सभी तैयारी हो चुकी है.. सामान पैक हो चुका है.. दादा दादी.. नाना नानी.. चाचा चाची.. मामा मामी.. मासी.. और सभी से जोधपुर में मिल लिया..आज मम्मी के साथ जोधपुर से वापस दिल्ली आ रहा हूँ... और कल बाबा और मम्मू के साथ बैंकोक के लिए निकल जायेंगे..
बबुआ कहीं भी जाए.. आपसे मिलता रहेगा.. ब्लॉग पर.. बाय बाय..
Saturday, March 27, 2010
Saturday, March 20, 2010
आदि को पकड़ो आदि भम्म हो रहा है..
अब बहुत सारे वाक्य बना लेता हूँ में.. पापा मम्मी हैरान हो गए.. जब उन्होंने सूना.. "आदि को पकड़ना, आदि भम्म हो रहा है.."
और ये वाक्य निकला पलंग के किनारे खड़े होकर.. पापा मम्मी को छकाने के लिए...
और भी कुछ वाक्य -
"ये तो बाबा का प्लेन है'
"आदि को निचे उतारना"
"दुधु मम्मू पिलाएगी"
"ये तो पिजन की पोटी है"
"सुन्दर सुन्दर फूल खिले है"
"आदि दुधु लेने गया था"
"मम्मा आदि को सुला दो"
"मम्मू खेलें"
"बाबा बार चले"
"कौन आया"
"झूले पर चले"
फिर मिलते है.. बाय बाय..
और ये वाक्य निकला पलंग के किनारे खड़े होकर.. पापा मम्मी को छकाने के लिए...
और भी कुछ वाक्य -
"ये तो बाबा का प्लेन है'
"आदि को निचे उतारना"
"दुधु मम्मू पिलाएगी"
"ये तो पिजन की पोटी है"
"सुन्दर सुन्दर फूल खिले है"
"आदि दुधु लेने गया था"
"मम्मा आदि को सुला दो"
"मम्मू खेलें"
"बाबा बार चले"
"कौन आया"
"झूले पर चले"
फिर मिलते है.. बाय बाय..
Sunday, March 14, 2010
नन्हा हीरो..
पिछले मंगलवार को द्वारका में डिजिटल एलिमेंट स्टूडियो से कुछ फोटो खिचवाये... देखिए कैसा लग रहा है नन्हा हीरो...
वैसे फोटो खिचने वाली दीदी को बहुत मेहनत करनी पड़ी.. बताएं ज़रा कैसी है ये फोटो...
वैसे फोटो खिचने वाली दीदी को बहुत मेहनत करनी पड़ी.. बताएं ज़रा कैसी है ये फोटो...
Monday, March 8, 2010
नया स्टंट
ये तस्वीरें मेरे नये स्टंट की...
इस स्टंट के बाद झूले पर थोड़ी सख्ती हो गई है...
नये वाक्य
कल शाम बाबा के साथ बाजार जा रहा था.. बाबा ने पूछा.. "आदि कहाँ जा रहें है" जबाब मिला..."बेलून लेने जा रहें है"...
वापसी में बाबा ने गाना सुनाया... "लकड़ी की काठी... " और जब इस गाने में "तबडिक तबडिक" आया तो मैं बोला.. "बीनू दादी ऐसे करती है"
Saturday, March 6, 2010
आदि की होली..
हैप्पी होली...
मस्ती और धमाल भरी होली चली गई.. और पीछे रह गई कुछ यादें....
इस बार होली को सबसे बड़ा सरप्राइज मिला दादा दादी से.. दादा दादी अचानक कार्यक्रम बना मेरे साथ होली खेलने आ गए.. नानी भी दिल्ली आई हुई थी.. पर वो होली से एक दिन पहले जोधपुर चली गई.. अब बात होली की...
कैसी रही आपकी होली...
ये है रिया दीदी और अर्जुन भैया.. दीदी ने एक दिन पहले ही होली खेलनी शुरू कर दी... |
मुझे भी रंग लगाने से कोई परहेज नहीं था... |
होली की शुरुआत की दादा ने.. मुझे रंगीन कर दिया.. |
ये है मेरे रंग.. |
दादा के बाद बारी मेरी थी रंग लगाने की.. |
दादा भी खुश हो कर रंग दे रहे थे... |
ONCE MORE |
अब बारी बाबा की... |
दादी को भी.. |
मम्मु भी.. |
अच्छे से.. |
मंझा आया... |
ये मेरी हालत की मेरे दोस्तों ने.. |
ये यहाँ.. |
पूरी टोली... |
होली खेलते खेलते झूले पर नजर पड़ी.. तो थोड़ा मजा इसका भी.. |
और इसके बाद नंबर आया किकी (विक्की) चाचा का... |
और थोड़ा कलर अंकल को भी.. |
हैप्पी होली... |
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