Saturday, December 12, 2009

आमने सामने

"बाबा" के चश्मे पर जैसे ही मेरी नजर पड़ी मैंने उसे अपना समझ के हक़ जता दिया.. और एक बार में हक़ जता दूँ फिर तो लेकर ही मानता हूँ.....  हीरो लग रहा हूँ न मैं...




आँखों पर चढाने की कोशिश की जाए..


अरे आप देख रहे हैं न?


अब ज़रा कॉच में भी नजर डाल ली जाए..


अब बताओ लग रहा हूँ न समीर अंकल जैसा!!

आमने - सामने

पसंद आया..

11 comments:

  1. रे हीरो काला टीका लगा ले नज़र न लगे। आशीर्वाद्

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  2. kaafi achhi tasveeren hain..

    apka blog bhi behad khoobsurat hai :)

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  3. ए हीरो..हम को ही टक्कर...


    बहुत जम रहे हो!! :)

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  4. वाह बेटा!
    आज तो समीर के अंकल लग रहे हो!

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  5. समीर अंकल तुम्हारे साथ गोरे से लग रहे है

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  6. अरे भाई तुम तो बहुत सुन्दर दिख रहे हो !

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  7. bahut sundar lag rahe ho beta, kala teeka laga lo pleeeeez:)

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  8. वाह बेटा..बढिया जोडीदार ढूंढा है. एक बाबा समीरानंद और दूसरा बाबा आदित्यानंद.:) समीरानंद आश्रम मे आजा..तेरे प्रवचन भी शुरु करवा देते हैं.:)

    रामराम.

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  9. ही ही ही । आदि भैया आप पर नहीं । समीर अंकल पर । ही ही ही । वो आपके जैसे लग रहे हैं । ही ही ही

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  10. बड़ा कंफ्यूजन है! कौन है आदित्य और कौन समीरलाल?! :)

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  11. वाह !
    चस्मा लगाने की प्रेणना समीर जी से ही प्राप्त हो रही है ..

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कैसी लगी आपको आदि की बातें ? जरुर बतायें

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