Saturday, July 31, 2010

पहला पाठ

अभी तक तो लेपटोप पर जू जू, एनिमल्स और पोएम्स देखता था.... अभी कुछ दिनों से बाबा मुझे व्हाईट व्हाईट (MS word का खाली पेज) दे देते है.. और में मजे से की बोर्ड ठोकता हूँ..  कल हमने लेपटोप पर एक बड़ा की-बोर्ड (External) लगा दिया और मेरी उंगली पकड़ के ये टाइप किया.....
ABCDEFGHIJKLMNOPQRSTUVWXYZ

12334…….56789   10  10121.2.2.2.
वैसे तो लेपटोप पहले भी चलाया है... पर ओपचारिक रूप से ये है मेरा पहला पाठ...


थर्मामीटर..
मेरी तबियत अब बहुत ठीक है... बुखार भी ९९ के आस पास ही हे... शरारतों का सिलसिला भी शुरू हो गया है....
कुछ फोटो..


मेरी नई कुर्सी..

मुस्कान लौट आई... चहरे के लाल नीशान तेज बुखार की देन

Thursday, July 29, 2010

इन्फेक्शन, बुखार, उल्टी फिर डीहाईड्रेशन

सोमवार की रात को बुखार आ गया.. मंगलवार को सुबह सुबह डॉ के पास गए.. केवल बुखार था.. वो भी १०० डिग्री फेरेनाईट के पास और कोई लक्षण नहीं था..  खून की जांच की गई... रिपोर्ट में कुछ ख़ास नहीं निकला... एक बुखार के लिए, एक एंटीबाइटिक और एक उल्टी रोकने की दवा मिली..
घर आ कर दवा खाई, पर कोई असर नहीं हुआ.. उल्टी तो रुकी नहीं बल्कि दवा भी उल्टी से साथ बाहर आ गई.. दिन भर तबियत सुस्त रही.. जो भी खाया उल्टी होकर निकल गया.. रात को बुखार भी बढ़ गया.. दवा भी असर नहीं कर रही थी.. आज सुबह फिर डॉ के पास गए...
आज शु शु की जांच की.. डॉ ने बताया की पानी नहीं पीने से डीहाईड्रेशन हो गया है.. आज खूब सारा पानी पीना होगा.. नहीं तो फिर आई वी से तरल शारीर में पहुंचानी होगी..
डॉ से उल्टी रोकने के लिए इंजेक्शन लगाया... बुखार उतारने के लिए दवा बदल दी..  इन्जेशन शायद अपना काम कर रहा था... सुबह से उल्टी नहीं हुई.. पानी भी पीया जा रहा है.. तबियत सुस्त है... शायद एक दो दिन और लगें जब तक आदि फिर अपनी अदा में आये..

अपार्टमेन्ट में जैसे ही पता चला.. फलों की टोकरी के साथ ये कार्ड मिला...

Wednesday, July 28, 2010

डरना मना है...

कल कमरे में एक कोकरोच मिला... मैं कमरे में अकेला था... कोकरोच कौने में था.. फिर क्या हुआ...

सिंपल.. मैंने कोकरोच को उठाया और बाहर ले आया... मम्मु को दिखाया.. दादा-दादी को दिखाया... आप देखोगे... डरना नहीं!!



बिल्कुल नहीं डरना... मरा हुआ है....


दादा दादी....

सोमवार की रात मुझसे मिलने दादा दादी बैंकोक आ गए.. अब दिन भर दादा दादी के साथ मस्ती करता है..


मेरी स्कुल की भी छुट्टी है....और दादा दादी भी आये है.. खुब घूमेंगे... मौज करेंगे!!

Sunday, July 25, 2010

ताकि आप याद कर सकें.....

शुकवार को छुट्टियों से पहले मेरी स्कुल का अंतिम दिन था.. अब स्कुल एक सप्ताह के लिए बंद है... २ अगस्त को खुलेगें...

शुक्रवार को सुबह मुड बदला बदला था.... मैं स्कुल के लिए जल्द ही तैयार हो गया.. और बाबा के बोला.. "बाबा मुझे ले लो.. मैं इकुल जायेगा..." वैसे हर रोज इसका उलटा होता था... मैं मम्मु की गोदी में चढ़ के विनती करता "मैं इकुल नहीं जाएगा"

बहुत आराम से स्कुल गया.. बस स्कुल पहुँच कर दो पल रोया.. :) दोपहर में जब मम्मी लेने आई तो घर आने का मन नहीं कर रहा था.. स्कुल में मुकुट पहन कर घूम रहा था..  मैडम में मेरे लिए एक सुन्दर मुकुट बनाया था.. और एक छड़ी भी.. और सभी पर छोटे छोटे हाथ बने हुए...

