आप सोच रहे होंगे इतने दिनों से आदि ने कोई खब़र नहीं की.. आपको आदि की चिन्ता हो रही होगी.. पर क्या बताऊँ मैं बहुत busy था.. बहुत Meetings थी, वक़्त ही नहीं मिला वऱना आपके लिए ज़रूर लिख़ता.. आपको धीरे - धीरे बताता हूँ आदि कहाँ busy था...
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Friday से शुरू करतें है.. शाम मे मेरी Mother-in-law मिलने आई थी, हाँ रितु आंटी (आंटी ने मेरे जन्म से पहले ही पापा से मेरे लिए बात कर ली थी.. देखते हैं अपना वादा़ कब पूरा करेगी?) आंटी मेरे लिए सुन्दर सा Teddy Bear और एक बैग लाई, thank you आंटी.. आंटी मुझसे मिल कर बहुत खुश थी, हम बहुत देर तक खेलते रहे.. फिर आंटी चली गई, मुझे पता है वह मुझसे मिलने जल्द ही आयेंगी .
Saturday को तो मेरी सब.........से बड़ी वाली मामी दादी आई थी.. बहुत दूर अहमदाबाद
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से.. मैं तो इनसे पहली बार ही मिला.. बहुत अच्छी है, बहुत प्यार करती है.. इनके साथ खेलने के लिए मेरे पास पूरे तीन दिन थे, शाम को तो पिकुं चाचा भी आ गये, पहले
अभिषेक के बाद चाचा कुछ संभले हुए थे, पर इनके साथ तो मैं ख़ूब मस्ती करता हूँ.. और चाचा तो जम कर पुच्ची करते है. हाँ, saturday को दिन में मेरी नींद कुछ Disturb रही तो मैं पुरी तरह से fit नहीं था..
Sunday को बहुत fresh था, और अपने पूरे उत्साह से खेल रहा था और अपनी ही भाषा में सबसे बातें कर रहा था.. full masti.. और हाँ इन दो दिनों में मेरे green वाले मंकी से खिलाने की जिम्मेदारी पापा ने चाचा को दे दी, और चाचा बजाते बजाते थक गये पर मेरे लिए तो
ये दिल मांगे More...वाली हालत थी..
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Monday तो बहुत special था, मुझे कार के inauguration के लिए बुलाया गया था evening में, हाँ पिकुं चाचा चाहते थे, मैं उनकी कार का inauguration करुँ , और मैंने भी हाँ कर दी, शाम को चाचा कार लाये और
मैंने सवारी कर उसका inauguration कर दिया... फिर हम मंदिर गये । वहाँ पंडित जी ने एक मोटा सा टिका मेरे माथे पर भी लगाया... दादी के तो जाने का time तब तक हो ही गया था। हम मंदिर से सीधे रेल्वे स्टेशन गये...long drive, कार की सवारी तो मुझे पसंद है, इसलिए आराम से गया.. हम दिल्ली केंट रेल्वे स्टेशन पर गये। जल्द ही मण्डोर Exp आ गई, आहा!
मैंने पहली बार छुक-छुक गाड़ी देखी..
दिल्ली आने के बाद पहली बार इतना दूर गया न ! बहुत थक गया था.. और घर आकर सो गया था..