Monday, April 27, 2009

हल्दी की रस्म

चाचा की शादी तो १७ अप्रेल की थी, पर शादी के कार्यक्रम १५ तारिख से ही शुरु हो गये.. १५ की सुबह तक सारा कुनबा भी इक्ट्ठा हो गया था.. १५ तारिख को ४ खास कार्यक्रम थे..  सुबह चाचा का मुंडन था होने वाली चाची भी आई थी.. मुंडन में तो मेरा कोई काम नहीं था पर चाची को तिलक तो मुझे लगाना ही था..
चाची के टीका लगाने के बाद चाचा का नम्बर था, चाचा दूर कहां जा रहे हो?


शाम को हल्दी की रस्म हुई. मैं भी तैयार था, चाचा को हल्दी लगाने के लिये


मजा आया हरिये (मुंग) बिखेरने वाली रस्म में... ये काम तो मैं बहुत अच्छे से कर सकता हूँ.. और बीच बीच में हरिये खाने को भी मिल जाते है.
.
 
ये सब के बाद देर शाम को संगीत का कार्यक्रम हुआ.. मैं भी सज धज कर पहुच गया संगीत का मजा लेने, स्टेज पर तो मौका नही मिला पर संगीत बहुत एंजोय किया..

अब आप मिलिये चाचा-चाची से...


सुबह से इतने काम कर मैं तो बहुत थक गया, मैं चला सोने...  देखो कैसे मेरे बिस्तर का इंतजाम हुआ है..

कल मिलते है, आगे के हाल के साथ..

9 comments:

  1. बहुत जोरदार हाल चाल बताया यार पल्टू जी आपने शादी का तो. पर ये क्या आप तो कमेंट्री करते २ बीच मे ही सो गये?:)

    रामराम.

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  2. हीरो बहुत सुंदर लग रहे हो हर तस्वीर मे और लगता है सारी जिम्मेवारी आदी पर ही थी ...नन्ही सी जान और इतना काम है न ...और चाचा चाची को ढेर सारा आशीर्वाद ."

    love ya

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  3. बहुत गजब लग रहे हो, नीले कुर्ते में..हमें तो शक है कि शादी के लिए कोई तुम्हें भी पसंद कर गया होगा.
    बहुत मस्त पोस्ट है. फोटो देखकर और पोस्ट पढ़कर बहुत आनंद आया.

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  4. एक से एक धांसू कुर्ते बनवाये हो भई..हमें तो लगा कि तुम्हारी ही शादी है. :)

    बहुत प्यारे लग रहे हो..फोटो से पूरी कहानी कह दी.

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  5. aare waah aadi bahut pyare lag rahe ho aap,shandar kurte:),sunder photo,chacha chachi ko bahut badhai.

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  6. इत्ता काम करते हो तो नींद तो कस कर आयेगी ही। अब तुम न होते तो यह शादी भला कैसे होती!

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  7. अरे वाह !! मतलब खूब मस्ती करके लौटे हो शादी से..

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  8. पल्टू जी "हल्दी की रस्म" आपने सजीव कर दी।

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कैसी लगी आपको आदि की बातें ? जरुर बतायें

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