मुकुट बहुत प्यारा था.. और घर आकर उसे पहनकर ही खेलने लगा...





ये है देवी दीदी...

और मम्मी पापा के लिए मैं अपने हाथों के निशान भी लाया.... ये रेड रेड मेरे हाथों के निशान है....



और इसमें जो अंग्रेजी में लिखा है उसका हिंदी अनुवाद...

कभी कभी आप नाराज हो जाते होगें..

क्योंकि में बहुत छोटा हूं

और हमेशा अपने हाथों के निशान

दीवारों और फर्नीचर पर छोड़ देता हूं

लेकिन मैं हर रोज बड़ा हो रहा हूं

और जिस दिन बड़ा हो जाऊँगा,

ये छोटे छोटे निशान मिट जायेगें..

ये है मेरे हाथो  निशान..

ताकि आप याद कर सकें.  

की मेरे हाथो के निशान कैसे थे..

जब मैं बहुत छोटा था...

Saturday, July 24, 2010

लाजबाब कर दिया....

जब भी शोपिंग जाता हूँ तो कुछ कुछ चीजें अपने लिए खरीद ही लेता हूं..  परसों शाम को फूडलेंड में कलर पसंद आ गए.. ऊपर रखे थे तो बाबा को समझ नहीं आ रहा था की क्या चाहिए.. गोदी ने चढ कर बताना पड़ा...

बाबा ने वो कलर दे तो दिए... पर उन्हें लगा की मैं सीरियस नहीं हूं.. बस ऐसे ही मस्ती में लिए है.. थोड़ी देर बाद उन्होंने कहा "आदि ये कलर वापस जगह पर रख दो.." पर मेरा जबाब सुनकर वो "लाजबाब" हो गए...

पता है मेरा क्या जबाब था?

"ये मुझे चाहिए इसीलिए में ले रहा है, ये मेरा गिफ्ट है"

 और ये बात जिस कलर के लिए थी वो ये रहे.



कल मिलते है.. आदि की प्यारी प्यारी बातें के साथ...

Friday, July 23, 2010

रुक जाना नहीं..

ब्लोक्स को जोड़ कर आदि को मीनार बनाना पसंद है..  और उसके लिए कितने प्रयास कर सकता है.. इस विडियों में...  खेल खेल में आदि बहुत बड़ा संदेश दे गया...
 


कल विंडो मूवी मेकर में तकनिकी समस्या थी... हर एक क्लिक के बाद मूवी मेकर ने रेस्पोंड करना बंद कर देता.. और मुझे फिर से शुरू करना पडता.. कम से कम पचास बार (हो सकता है इससे भी ज्यादा) ऐसा हुआ.. पर आदि के इस खेल को देखने के बाद में मैं  उसे छोड़ नहीं सकता न...थैंक्स आदि..

(ओरिजनल विडियो लंबा था, तो उसे काटने ने बजाये स्पीड दुगनी कर दी)

Tuesday, July 20, 2010

ये देखो...

ये देखो मम्मु
ये देखो बाबा...
मैंने सेंडल पहने है...

कल सुबह स्कुल जाते समय आदि खुद ही अपने सेंडल पहन कर आ गया... और इतरा इतरा कर दिखाने लगा...



सेंडल तो पहन लिए... पर पेंट भी तो पहनना पडेगा? या ऐसे ही स्कुल जाने का इरादा है...

(आदि की स्कुल अच्छे से चल रही है... सुबह लगभग आराम से तैयार हो जाता है.... बातें करते करते घर से भी निकल जाता है.. पुरे रास्ते गप्पे लगाता है.. सड़क पर गाडियां देखता है... उनके कलर बताता है... पर जैसे ही स्कुल की गली में गाड़ी मुडती है... "मैं स्कुल नहीं जाएगा" कहना शुरू कर देता है.. स्कुल के बाहर गाड़ी रुकते है पुरे दम से रोता है.. "मैं स्कुल नहीं जाएगा".. रोते रोते ही मैडम/मैड की गोदी में चढ जाता है... मैडम बताती है की हमारे जाते ही रोना बंद कर स्कुल में खेलने लग जाता है.)

ये लहराती जुल्फें.. ये घुंघराले बाल...

बारिश का मौसम..
कमरे में आती तेज ठंडी हवा
ऐसे में कौन खुश न हो 

ये लहराती जुल्फें..
ये घुंघराले बाल...
क्या बात है मेरे लाल..




