Monday, September 29, 2008

देखो - देखो भालू आया

ये देखो मेरी भालू वाली ड्रेस

क्या कहा? कंहा है भालू? देखो ये रहा मेरे T-shirt पर.. दिखा ?
अब आपने देख लिया न?..तो मुझे भी देखने दो..मेरे पास तो एक ही तरीका है देखने समझने का...


जब तक खा न लूँ.. मुझे समझ नहीं आता चीज़ क्या है.. पता है ये तो खाने में बिल्कुल आसान है.. और भालू भी गुदगु्दा है.. आराम से पकड़ में आता है..
पर ये क्या अभी तो खाना शुरु ही किया था.. पापा ने ड्रेस चेंज कर दी... ऐसा क्यों किया पापा?
प्यारे पापा फिर से पहना दो please

Sunday, September 28, 2008

स्वाद केले का

आख़िर गुरुवार की शाम समय आ ही गया जब मुझे केला खिलाया गया. और यह शुभ काम किया मोना मासी ने. मासी ने एक कटोरी में केले का टुकडा़ लिया और चम्मच से मेश कर थोडा़ थोड़ा मुझे खिलाया..


मैंने कोई शरारत नहीं की और प्यार से केले का मज़ा लेता रहा..
बहुत मीठा था केला.. मज़ा आया..

Friday, September 26, 2008

Do not disturb - आदि सो रहा है..

देखो मैं सो रहा हूँ.. अभी कोई शोर नहीं करना.. जब उठूगां तो फिर खूब खेलूंगा.. please.... do not disturb

Thursday, September 25, 2008

उपरी आहार के नये अनुभव..

अभी कुछ दिनों से मेरा ऊपरी आहार शुरू हुआ है. जितना नया मेरे लिए यह था उतना ही नया मम्मी पापा के लिए भी.
अभी कुछ दिनों से मेरे साथ मम्मी पापा भी सीख रहे हैं . मम्मी, मोना मासी और शिल्पी चाची से बात कर उनके अनुभव भी जानने की कोशिश कर रही है.. पता है, मम्मी के पास एक किताब है.know your child.. मम्मी इस किताब को पढ़ कर भी मुझे समझने की कोशिश कर रही है..मम्मी को ये किताब बहुत यह अच्छी लगती है..
अरे ! क्या बात करते- करते मैं कहां पहुँच गया। चलो फिर से मुद्दे पर आते हैं .. मेरा उपरी आहार दूध से शुरू हुआ. मम्मी ने दूध में शहद और पानी मिलाकर मुझे पिलाना प्रारम्भ किया..कटोरी और चम्मच से.. थोड़ी देर तक तो मैं पीता रहा.. पर मम्मी इतना धीरे-धीरे पिला रही थी कि मैं इंतजार नहीं कर पा रहा था.. और कटोरी-चम्मच को खुद अपने ही हाथ में लेने की जुगत लगाता रहा.. मम्मी के पास बहुत ताकत है.. मैं पहुँच ही नहीं पा रहा था.. मेरा प्रयास जारी था.. आखि़र में जीत मेरी ही हुई.. मम्मी को चम्मच हटा कर मुझे कटोरी से ही दूध पिलाना पडा़.. मैं जो चाहता था..
दूध का यह अनुभव ज्यादा दिन नहीं चला.. मम्मी को पता चला कि केवल दूध की तुलना में लेक्टोज़न देना मेरे लिए ज्यादा गुणकारी होगा.. बताते हैं, इसमें प्रोटीन, विटामिन और मिनरल सभी उपयुक्त मात्रा में होते हैं.. फिर क्या था.. मेरे लिए यह भी आ गया.. और मुझे लेक्टोजन पिलाया जाने लगा.. लेकिन कटोरी चम्म्च से नहीं.. मेरा नया sipper आया है.. इसे मैं खुद पकड़ सकता हूँ और अपनी इच्छानुसार दूध (लेक्टोजन) पी सकता हूँ.
लेकिन मम्मी यह मुझे दिन में केवल एक बार देती है , वो भी कभी कभी.. और पता है, अब यह भी ज्यादा दिन नहीं चलने वाला... क्योंकि पापा मम्मी feeding counseling के लिए डॉ. के पास गये थे. उनका कहना है कि यदि जरुरी हो तो तरल के बजाय मुझे अर्ध ठोस आहार देना चाहिये.. तो जल्दी ही मुझे केला मिलने बाला है. आप ने तो खाया ही होगा.. कैसा होता है ?

