काऊ (गाय) को रोटी और घास खिलाना जोधपुर में मेरा पसंदीदा काम है.... सुबह अगर कोई काऊ का नाम ले ले तो एक दम उठ कर तैयार हो जाता हूँ.. काऊ को रोटी खिलाने... स्कुल जाते हुए रास्ते में काऊ को घास खिलाना भी बहुत जरुरी है...
दीपावली के दिन नेहा चाची ने बहुत सुन्दर रंगोली बनाई...
रंगोली की सुरक्षा के लिए पुरे इंतजाम भी किये गए..
मैंने भी सुरक्षा व्यवस्था का पूरा सम्मान किया.. और रंगोली को दीपावली के दिन रहने दिया... लेकिन अगले दिन सुबह सुरक्षा में ढील हुई.. और मैंने भी रंगोली बनाने की कोशिश की...
और मुंडन भी.. लेकिन मुझे motivate करने के लिए सब गीत गा रहे थे... ताली बजा रहे थे...
और खुशी खुशी आगे के बाल गायब...
और फिर पीछे के भी...
मुंडन ओवर...
(पता है जिस कैमरे से फोटो खींची थी.. उसका कार्ड खराब हो गया और सारे फोटो गायब.. बस ये बचे थे.... फिर कल रात चमत्कार हुआ... और सारे फोटो रिकवर हो गए... :)
आज मुंडन है और कल रात घर में मेहंदी लगाई जा रही थी.. हाथों पर चित्रकारी होते देख मैंने भी अपने हाथ आगे कर दिए.. आखिर मुंडन तो मेरा होना है...
शुरुआत मम्मु ने की..
और फिर आवंला चाची ने..
आवंला चाची इसलिए की वो मुझे आवंला खिलाती है...
हथेली पर जब मेहंदी लग गई तो मैंने फरमाइश कर दी.. अंगुली पर भी लगा दो...
ये देखो!! है न सुन्दर..
एक हाथ जब हो गया.. तो मैंने तुरंत ही दूसरा हाथ भी आगे कर दिया... और इस बार फरमाइश थी "काऊ" बनाने की.. "काऊ" वाली मेहंदी? पर चाची कोशिश कर रही है.. काऊ बनाने की...
हो गई मेरी मेहंदी....
ये देखो.. मेरे दोनों हाथ..
पूरी तैयारी हो चुकी है मुंडन की!! बस कुछ देर और...