कल शाम को अच्छी बरसात हुई मौसम भी काफी ठण्डा हो गया.. पापा मम्मी के आने का समय भी हो गया पर वो कुछ लेट थे.. पर जब आये तो उनके हाथों में रंग बिरंगे डिब्बे थे.. आहा मेरे लिये गरमा गरम जलेबियां आई थी.. आया न मुँह में पानी? मेरे मुँह में भी आया था.. फिर क्या डिब्बा खोलो जलेबी खाओ..
मेरी जलेबी पर नजर तो नहीं है आपकी?
जलेबी खाने के बाद.. रस भी तो कम स्वादिष्ट नहीं होता... अंगुली से लो और..
चाट लो अंगुली.. ये किसी ने सिखाया नहीं है.. अनुभव से सिखा है हमने..
वैसे शिव अंकल कल चिट्ठा चर्चा में मिठाई की बात कर रहे थे..कह रहे थे "आदित्य की नैनो देखिये और उससे मिठाई की मांग कीजिये. नई कार आई और आदित्य ने मिठाई नहीं खिलाई. ऐसे चलता है क्या?"
शिव अंकल आप चिन्ता न करें..मैंने मिठाई खा ली है.. :))
है पसंद?
अरे आदित्य बेटा तुमने तो अकेले अकेले जलेबी खा लिया ! मुझे तो जलेबी बहुत पसंद है! जलेबी देखकर मुँह में पानी आ गया! ज़रा रुको मैं आती हूँ फिर हम दोनों साथ जलेबी खायेंगे!
ReplyDeleteआदि, हमारे मूँह में तो पानी आ गया..अब हमारा क्या करें...जल्दी आता हूँ तुम्हारे पास..पापा को कह देना कि सब मिठाई लाकर रखें जितनी दिखा कर हमें ललचा रहे हैं.
ReplyDeleteहमें भी जबेली खानी है..
ReplyDeleteतुम एक इतनी छोटी सी जान अौर इतनी सारी जलेबी (?)...कुछ बचा कर भी रख लेना आदि...
ReplyDeleteअरे वाह यार मुंह में वाकई पानी ले आये.. अब तो जलेबी की तलब लग गयी है..शाम तक खानी पड़ेगी..
ReplyDeleteओये हीरो इतना दिल क्यों जला रहे हो हाँ.........एक आध इधर भी दो ना...........
ReplyDeletelove ya
Arre dost, hame bhi to khilao.
ReplyDeleteआदि बेटे , इतनी जलेबी तुम नहीं खा पाओगे .. मेरी और तेरी पसंद बहुत मिलती है .. मुझे अपने साथ रहने दो .. तेरे बहाने मैं भी खाती रहूंगी पसंदीदा चीजें !!
ReplyDeleteaare aadi baba jileba kha rahe hai,vaise nano aadi ki ,tho saari jilebi bhi aadi ki ,hai na.
ReplyDeleteअकेले अकेले :) जलेबी तो मुझे भी बहुत पसंद है ..बचा लेना थोडी सी
ReplyDeleteखूब जलेबी खाय, कछु मुँह पै लिपटावत.
ReplyDeleteआदि तुमको प्यार, हमें यूँ क्यों ललचावत ?
aadiya ko jlebi khate dekh sab ka man jalebi khane ka ho aayaa....looking cute...
ReplyDeleteआदि।
ReplyDeleteअकेले-अकेले ही खा रहे हो।
कुछ हमारे लिए भी छोड़ दो भाई।
बरसात का मौसम और गर्म जलेबी क्या कहने आदि भाई ।
ReplyDeleteखाओ-खाओ ख़ूब खाओ, हम तो तुम्हें खाता देखकर ही मज़ा ले रहे हैं!
ReplyDelete---
चाँद, बादल और शाम
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ReplyDeleteवाह बेटे...खुद ने तो खाली..और हमारा नुक्सान..अब जाकर जलेबी खरीद कर लानी पडेगी..तब चैन पडेगा.:)
ReplyDeleteरामराम.
बहुत ही बढिया ....पर जलेबी खाना मुझे भी बहुत पसन्द है ......लगे रहो...........
ReplyDeleteये चीज़ अपनी भी कमजोरी है...डिब्बा दिखा दिखा कर काहे ललचा रहे हो. सच में अब तो शाम तक इंतजाम करना पड़ेगा.
ReplyDeleteyaar sabke mumh main pani aa raha hai...
ReplyDeletepar mere mumh min garma garam jalebi ka taste aa raha hai...
aur ab toh khusbu bhi..
aur ab man lalcha raha hai..
....
yaar yeh kya tha..
aise akele akele nahi khate...
mil baant kar khana chahiye..
...
अरे आदि, तुम तो छाली जबेली खा गये.
ReplyDeleteये अच्चा नी है.......
अरे अब हमें भी खानी है! हमारे घर तो पड़ोस के धन्नो हलवाई के यहां से आती है!
ReplyDeleteअरे आदि ! कल की बरसात का तो हमने भी खूब मजा लिया लगभग एक घंटे तक बरसात में नहाते हुई बाइक चलाई और लेकिन घर पहुँचने के बाद ये जलेबियाँ तो नहीं मिली लेकिन पकौडियां खाने का मजा खूब आया |
ReplyDeleteare aadi,
ReplyDeleteakele akele jalebi chal rahi hai? neeraj ko nahin poochhoge? chalo, koi baat nahin,
सही है बेटा मौज ले रहे हो...हमारे मुंह में भी पानी आ रहा है
ReplyDeletemuh me pani aa gaya beta...
ReplyDeletekewal khai hi...
ReplyDeleteganda baccha
:)
humein bhi kuch de deta....
(hum bhi agar bacche hote...)
आदि बेटा
ReplyDeleteये सब जो आपसे जलेबी मांग रहे हैं उन सबसे पहला आपके साथ जलेबी खाने का अधिकार हमारा बनता है। है कि नहीं?
:)
खूब जलेबी खाऒ और ऊपर से गरमा गरम दूध भी पीओ.. मजा आयेगा।
वाह! जलेबी? अकेले-अकेले खा लिया छोटू?
ReplyDeleteये अच्छी बात है. वैसे मैं भी हाल में ही घुन्नन के साथ चोटिया जलेबी खा चुका हूं. दिल्ली आता हूँ तो तुम्हारे साथ फिर से खाऊंगा.