Tuesday, September 23, 2008

सर्दी (खांसी और जुका़म) के घरेलु नुस्खे

अभी कुछ दिन पहने मुझे सर्दी लग गई थी.. नाक बंद और तेज़ खांसी.. हालत ठीक नहीं थी... (अभी तो बिल्कुल ठीक हूँ, आप चिन्ता नहीं करना :-)
तो उन दिनों आप सभी की शुभकामनाओं के साथ कई तरह के घरेलु नुस्खे मिले.. आप सभी के लिए इन्हे यहां बता रहा हूँ..
१. मम्मी ने शहद के साथ तुलसी के पत्तों का रस दिया..

२. जितु भाई ने पापा को बताया कि आदि को हरी चाय के तीन पत्ते और तुलसी के तीन पत्ते पानी में उबाल कर उसका जूस, दूध या पानी के साथ मिला कर दें

३. मोना मासी ने कहा, आदि के सीने और तलुओ में चेसोल तेल (आयुर्वेदिक) की मालिश करें, पर यह थोडा़ तेज़ था तो मम्मी ने इसमे olive oil मिला कर मालिश की

४. रचना आंटी ने कहा कि रात में छाती पर गरम कड़वे तेल की मालिश करें और ज्यादा ठंड हो तो में एक बूंद बरांडी की मिला कर पियें

५. राज भाटिया अंकल मे कहा कि टोपी पहन कर रखें और एक चम्मच शहद मे एक चुट्की हल्दी मिला कर चटायें इससे छाती साफ़ रहती है

मैंने इनमे से कुछ तरीके अपनाए . बहुत असरदार है यह .. सर्दी का मौसम आने वाला है अगर जरुरत पडे़ तो आप भी आज़माना .

Monday, September 22, 2008

टेस्ट चेंज करते हैं!

बहुत दिनों से हाथ और खिलोने खाते- खाते बोर हो रहा था. एक दिन पेपर भी टेस्ट करके देख लिया.. लेकिन एक मिशन बहुत दिनों से अधूरा था. चलो आज उसे पूरा करते हैं.


यह देखो पांव आ रहा है न पकड़ में


हाँ ! आ गया पकड़ में

और यह भी गया मुँह में

और आज के लिए यह नया स्वाद.... मिशन complete!!! हु्र्रे...


(सीमा आंटी ! orange कलर के टी शर्ट में यह फोटो आपके लिये)

Sunday, September 21, 2008

पेपर देख कर बताता हूँ

मम्मी देखो! ये पेपर मिला है...

पढ़ कर बताता हूँ

पढ़ना तो अभी मुश्किल है, खा कर देख लेता हूँ..


अरे ! मेरा पेपर किसने लिया है? बताओ ना...

Thursday, September 18, 2008

दुध पीने से ताकत आती है !!

शनिवार (१३ सितम्बर) को मैं दिन में सो नहीं पा रहा था.. मम्मी समझ नहीं रही थी कि मुझे क्या हो गया है, मुझे हर समय मम्मी के पास ही रहना पसंद लग रहा था. जुकाम भी ठीक हो गया, बुखार भी नहीं था, पेट दर्द जैसी भी कोई बात नहीं लग रही थी.. तो आखिर क्या था.. मैं क्यों इतना बैचेन हो रहा था.. मम्मी को लगा कि शायद मेरा पेट नहीं भर रहा और मैं भूख से परेशान हूँ. काफी सोच विचार के बाद देर शाम यह तय हुआ कि आदि को ऊपर का दूध देना चाहिये.. तो फिर मेरे लिये बर्तन साफ किये गये.. दूध गर्म हुआ और फिर दूध पीने की तैयारी.. नई चीज़ थी तो मैं भी काफी excited था. थोड़ा तो दूध पिया पर शायद ये वो चिज़ नहीं थी जो मुझे चाहिये थी.. जैसे तैसे मैं खेलते खेलते सो गया.. एक बार सोने के बाद तो मस्त नींद आई..





