Wednesday, November 18, 2009

मेरी नई किताबें..

बाबा के साथ सुबह अखबार पढ़ता था तो मेरे मतलब का कुछ नहीं होता था.. ज्यादा से ज्यादा कुछ कार और कभी कभी "काऊ" मेरी काऊ मतलब सारे चौपाया जानवर..  ऐसे बोरिंग अखबार से मुक्ति दिलाने बाबा कुछ किताबें ले आये.. देखें ऐसी है मेरी किताबें ..


इन तीन किताबों के अलावा एक किताब पालतू जानवरों की भी है.. इन किताबों में सुन्दर सुन्दर चित्र है.. और मैं काफी देर इनके पन्ने बदलता रहता हूँ.. ये देखें मेरी अदा..

हूँ न सीरियस किताब देखने में




और पढ़ने के साथ थोड़ी सी पेट पूजा भी..


कैसी लगी मेरी ये अदा..

11 comments:

  1. ओये हीरो तुम तो सच में ही सिरिअस दिख रहे हो हा हा हा हा किताबे तो सुन्दर हैं जब तक तुम्हारी कारागिरी इन पर नहीं चलती हा हा हा
    love ya

    ReplyDelete
  2. कित्ती सारी काऊ दिखी, बचुआ?? इत्ता ध्यान से पढ़ रहे हो कि डिस्टर्ब करने की हिमात नहीं पड़ी!!

    ReplyDelete
  3. सीरियस तो बहुत-ही हो आदित्य !
    पढ़ना और पेटपूजा-साथ साथ !

    ReplyDelete
  4. पापा से पूछो .. उन्‍होने इतनी कम उम्र में किताबे पढी थी या फाडी थी .. अभी खिलौनों से तुम्‍हें पढाएं .. किताबें पढने की उम्र है तुम्‍हारी ??

    ReplyDelete
  5. Adi to bahut hi studious ho gaya hai..!
    tumhari kitaben itni sundar lag rahi hain..mera bhi dil kar raha hai inhen padhne ko.

    ReplyDelete
  6. किताब को फाड़ने में जो मज़ा है वह पढ़ने में कहाँ !

    ReplyDelete
  7. इतनी पढाई अभी से ,
    खेलोगे कूदोगे बनोगे नबाब
    पढोगे लिखोगे बनोगे ..............

    ReplyDelete
  8. काऊ काऊ पढ कर बेटा अग्रेज मत बन जाईयो, ओर धयान से पढ ओर खा भी कही ऊंगली काट ली खाते खाते तो....

    ReplyDelete
  9. पढने का नई आदि..:)

    रामराम.

    ReplyDelete
  10. अरे अभी इतनी जल्दी किताबो के चक्कर में पड़ गया ? अभी तो इनसे खेलो जैसे विवेक अंकल ने कहा इन्हें फाड़ फाड़ कर खेलों बड़ा मजा आएगा :)

    ReplyDelete
  11. अरे, पढ़ाई भी चालू हो गई? अभी तो खेलने-कूदने की उमर है तुम्हारी.. अभी से ये गंदी आदत मत पालो.. वैसे भी ये जीवन भर परेशान करेगा.. :)

    ReplyDelete

कैसी लगी आपको आदि की बातें ? जरुर बतायें

Related Posts with Thumbnails