Saturday, September 6, 2008
कैसे हुआ मैं आदित्य रंजन
मम्मी पापा ने होम वर्क नहीं किया.. उन्होंने मेरे जन्म से पहने मेरे लिए कोई नाम ही नहीं सोचा.. और जन्म के बाद इन्टरनेट पर मेरे लिए नाम ढूँढ़ते रहे.. पर कुछ तय नहीं कर पा रहे थे. पापा ने अंशु चाचा को भी इस काम पर लगा दिया। वह भी कुछ ढूँढ़ते रहे....नानी भी एक किताब लेकर काम में लगी रही.. पर अनुरंजन चाचा तो बहुत तेज़ निकले... चूँकि बडे़ भैया का नाम दादा ने ऋषभ रखा था तो उन्होंने एक अन्य जैन तिर्थंकर के नाम पर मुझे आदिनाथ कहना शुरू कर दिया.. तो मैं "आदि नाथ" हो गया.. मम्मी प्यार से मुझे आदि कहने लगी और पापा ने आदि से आदित्य कर दिया.. और परिवार नाम मोहनोत के बजाय पापा को प्रकाश चाचा का idea पसंद आया और मेरा पूरा नाम हो गया आदित्य रंजन... आपको पसंद आया ?
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Hi, todays pic is sooooooooooooooooo loving, feeling like to play with you han, again pink colour han favuols, hi adee, ek fermayeesh hai yar, i waana see u in orange dress if u had han, pls...., u know i wear ornage colour thrice in a week han, and i am sure it will suits u too much. God bless u with all the happynes in your life. its really a great feeling to read about you and see you in different moods han. u always make me fresh by your view.
ReplyDelete"love Ya"
arre vaah . badi mehnat karni padi aapka naaam khojne main. vaise aapka naam bhi aapki tarah cute hai.
ReplyDeleteek pucchi meri taraf se...
सीमा आंटी.. thank you..जल्द ही ogange कलर कि ड्रेस में फोटो लगाता हुँ..
ReplyDeleteविनीता आंटी.. thanks प्यारी pucchi के लिये..
पसन्द आया।
ReplyDeleteआदि बातें ही इतनी अच्छी करता है । भला पसंद कैसे नहीं आएगी
ReplyDeleteअब मालूम चल गया अपने प्यारे आदि के आदित्य रंजन नाम का राज. अब से हम भी आदि और आदित्य ही बोलेंगे अपने बबुआ को. हा हा!! अब तो चद्दर में से निकल आओ. बहुत प्यारे हो, आदि. :)
ReplyDeleteभाई बाकी किस्सा तो पसंद आया लेकिन ऋषभदेव का नाम ही आदिनाथ था। ये जैन धर्म के पहले तीर्थकर थे।
ReplyDeleteधन्यवाद संगीता आंटी और राजीव अंकल और मेरे फेवरेट उड़न तश्तरी अंकल..
ReplyDeleteऔर राजीव अंकल आपको special thanks.. अब तो मेरे और भैया का नाम एक ही हो गया... :)