रविवार को एक और प्रयोग हुआ.. सुबह पापा को लगा कि शायद मेरी समस्या भुख नहीं प्यास है... उन्हे मेरे होठ सुखे सुखे से लग रहे थे.. फिर क्या था.. पानी पिलाने की तैयारी हुई.. और मैने पानी भी पी कर देख लिया.. ये ठीक था..उन्हे लगा की मेरी प्यास कम हुई है..


अब मम्मी कभी कभी दूध और पानी पिलाती है क्या करु? जब तक मैं अपनी बात खुद नहीं बताऊंगा ये सब प्रयोग तो चलते रहेंगें...

Wednesday, September 17, 2008

मस्ती की पाठशाला

कल रात मम्मी के साथ खूब मस्ती की. खूब उछला, खेला और खिलखिला कर हँसा.. मस्ती की मेरी पाठशाला की एक झलक आपके लिए..


कैसे लगी आपको मेरी यह पाठशाला ? आप भी आना चाहते हैं ?

Tuesday, September 16, 2008

ताज़ी हवा का झोंका

शनिवार को हम पार्क में घूमने जा ही रहे थे कि अनुरंजन चाचा को फोन आ गया.. चाचा ने बताया कि दिल्ली में आतंकी हमला हुआ है.. तो पापा ने पार्क में जाने का प्रोग्राम cancel कर दिया :-(


लेकिन रविवार को मैं, पापा और मम्मी के साथ रोज़ गार्डन गया.. मम्मी कहती है कि ताज़ी हवा से oxygen मिलती है और इससे हममें ताज़गी आती है..


शाम को 6 बजे हम पार्क पहुँच गये.. अरे वाह ! पार्क में बहुत लोग थे.. कोई टहल रहा था, तो कोई दौड़ रहा था.. कोई लेटा था तो कोई कसरत कर रहा था.. और मैं अपनी गाड़ी से सबको देख, समझ रहा था..


हमने पार्क का एक चक्कर लगाया.. और चक्कर पूरा होते-होते मुझे नींद आने लगी.. पापा-मम्मी आप ही घूम लो पार्क में.. मैं तो ताज़ी हवा का आनन्द सो कर लूंगा .


Monday, September 15, 2008

क्यों बदलते हैं मौसम ?

पिछले सप्ताह मैं इस बदलते मौसम की चपेट में आ गया.. ज़्यादा कुछ नहीं बस जुकाम हो गया.. और तो कोई बात नहीं. मेरे पापा भी बाहर गये हुए थे.. लेकिन मम्मी तो मेरे पास ही थी इसलिए कोई चिन्ता नहीं थी.. मम्मी ने मुझे शहद और तुलसी का रस मिला कर दिया, मम्मी को लगता था, उससे मैं ठीक हो जाऊँगा. पर मामला जमा नहीं... फिर मम्मी मुझे डाक्टर के पास ले गई.. थोड़ी बहुत दवा खाई और मैं ठीक हो गया. पता है, मैं जिस अस्पताल मैं जाता हूँ वहाँ एक नर्स दीदी से मेरी अच्छी दोस्ती हो गई है.. वह मुझसे बहुत बातें करती है और मुझे भी उनकी गोद में रहना अच्छा लगता है. लेकिन, इन सब से मेरे खेलने और गाने में कोई कमी नहीं आई.. और यह पहन कर तो मुझे बहुत मज़ा आया.. कैसा लग रहा हूँ मैं ?

और यह है मेरी नई दोस्त..

लेकिन आप एक बात बताओ, यह मौसम क्यों बदलते हैं ? क्यों हमें बीमार कर देते हैं.

Sunday, September 14, 2008

मेरे नये खिलौने

जोधपुर से मेरे खिलौने आ गये है.. और उनमें से मेरा नया फेवरेट है ये वाला..
पता है ये मेरा फेवरेट क्यों है ? क्योकिं इसमें मेरे खेलने और खाने के लिये बहुत कुछ है. एक तो ये आसानी से मेरे मुँह में आ जाता है और इसके दोनों और लगे apple और कार भी मेरे पहुँच में है.
और तो और ये इतना हल्का है की मैं इसे आराम से उठा सकता हुँ और जैसे चाहे वैसे घुमा फिरा सकता हुँ.
एक नया बन्दर भी मेरे खिलौनो में आया है.. बहुत cute है.. बिल्कुल मेरे जैसा.. कहाँ से आया ? ये तो अभी नहीं बता सकता.. अरे सारी बातें थोडी़ बताने की होती है.. आप तो बस इसे देखो..