ये सोफासन.. 
शाम को मस्ती के मुड में आदि की कुछ खूबसूरत तस्वीरें... कुछ पक्तियां आपके मन में भी आ रही है तो जरुर बताएं...

(आदि के आसन यहाँ देखें)

Sunday, July 18, 2010

ये आसन कितने आसान है न

आपने आदि के योगा तो बहुत दिन पहले देख लिए न.. आज देखते है कुछ आसन.. हाँ आसन.. ये बहुत आसान है...  खेल खेल में कई मुद्राएं बन जाती है.... और कुछ मम्मु को देखते देखते मैं भी सीख गया... और कोई मुझे देखकर सीख ले क्या हर्जा है?

सबसे आसान है सुखासन.. ये है सुखासन की मुद्रा...

 उसके बाद पद्मासन.. ध्यान मुद्रा..

मम्मु के साथ ताड़ासन..

और ये उतानासन...

ये ज़रा मुश्किल है.. पर मेरे लिए नहीं.. ये है अर्धचक्रासन..

और ये.. समीर अंकल का सोफासन... पर है ये धनुरासन.. 

कैसे है आदि के आसन... हो जाओ शुरू... 

Wednesday, July 14, 2010

आदि स्कुल में..

आदि का स्कुल (प्ले ग्रुप) शरू हो गया... पहले कुछ दिन तो मन नहीं लगा पर अब आदि मजे से है.. सुबह थोड़ा नाटक जरुर करता है पर बाद में स्कुल एन्जॉय करता है.. अभी करीब २.३०-३ घंटे स्कुल में रहता है..

पहले तो प्लानिंग थी की पापा ऑफिस जाते हुए आदि को स्कुल छोडेंगें और मम्मु आदि को स्कुल से वापस घर लाएगी... पर आदि को कंपनी देने के लिए प्लानिंग बदल दी गई.. अब मम्मु ही आदि को छोडती है और मम्मु ही आदि को स्कुल से घर लाती है...

स्कुल चलें हम... मम्मु के साथ टुक टुक में...
कुश अंकल स्कुल का नाम पूछ रहे थे.. अंकल नोट करलें नाम, पता, फोन नंबर सभी कुछ है .
मेरा स्कुल..
स्कुल तो बस नाम के लिए है. इसमें स्कुल जैसा कुछ भी नहीं.... ये फोटो देखे पता चल जाएगा..


मिट्टी में खेलने की हसरत.. जी भर के..


और फुल मस्ती इस स्लाइडर पर..



और पार्क जैसे झूले भी स्कुल में..

और ये मेरे नए दोस्त...


अब ये न कहना की इतनी मस्त जगह है तो फिर जाने से रोता क्यूँ हूं?

कल शाम आदि से मिलने काजल अंकल आये थे... आदि ने खुब मस्ती की.. स्टंट किये.. और एन्जॉय किया..

Tuesday, July 13, 2010

दो स्टंट

इस छोटे से वीडियो में कैद है आदि के दो स्टंट...



कैसा लगा?

Monday, July 12, 2010

केवल वयस्कों के लिए....

आदि खुद से पेंटी पहनने की कोशिश कर रहा था.. "मैं आपा आपा पहनेगा...."

लो भाई पहनों हमें क्या एतराज हो सकता है...  महाराज ने दोनों पाँव एक एक जगह डाल दिए.. दम लगाकर उपर तक भी चढा दी.. पर मतलब हल नहीं हुआ... :)


फोटो सेंसर कर दी गई..

दुबारा सही से पहनने का प्रयास करते साहेब....


करीब ६३,००० हिट्स के साथ १० जुलाई तो आदि का ब्लॉग भी दो वर्ष का हो गया.. इस सफर का साथी बनने के लिए आप सभी का आभार...

Friday, July 9, 2010

क्या करें क्या न करें.....

आज आदि की स्कुल का चौथा दिन था... सुबह साढ़े छह बजे ही उठ गया.. अच्छे मुड में था.. आराम से खेल रहा था.. मीठी मीठी बातें कर रहा था... बड़े प्यार से तैयार हो गया.. अपनी पसंद के जुते भी पहन घर से बाहर आ गया..  अचानक पता नहीं क्या हुआ.. बोलने लगा "आदि स्कुल नहीं जाएगा..."  सोचा कुछ देर में ठीक हो जाएगा.. इतने में लिफ्ट आ गई.. और आदि रोने लगा... अनसुना कर आदि को लिफ्ट में ले गया.. लिफ्ट से निकल कर टेक्सी मे... इधर उधर की बातें की.. थोड़ा मन लगा.. पर थोड़ी थोड़ी देर में स्कुल नहीं जाने की बात दोहराता रहा..

