Sunday, January 17, 2010

कुमारी.. श्यांऊ...

बाबा का इस बार का कन्याकुमारी दौरा ज़रा लंबा था.. करीब ११ दिनों का.. अब इतने दिन तक दिल्ली की सर्दी में कौन रहेगा.. तो मैं भी उनके साथ कन्याकुमारी जा रहा हूँ..  और हाँ शायद आपको नहीं बताया.. अगस्त से मम्मी ने भी फिस् (ऑफिस) जाना बंद कर दिया था.. तो अब मम्मू की छुट्टियों का चक्कर खत्म... और मम्मू भी हमारे साथ.. कुमारी जा रही है ..
आज सुबह IT 203 से सीधा कुमारी श्यांऊ..

अगली पोस्ट कन्याकुमारी से... जल्द मिलते है..

Friday, January 15, 2010

आगस्, फायार्स और लोहड़ी

दो दिन पहले लोहड़ी थी.. वैसे तो कोई कार्यक्रम तय नहीं था.. पर शाम को पता चला की सोसाइटी में लोहड़ी मनाई जायेगी तो हम भी अपनी भागीदारी तय करने पहुँच गए... चंद तस्वीरें लोहड़ी की..

सर्दी बहुत थी तो हम भी टोपी डाल कर पहुँच गए..


क्या समझे..लोहड़ी सजा रहा हूँ... नहीं लकड़ी उठा कर भागने की तैयारी है..


और ये आगस्, फायर्स..


हम भी मम्मू की गोद में लोहड़ी की परिक्रमा कर आये..


और आप के लिए लाये है ये प्रसाद..



थेंक्यू...

Thursday, January 14, 2010

बताइये साबजी कैसा लग रहा हूं मैं...

बाबा नेपाल से दौरा-सूरवाल लाये... बताइये साबजी कैसा लग रहा हूं मैं....








चक्कर पोटी का!!

सर्दी क्या आई जिसे देखो अपने सर पर पोटी लगाए घूम रहा है.. रंग बिरंगी पोटी..  आदि से सर पर पोटी.. बाबा से सर पर पोटी.. बिना पोटी लगाए कोई घर से बाहर ही नहीं निकलता... मम्मी जब मुंबई गई तो मैंने और बाबा दोनों दोनों से सर पर पोटी लगा दी.. सर्दी बहुत थी न.. और जब ये बात मम्मी को बताई तो मम्मी हैरान.. मुझे पता है आप भी हैरान हो गए होगें... 


चक्कर ये की मैं "टोपी" को "पोटी" बोलता था.. अब जाकर सही तरह से टोपी बोलना सिखा हूं..




Wednesday, January 13, 2010

आदि और अभि...

पापा को नेपाल में नया दोस्त मिला.. "अभिज्ञान".. "अभिज्ञान" अपने पापा के साथ नेपाल आया था.. पापा की अभि से इतनी पक्की दोस्ती हुई की उन्होने अभि को दिल्ली आने का न्यौता दे दिया... और अभि शुक्रवार को अपने पापा मम्मी के साथ हमारे घर आया... फिर चंद मिनिटों में अभि मेरा भी दोस्त बन गया.. और अभि के साथ   खूब  मस्ती और धमाल किया और ये धमाल सभी को लंबे समय तक याद रहने वाला हे...

पहले साइकिल आ नंबर आया... बैठने की जगह तो एक के लिए ही थी पर अभि ने फरमाइश कर मुझे भी बिठा दिया...



अगला नम्बर था "हट" में छुपा छुपी खेलने का.. "भागो, भागो, पकड़ो, पकड़ो"


और ये क्या.. आदि नीचे और अभि ऊपर...


पापा ये सभी शरारतें कैमरे में कैद कर रहे थे... तो हमने भी कैमरे की डिमांड कर डाली.. अपनी फोटो खुद लेगें...


अगली बारी घोड़े की थी... दोनों दोनों घोड़े की सवारी कर रहे थे... बारी बारी..


और जब बिस्तर लग गया तो... जंप जंप करने का मजा लिया...


हम दोनों रात के १२ बजे तक मस्ती करते रहे... और बहुत मुश्किल से सोये..

हमारी दोस्ती इतनी पक्की हो गई की मैं दिल्ली में "अभि-अभि" करता रहता हूँ और अभि भोपाल में "आदि-आदि"

कैसी लगी हमारी दोस्ती..


Friday, January 1, 2010

नववर्ष की शुभकामनाएँ!!

आप सभी को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ!!






(ये कुछ तस्वीरें कल की पार्टी की)
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