नहीं पता चला, मैं बताता हूँ.. मैंने मुँह में अँगुली डालना सीख लिया है.. मैं ख़ाली समय में दायें हाथ की एक अँगुली मुँह में रख लेता हूँ.. मम्मी सोचती है कि भूख लगी है पर उन्हें क्या पता यह मेरा नया शग़ल है..
जैसी उम्मीद थी मेरे नाखुन नहीं रहे। पापा ने काट दिये जब मैं दूध पी रहा था।
पापा की ट्रेनिंग पूरी हो गई है। अब पापा मुझे आराम से उठा लेते है।
(सोमवार, १४ जुलाई)
बहुत छोटे बच्चों की देखने, सुनने व स्पर्श करने की शक्ति बहुत कमज़ोर होती है। लेकिन उनके मुख में तंत्रिकायें बहुत विकसित होती हैं। इसीलिये वो सभी चीज़ों को मुंह में डालकर उसे जांचते-परखते हैं। आदित्य आप भी ऐसा ही कर रहे हैं। आपके पापा ने आपके नाखून काटकर एक अच्छा काम किया है। इससे आप कई सारे छुआछूत के रोगों से बचे रहेंगे। नहाते समय मम्मी को आपके हाथ दो बार धुलवाना न भूलें!
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