बहलाते फुसलाते स्कुल भी पहुँच गए... आदि का रोना बढ़ गया... समझ नहीं आ रहा क्या किया जाए.. अनमने भाव से स्कुल में दाखिल हो गया... उसका प्यारा जेबरा दिखाया पर.. आज आदि को जेबरा  भी खुश नहीं कर पाया....  बोलने लगा "आदि स्कुल नहीं जाएगा...घर पर रहेगा" "फिर कुछ खिलौने दिख गए...  उन्हें लेकर मिटटी के अलग अलग आकार बनाए... आदि थोडा खुश हुआ... थोड़ी देर में टिचर आ गई.. उन्हें देख आदि फिर बिदक गया... टिचर ने गोदी में उठाया तो आदि का रोना शुरू हो गया... मैं पास असमंझस की स्तिथि में खडा रहा.. टिचर बोली.."He was much better yesterday, you go we will take care"
अच्छे मुड में आदि का डांस....

आदि को रोता छोड़ कैसे घर चला जाता.. स्कुल के गेट पर ही खडा हो गया.. कभी लगता आदि को घर ले जाऊं.. स्कुल तो होता रहेगा... फिर सोचता अगर घर ले गया तो आदि को लगेगा की रोने से स्कुल की छुट्टी होती है... शायद हमेशा ऐसा करे.. खडा रहा... थोड़ी देर में रोने की आवाज बंद हो गई.. अंदर जा कर देखने की इच्छा हुई पर.. मुझे देखा तो फिर रो पडेगा... स्कुल की मैड को अंदर भेजा... वो बोली अब चुप हो गया है... मन तो नहीं था फिर भी वापस चला... कुछ कदम चला तो फिर आदि के रोने की आवाज आई.. और कदम स्वत: ही स्कुल की और बढ़ गए... गेट से झांका तो देखा आदि अभी भी टिचर की गोदी में रो रहा है.. बाकी बच्चे वका-वका पर डांस कर रहे है..  कुछ देर खडा रहा.. आदि चुप हो चुका था... और नए माहोल में खुद को ढाल रहा था...

भारी मन से ऑफिस की और चल दिया... ये सोचते की मैंने सही किया या गलत...  किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुँच पाया....

करीब एक घंटे बाद अंजु ने स्कुल में फोन किया.. पता चला आदि मजे में है.. थोड़ा रोया फिर खेलने लग गया... कुछ खाना भी खाया... करीब ११ बजे अंजु आदि को घर ले आई. आदि बहुत खुश था... मैंने जब ११.३० बजे घर फोन किया तो आदि ने पेरेलल लाइन से फोन उठा लिया..  बोला "बाबा आप कब घर आओगे?" आदि चहचहा रहा था.. और मैं बेहतर महसूस कर रहा था....

Wednesday, July 7, 2010

स्कुल चलें हम....

स्कुल जाने के लिए आदि बहुत उत्साहित है... वहाँ के जेबरा पर सवारी कर आया था.. तो उसके लिए एक आकर्षण था... अपना बस्ता टाँगे.. पापा के साथ.. मम्मु को बाय बाय करते आराम से स्कुल पहुँच गया... पापा आदि को स्कुल में छोड़ कब गायब हुए पता ही नहीं चला.. (स्कुल टिचर का मानना है की अगर पेरेंट्स ज्यादा समय तक रुकते है तो बच्चा को माहोल में ढलने में ज्यादा समय लगता है...)

कुछ देर में जैसे ही पापा मम्मी पास नहीं दिखे आदि घबरा गया... बहुत रोया... नया माहोल नए लोग.... खैर मम्मु ११ बजे लेने आ गई.. और आदि बाग कर मम्मु की गोदी में आ गया..... घर का कर थोड़ी देर में सामान्य हुआ..

आज स्कुल का दूसरा दिन है.... अच्छी बात ये की आज सुबह स्कुल जाने के लिए उत्साहित था... आराम से तैयार हो गया...  आज मम्मू आदि के साथ स्कुल गई है... वो वहाँ पर ज्यादा देर रुकेगी...

Saturday, July 3, 2010

ये देखो मैंने बेलून बना दिए.. बेलून....

मम्मु में मुझे बेलून बनाना सिखाया है.. गोल गोल जलेबी बनाओ और उसकी पुंछ बना दो... बन गया बेलून... 




कैसा लगा मेरा बेलून?

Friday, July 2, 2010

ये देखो मैंने क्या बनाया....

फनेरियम गया था... और वहाँ बनाया ये झंडा...




है न मस्तकलंदर.....
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