एक दिन मम्मी लाईट वाली अलमारी साफ कर रही थी... अरे वही अलमारी जो ठण्डी भी होती है....मम्मी ने उसका सारा सामान बाहर निकाल कर साफ करने रख दिया.. और मैं... मैं मौका देख उस अलमारी में घुस गया.. बड़ा मजा आया उसमें..
आप गये हो कभी ऐसी अलमारी में... ट्राई करो..
कैसा लगा!
अरे अरे बेता ये क्या कर रहे हो? बहुत शरारती हो गये हो चलो बाहर आओ--- आशीर्वाद्
ReplyDeleteनहीं भाई आदित्य नहीं गया हु पर तम्हें देखकर मजा आ रहा है
ReplyDeleteअरे बाबा रे ! यह कहाँ चले गए आप आदि जी ..ठण्ड रखो और बाहर आ जाओ जी :)
ReplyDeleteतुम्हें देखकर तो मुझे भी एक ऐसी अल्मारी लाने को दिल करता है। गरमी बहुत है ना!!ईसलिये।
ReplyDeleteअबे शरारती... लेकिन बेटा पापा को बोलो ऎसा मत करे, हमारे यहां एक ऎसा ही केस हुआ था, इस लिये तुम्हे ऎसा करने से रोके, इसे मजाक मै मत लो
ReplyDeleteबहुत प्यार हमारे शरारती बेटे को
लगे रहो आदि भाई.:)
ReplyDeleteरामराम.
देखा क्या आलमारी है ठंडी ठंडी कूल कूल ......................:)
ReplyDeleteजानी इस मशीन मे ठंड लग जाया करती है।:)
ReplyDeleteहैप्पी ब्लागिंग।
हमें तो इसका नाम आज पता चला। अभी तक औरों की देखा देखी फ्रिज बोलते थे। बहुत आभार सही शब्द बताने के लिये प्यारे!:)
ReplyDeleteओये, चलो बहार निकलो. ये खेल नहीं खेलते बच्चे. और भी तो खिलोने है. पापा कुछ लाये नहीं क्या बैंकाक से. वो तो दिखाओ.
ReplyDeleteआदि बेटा!
ReplyDeleteहमारी पोती प्राची ने भी
एक बार यही खेल दिखाया था।
मेरी सलाह है कि
दोबारा ये खतरनाक खेल मत दिखाना।
आशीर्वाद!
सराखों पर ऐसी शरारत, बहुत ही बढ़िया लगा, जियो मेरे लाल।
ReplyDeleteकहाँ कहाँ पहुँच रखते हो आदित्य ! ऐसे मिशन जरूरी हैं क्या ?
ReplyDeleteखैर अनुभव मजेदार रहा होगा न !
gr8 job....
ReplyDeletesab jagah pahunch rakhni chahiye....
इष्ट मित्रों एवम कुटुंब जनों सहित आपको दशहरे की घणी रामराम.
ReplyDeleteOh my god Aadi...ye kahan aur kya trial kar rahe ho??
ReplyDeletei like your almirah and u r looking very cute in this
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