Wednesday, September 10, 2008

मुस्कराते रहें

मुस्कराते रहें.. खुश रहें..

आपका दिन शुभ हो.. आज इतना ही

Tuesday, September 9, 2008

मम्मी की क्लास - flash back

पिछली पोस्ट में मैंने आपको बताया कि मैं बीमार हो गया और मुझे सरोज अस्पताल में भर्ती होना पड़ा. वहां एक दिन मम्मी ने शिकायत की कि आदि दूध अच्छे से नहीं पी पाता है, थोड़ी-थोड़ी देर से दूध मांगता है, शायद इसका पेट नहीं भर रहा.. वगैरह-वगैरह...

पापा को भी लगा कि कुछ समस्या है.. मेरा वज़न भी नहीं बढ़ रहा था.. पापा ने डॉ. अंकल को फोन लगाया और समस्या बताई.. रात के 10:15 हो रहे थे उस समय.. उन्होंने बताया कि वह मुझे देखने आ रहे हैं ..

थोड़ी ही देर में वह आ गये.. उन्होंने मम्मी से बात की, उन्हें लगा कि मम्मी को अच्छे से समझाना चाहिये.. उन्होंने BPNI की बनाई एक flip book मंगाई और मम्मी को समझाने लगे.. breastfeeding क्यों ज़रुरी है, postuer कैसा हो, fore milk और hind milk क्या होता है इत्यादि इत्यादि.. पापा और नानी भी पूरी दिलचस्पी से सुन रहे थे. पता है ,मम्मी की क्लास पूरे 45 मिनट चली... उन्होंने यह भी कहा कि दूध पिलाने में कम से कम तीन घंटे का अन्तर रखें .

ख़ैर ! तीन घंटे का अन्तर तो मैंने मम्मी को कभी नहीं रखने दिया पर अंतर बढ़ाने में भरपूर सहयोग दिया.

Monday, September 8, 2008

जब मैं बहुत बीमार हो गया था

पता है, जब मैं छोटा था तो बहुत बीमार हो गया था. कमला नगर अस्पताल में जन्म के 5 दिनों के बाद मैं नानी के घर गया.वहाँ मुझे नाना,मामा-मामी, मासी सभी मिले. उन्होंने मेरे आने की पूरी तैयारी कर रखी थी.
नई जगह आकर मैं खुश था.कुछ समय तक तो मैं ठीक रहा पर रात में मुझे तेज़ बुखार आ गया. मम्मी रात-भर मेरे माथे पर गिली पट्टी रख बुखार कम करने की कोशिश करती रही पर बुखार तो कम होने का नाम ही नहीं ले रहा था और मैं धीरे-धीरे सुस्त होता जा रहा था. पता है, मेरी आँखें भी नहीं खुल पा रही थी.
जैसे-तैसे सुबह हुई पर मेरी हालत में कोई परिवर्तन नहीं हुआ.. पापा सुबह ही नानी के घर आ गये और मुझे डॉ. राज धारिवाल के पास ले गये.. डॉ अंकल मे मेरी अच्छी तरह से जाँच की और कहा कि मुझे septicemia है. उन्होंने मेरे खून की जाँच की और मुझे इंजेक्शन लगा कर घर भेज दिया..
septicemia का नाम सुन कर पापा चौकन्ने हो गये, उन्होंने प्रकाश अंकल से बात की और तय किया कि मुझे एक और डॉक्टर के पास ले जायेंगे. पता है, मेरा वज़न भी कम हो गया था..
शाम को पापा और नानी मुझे लेकर डॉ अनुराग सिंह के पास गये.. डॉ अंकल का अस्पताल (सरोज अस्पताल) नानी के घर से बहुत दूर था. फिर भी जाना तो था ही ना.
इस डॉ. अंकल ने भी septicemia का ही संदेह जताया और मुझे admit करने की सलाह दी. पापा को भी यही ठीक लग रहा था.. और मैं एक अस्पताल से निकल कर दूसरे में भर्ती हो गया :( . मुझे पहली मंज़िल पर एक कमरा दे दिया गया. थोड़ी देर बाद पापा मम्मी को भी अस्पताल ले आये, पर मम्मी सीढ़ी नहीं चढ़ पा रही थी और अस्पताल में लिफ़्ट तो थी नहीं! तो समस्या हुई कि मम्मी को मेरे पास कैसे ले जाएं? . फिर मम्मी को स्ट्रेचर पर उठा कर मेरे पास लाया गया.
मुझे drip लगा कर मम्मी के पास लिटा दिया.. हाँ! एक बात और यहाँ रोज़-रोज़ सुई नहीं लगती थी.. पता है क्यों? क्योंकि उन्होंने मेरे हाथ में स्थाई रुप से एक स्टैंड लगा दिया.. अब हर इन्जेक्शन इससे ही लगता था..
मैं अस्पताल में 4 दिनों तक रहा.. दिन में दादी मेरे पास रहती थी, तो रात में नानी.. मम्मी-पापा तो पूरे समय अस्पताल में ही रहे. गुड़िया बुआ भी मुझे देखने आती थी...
मुझे सुबह शाम इंजेक्शन लग रहे थे और मैं धीरे-धीरे ठीक हो रहा था.. पहले दो दिन तक तो डॉ. कहते रहे रहे थे कि मेरी condition stable है.. तीसरे दिन शाम को उन्होंने कि "he is out of danger..." यह सुनने को मम्मी-पापा तीन दिनों से इन्तजार कर रहे थे..
अगले दिन अस्पताल से मेरी छुट्टी हो गई.. डॉ. अंकल ने कहा कि कुछ इंजेक्शन घर पर ही लगवा देना..

