पता है दादी दिल्ली आई थी.. हाँ पिछले बुधवार (८ जुलाई) को पापा बहुत दिनों बाद दिल्ली आये और उसी दिन मम्मी को भी बाहर जाना था.. पापा बड़ी असमंझस कि स्थिति में थे.. कुछ नहीं सुझा तो तुरंत दादी को फोन लगाया और और दादी शाम की ट्रेन में बैठ गुरुवार कि सुबह दिल्ली आ गई.. है न मेरी दादी प्यारी..
धीरे धीरे दादी से दोस्ती भी हो गई और कल शाम दादी के वापस जाने से पहले उनके साथ खुब मस्ती की..
दादी के साथ कानिया मानिया कुर्र वाला खेल खेला...दादी मेरे कान के पास आकर जोर से कुर्रर किया और मैने इस गुदगिदी का खुब मजा लिया.. और तुरंत दुसरा कान आगे कर दिया..
बडा़ मजा आया दादी के साथ खेल कर.. इसके बाद एक और खेल भी खेला.. वो बताऊगां कल..
मजा आया.. गुदगुदी हुई!!
ओये हीरो..............दादी के साथ सच मे बहुत मजा आया.....काश हम भी आदि की उम्र के हो जाएँ है न....
ReplyDeletelove ya
हमें ललचा ललचाकर खुद इतने मजे करते हो !!
ReplyDeleteaare waah aadi aur dadi dono milke khub maze kar rahe hai,bahut khub,vaise dadi ji ki aachanl chav mein aap lag bahut pyare rahe ho.aapki dadi ji ko hamara pranam kahe.
ReplyDeleteखुब मस्ती करते रहो मेरे दोस्त
ReplyDeleteआभार/शुभकामनाओ सहित
हे प्रभु यह तेरापन्थ
मुम्बई टाईगर
दादी होती ही ऐसी है...मजेदार...प्यारी सी...
ReplyDeleteनीरज
क्या कहें, अपनी अपनी किस्मत है।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
हम चचेरे भाइयों सहित सात भाई हैं , बचपन में अम्मा की गोद में बैठने को लेकर बहुत झगड़ते थे !
ReplyDeleteक्या जोड़ी है आदि और दादी की।
ReplyDeleteबहुत खूब भई.. ददी को ऐसे और बहुत से खेल आते हैं, जब तक यहां रहे सब सीख लो बाद में मम्मी आये तब उन्हे भी सिखा देना।
:)
वाह बेटे..ऐश करो..पर दादीजी को हमारी प्रणाम तो कह देना. इत्ता सा काम तो कर ही देगा तू?
ReplyDeleteरामराम.
वाह वाह इतना सारा प्यार मिला, बड़े ख़ुशक़िस्मत हो।
ReplyDeleteमस्ती के दिन हैं, मस्ती तो करोगे ही. लेकिन बेवकूफ भी खूब बनाते हो. तुमने कहा की दूसरा कान भी आगे कर दिया. सरासर गलत. फोटो झूट बोलेगा
ReplyDeleteक्या? दादी से मिलवाये इसके लिए एक आइसक्रीम हमारी तरफ से.
सुब्रमनीयम अंकल..
ReplyDeleteये सरासर पापा कि गल्ति है.. एक तरफ से ही तस्विरें ले रहे थे.. अगर थोड़ा घुमते तभी तो दुसरी तरफ से अच्छी फोटो आती.. अच्छा किया आपने पकड़ लिया..
दादियां नानियां भगवान बनाते ही इसी काम के लिये हैं - कानिया मानिया कुर्र के लिये! :)
ReplyDeletekhoob maze kar rahe ho beta ji...mann bhi nani ke saath khel (chiriya udi.....) karta hai...
ReplyDeleteवाह....
ReplyDeleteहम भी अपने पौत्र-पौत्री के साथ
ऐसे ही खेलते हैं।
क्या तुम
हमारे साथ भी खेलोगे आदि बेटा!
वाह, दादी से घुलमिलकर खेल रहा है:)
ReplyDeleteवाह!! दादी के साथ खेला जा रहा है, मजे हैं भई.
ReplyDeleteदादी को हमारा भी चरण स्पर्श कह देना.
आदि दादी के साथ तो खेलने व बड़े होने पर कहानियां सुनने में बड़ा मजा आता है आज तुमने तो अपनी दादी दिखा हमें भी अपनी की याद ताजा करा दी | दादी जी को हमारा भी प्रणाम कहना |
ReplyDeleteअरे आदि ये खेल तो मै भी खेलती हूँ अरे पहले क्यों नही बताया तो आज कल खूब मज़े ले रहे हो दादी के साथ आशीर्वाद्
ReplyDeleteदादियाँ होती ही इस लिए अपने पोतो पोतियों से खेलने के लिए . मेरी दादी कुमाऊ से थी एक गीत गाती थी जिसमे घघुती बसुती का जिक्र होता था
ReplyDeletemauj le rahe ho beta
ReplyDeleteआदि बेटा दादी का दिल भी लग गया तेरे साथ, ओर अब दोनो खुब खेलो, दादी दादा ऎसे हि होते है बेटा.
ReplyDeleteबहुत सा प्यार तुम्हे ओर दादी को प्रणाम
aap ke khel bhee nirale hai
ReplyDelete