Monday, July 21, 2008

मेरी दिनचर्या



मुझे सुबह जल्दी उठना पसन्द है.. पर पापा मम्मी सोते रहते हैं । मैं अक्सर सुबह ५-६ बजे उठ जाता हूँ.. उठ कर खुद ही खेलने लगता हूँ.. खेलते-खेलते ज़ोर-ज़ोर से आवाज़ भी करता हूँ..और दीवार ताकता रहता हूँ या फिर बल्ब देखता रहता हूँ..मेरी आवाज़ सुन पापा-मम्मी भी जाग जाते हैं .... मैं एक बार तो बिस्तर गिला कर ही चुका होता हूँ.. मम्मी मेरी नेपी बदल कर दूध पिला कर पलंग पर लेटा देती है.. अब मेरे पास मस्ती करने के लिए पूरी ताक़त आ चुकी होती है। मै पापा के साथ खेलता हूँ, बातें करता हूँ.. पर अख़बार आते ही पापा ग़ायब हो जाते हैं .. और मम्मी दूध पिला कर फिर से सुला देती है.... जब मैं फिर से उठता हूँ तब तक पापा ऑफिस जा चुके होते हैं और घर में मम्मी और दीदी होते हैं उनके साथ खेलता हूँ।

फिर मेरी मालिश होती है। जैतुन, बादाम और नारियल के मिले-जुले तेल से. मम्मी अच्छे से कसरत करवाती है, फिर कुछ समय बाद गुनगुने पानी से नहलाती है फिर अच्छे से तैयार करती है. अब तक में काफ़ी थक चुका होता हूँ.. और लंच कर के सो जाता हूँ. हाँ ! आजकल मम्मी ने मुझे कपड़े में लपेटना बन्द कर दिया है और मैं आराम से फैल कर सो सकता हूँ. शाम को पापा के ऑफ़िस से आते आते में अपनी पूरी उर्जा के साथ तैयार हो जाता हूँ। पापा के साथ खूब मस्ती चलती है। कभी झूले में, कभी गोदी में.. आजकल मेरा ध्यान आवाज़ की तरफ़ जाता है। इसलिए मेरे सामने बहुत तरह के झुनझुने बजाये जाते हैं और मैं बहुत खुश होता हूँ। लुकाछिपी का खेल खेलते, झूला झूलते, और लोरी सुनते-सुनते रात ११ बजे तक सो जाता हूँ.

छोटा कर के बोले तो... सोना - जागना, हँसना - रोना, खाना - खेलना, झूला झूलना, सुसु - पोटी करना और हाँ फोटो खिचवाना यही ज़िन्दगी है, और मज़े से गुज़र रही है, मेरी तो। ....... पापा-मम्मी का पता नहीं ! आप ही पूछ लो न !







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