मेरे चेहरे की मुस्कान फिर से लौट आई... thank you डॉ. अंकल, thank you प्रकाश अंकल..

Saturday, September 6, 2008

कैसे हुआ मैं आदित्य रंजन



मम्मी पापा ने होम वर्क नहीं किया.. उन्होंने मेरे जन्म से पहने मेरे लिए कोई नाम ही नहीं सोचा.. और जन्म के बाद इन्टरनेट पर मेरे लिए नाम ढूँढ़ते रहे.. पर कुछ तय नहीं कर पा रहे थे. पापा ने अंशु चाचा को भी इस काम पर लगा दिया। वह भी कुछ ढूँढ़ते रहे....नानी भी एक किताब लेकर काम में लगी रही.. पर अनुरंजन चाचा तो बहुत तेज़ निकले... चूँकि बडे़ भैया का नाम दादा ने ऋषभ रखा था तो उन्होंने एक अन्य जैन तिर्थंकर के नाम पर मुझे आदिनाथ कहना शुरू कर दिया.. तो मैं "आदि नाथ" हो गया.. मम्मी प्यार से मुझे आदि कहने लगी और पापा ने आदि से आदित्य कर दिया.. और परिवार नाम मोहनोत के बजाय पापा को प्रकाश चाचा का idea पसंद आया और मेरा पूरा नाम हो गया आदित्य रंजन... आपको पसंद आया ?

Friday, September 5, 2008

लिकमाराम जी है कई सा ?

लिकमाराम जी है कई सा ?

आज आपको एक छोटा सा किस्सा सुनाता हूँ.. ये बात तब कि है जब मैं तीन दिन का था. उन दिनों मैं मम्मी के साथ जोधपुर के कमला नगर अस्पताल में था.. शाम के करीब 4-5 बज रहे थे.. तभी हमारे कमरे का दरवाज़ा खुला और एक प्रौढ़ (जो गल्ती से हमारे कमरे मै आ गये थे) से दिखने वाले सज्जन ने पु्छा "लिकमाराम जी है कई सा ?" सब आशचर्यचकित हो उन्हे ताकने लगे.. तभी पापा मेरी तरफ देख कर बोले "लिकमाराम जी सो रहे है सा..." उन्हे अपनी गल्ती पता चली और सभी लोग ठहाके लगा कर हँसने लगे.. मम्मी तो आज भी ये बात याद कर हसँती है.

