैठ कनाड़ा जा कर समीर अंकल से पालिश भी करवा आई...


नहाने में क्या कला है, आदि अपने आप नहायेगा
जानता है शॉवर चलाना, आपको उससे दूर हटायेगा

मुझे पहनना है जो अपना टीशर्ट या फिर कोई शार्ट
आप बैठिये आराम से, हम खुद पहन कर बतायेगा

बाँधना मत मेरे सेंडुल का चटपट करता वो वेल क्रो
जो बाँध दोगे अगर, तो हम खुद खोल कर लगायेगा.

खुलता है छाता बटन दबाते ही, बचा लेता भीगने से
लाईये छाता मुझे पता है, उसको हम खुद ही छवायेगा.

सोचते हो कि मदद बिन तुम्हारे, उतर न पाऊँगा सीढ़ी
नहीं चाहिये मदद किसी की, मैं अपने से उतर आयेगा.

टीवी का रिमोट हो चाहे डी वी डी का रिमोट दो मुझको
जानता हूँ दबाना ओके, इसे तो बिना देखे भी दबायेगा.

चढ़ाई हो चाहे जितनी कठिन, मन में मेरे है ताकत इतनी
दूर रहो न बढ़ाओ अपने हाथ, मैं हिम्मत से चढ़ जायेगा.

चले जो संग मेरे शॉपिंग को, चाहे बाबा हो या चाहे मम्मु
भरते चलो ट्राली में वजन, आदि ताकत से उसे चलायेगा.

कार हो या फिर हो टुक टुक का वाहन, चढ़्ना तो पड़ता है
नहीं मुझे दरकार किसी की इसमें, आदि दौड़ के चढ़ जायेगा.

और जो चढ़ा है आदि खुद अपने आप दौड़ कर इस पर
फिर सोचना कैसा, स्टेशन आयेगा तो खुद उतर के बतायेगा

क्यूँ परेशान होते हो आप यूँ, दरवाजा बंद करने की खातिर
कार का हो या घर का, बंद करना तो अब आदि सिखायेगा

संतरा चढ़ा ले चाहे कितनी भी मोटी चमड़ी अपने आप पर
आदि को सब पता है, आराम से छिल कर उसको खायेगा.


लेकिन दूधू की बोतल मैं, खुद कभी न पकडूँगा..
वो तो मम्मु हो पकड़ेगी, वो ही दूधू पिलाएगी..

अपने आप लिए फोटो का नमूना...

Thursday, September 23, 2010

क्रीम पाउडर मल मल के.....

घर में अगर ५ मिनिट भी शान्ति है तो समझ जाइए की आदि "काम" पर है... हर जगह खोज शुरू हो जाती है..  "आदि क्या काम कर रहा होगा?" वैसे जब मम्मी पापा ढूंढते है तो "काम" नहीं कहते.. वो उसकी जगह "बमाशी" कहते है..

इन दिनों मेरी मेहरबानी है क्रीम और पाउडर पर.. बस जब नजर पड़ी तो डिब्बा खाली...

एक दिन (फोटो एक दिन की है, वैसे तो कई डिब्बे काम आ चुके) हाथ लगा मेरा अपना जोनसन बेबी पाउडर...



और फिर हत्थे चढ़ी ये निव्या क्रीम...

ये खूबसूरती ऐसे ही थोड़ी पाई है?

Wednesday, September 22, 2010

बत्तख पकड़ो !!

मम्मा मेरे लिए काँटा और बत्तख लाई....  मैं चला बत्तख पकडने... 





है न बिल्कुल अहिंसक तरीका...

Tuesday, September 21, 2010

नहाना, तैयार होना, जुते पहनना, साइकल चलाना और स्कुल में..

आजकल खुद ही नहाने की कोशिश करते है जनाब..

१५ सितम्बर सुबह ८:१८

१५ सितम्बर सुबह ८:१८

और फिर जुते भी खुद को पहनने होते है.. तय भी करता है की कौनसे (ज्यादातर ब्लू सेंडल कभी कभी ब्लेक भी) पहनने है.. 
१५ सितम्बर सुबह ८:३१

ये पहला...
१५ सितम्बर सुबह ८:३१

और ये दूसरा...

१५ सितम्बर सुबह ८:३१

हाँ अब हो गया.. 
१५ सितम्बर सुबह ८:३२

फिर साईकल लेकर स्कुल की और..  वैसे साईकल ज्याद नहीं चलती. घर से लिफ्ट से और फिर लॉबी में गार्ड के पास रख देता है... स्कुल से आने के बाद लॉबी में खुब साईकल चलाता है...
 १५ सितम्बर सुबह ८:३४

ये स्कुल पहुँच गए..  आज देर हो गई..  वैसे ८.३० तक पहुँचाना होता है.. पर चलता है..
१५ सितम्बर सुबह ८:५२

पहले पेट पूजा.. फिर काम दूजा... 
१५ सितम्बर सुबह ९:०४

क्लास में मस्ती... फुल मस्ती..
 १५ सितम्बर सुबह ९:४२

"फिर मम्मु साढ़े ग्यारह आ जाती है"  और आदि घर चला जाता है...

Monday, September 20, 2010

क्यों इंतज़ार है शुक्रवार का..

आजकल पापा हर शुक्रवार की दोपहर का बेसब्री से इंतज़ार करतें है...  पता है क्यों? क्योकिं शुक्रवार को मेरा "activity folder" घर आता है.. और उसमें होता है... आप खुद देख है इस शुक्रवार क्या निकला...




करता हूँ न मेहनत स्कूल में? और भी कई चीजें बनाई है.. देखिये...























की न बहुत मेहनत मैंने और टिचर ने?
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