लिकमाराम जी है कई सा ?

लिकमाराम जी है कई सा ?

आज आपको एक छोटा-सा क़िस्सा सुनाता हूँ.. यह बात तब की है, जब मैं तीन दिन का था. उन दिनों मैं मम्मी के साथ जोधपुर के कमला नगर अस्पताल में था.. शाम के क़रीब 4-5 बज रहे थे.. तभी हमारे कमरे का दरवाज़ा खुला और एक प्रौढ़ (जो गल्ती से हमारे कमरे में आ गये थे) से दिखने वाले सज्जन ने पूछा, "लिकमाराम जी है कई सा ?" सब आश्चर्यचकित हो उन्हें ताकने लगे.. तभी पापा मेरी तरफ़ देख कर बोले, "लिकमाराम जी सो रहे है सा..." उन्हें अपनी गल्ती पता चली और सभी लोग ठहाके लगा कर हँसने लगे.. मम्मी तो आज भी यह बात याद कर हँसती है.

Tuesday, September 2, 2008

बातें चार महीने की

आज मैं चार माह का हो गया हूँ.... इन चार महीनों में क्या-क्या हुआ, आपको संक्षेप मे बताता हूँ.


सेहत
1. अब तक मुझे BCG का टीका और Easy Five (DPT, Hib, Hepatitis B) और Polio के तीन टीके लग चुके हैं.
2. जब मैं 5 दिन का था, तो मुझे इंफेक्शन हो गया था और 5 दिनों तक अस्पताल में रहना पड़ा था [इसके बारे में आपको विस्तार से बाद में बताऊँगा ]
3. कुछ दिन पहने मुझे हल्का वायरल हुआ था.. इसे छोड़ दें तो मेरी सेहत अच्छी रही..

घूमना-फिरना
1. मैं जोधपुर में तो नानी से दादी के घर और दादी से नानी के घर घूमता रहा.
2. काले गोरे भैरु जी और बेमाता से मिलने मण्डोर गया.
3. जोधपुर से मम्मी के साथ हवाई जहाज से दिल्ली आया
4. पापा और परी दीदी का बर्थ डे मनाने गुड़्गाँव गया.
5. सभी परिजनों से मिलने कार से नाथद्वारा गया था.

मिलना-जुलना
1. जोधपुर में सभी परिचित मुझसे मिलने आए..
2. दिल्ली आने के बाद रमेश ताऊ, अंजु ताई, परी दीदी, रितु आंटी, मर्सी आंटी, पल्लवी आंटी, गोपाल अंकल, स्वाति आंटी, रुबेन अंकल, मधुसुदन मामा और मामी, सुनील मामा और मामी, मनोज मामा, पिंकु चाचा, चंदु मामी दादी, राशी आंटी, ब्रजेश अंकल मुझसे मिलने आये.
3. नाथद्वारा में सभी परिजन मिले..
4. पापा-मम्मी के ऑफिस भी गया और सभी से मिला.
5. अनुरंजन, निरंजन चाचा, नेहा चाची, प्राची दीदी, मधु मासी से अभी तक मिलना नहीं हो पाया.... दिपावली पर मिलूँगा .

शोपिंग
शोपिंग करने तो बस मालवीय नगर मार्केट और मेट्रोपोलिटन मॉल ही गया.

खाना-पीना
वैसे तो अभी मैं केवल दूध (स्तनपान) पीता हूँ. पर मम्मी मुझे कभी - कभी आयुर्वेदिक दवा जैसे शहद, तुलसी, जायफल, हरड़, अदरक भी दे देती है.

सीखना
1. मैंने खिलौना पकड़ना सीख लिया
2. मैंने सिर उठाना सीख लिया
3. मैंने ज़ोर से हँसना और ज़ोर से रोना सीख लिया
4. अगर कोई सुला दे तो मैं करवट पर सो सकता हूँ

मित्र
1. जोधपुर में प्रीति दीदी मुझसे मिलने रोज़ आती थी, दीदी मेरे साथ बहुत खेलती थी और बहुत प्यार करती थी.
2. इस ब्लोग के ज़रिये आप सब से भी दोस्ती हुई. आपका शुक्रिया.
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