- दिपावली को मैनें खुब अनार जलाये.. आकाश में जाकर रंगबिरंगी रोशनी करने वाले राकेट मुझे बेहद पसंद आये... और मैं "ब्भम" बोलना सीख गया.. गिर जाऊ तो भी "ब्भम" और पटाखा जले तो भी "ब्भम".. लेकिन इस मजे में मैंने दीपक पर अंगुली लगा दी तो सीधे हाथ की एक अंगुली में फफोला हो गया.. दो दिन दवा पी और मलहम लगाया तो ठीक हुआ..
- जोधपुर में मैंने काऊ भी देखी.. पहले तो मैं उसे भी "भौ-भौ" ही समझा पर फिर मम्मी ने मुझे समझाया की ये "काऊ" है.. फिर क्या है "काऊ" या "गाय" देखना मेरा प्रिय शौक बन गया.. और जब भी घर में मन नहीं लगता तो पापा या चाचा की गोदी में सवार होकर चला जाता गाय देखने..
- ऋषभ भैया का झडोला 16 तारिख़ को हुआ था.. झडोला के समय तो में सो रहा था पर बाद में हमने खूब मस्ती की..
आगे आगे मैं चला पीछे ऋषभ भैया...
- पता है पापा जकार्ता में है.. पापा ने मेरे लिए एक डुगडुगी खरीदी है.. पापा ने मुझे विडियो काल कर डुगडुगी दिखाई.. और मैं उसे पकड़ने के लिए बैचेन हो गया.. बार बार कंप्यूटर की स्क्रीन पर हाथ मार डुगडुगी पकड़ने की कोशिश करता रहा पर ..:) आपके पास कोई तरिका हो तो बताओ..
अब देख आदि आजकल पापा तेरे बारे में कुछ नहीं बता रहे है ये तुने बढ़िया किया जो सभी बाते आज बता दी | अब जल्दी और बड़ा हो जा और अपनी बाते हमें खुद बता | पापा पर कब तक निर्भर रहेगा ?
ReplyDeleteओये हीरो आज तो बहुत दिनों बाद नज़र आये.....ओये बहुत मिस किया हमने अपने छोटे से हीरो को......अब तो भागने दोड़ने भी लगे हो बहुत अच्छा लगा तुमसे मिल कर...
ReplyDeletelove ya
बेटा जल्दी जल्दी मिला करो . बहुत दिनों से दिखे नहीं इसलिए बेचेनी सी थी अब ठीक है .
ReplyDeleteवक़्त बदल रहा है बेटा.. जब हम छोटे थे तब काऊ गौ माता होती थी.. अब तो काऊ हो गयी है.. :)
ReplyDeleteहाँ लेकिन डुगडुगी तब भी डुग डुगी ही होती थी और अब भी है.. जैसे गाडोला अभी भी गाडोला..चलाते हो या नहीं ?
अरे वाह आदि की डुगडुगी आने वाली है...पापा कब आयेंगे??
ReplyDeleteखूब बड़े हो रहे हो जल्दी जल्दी...हम सुबह फिर आकर यहाँ देखेंगे..अभी बहुत रात हो गई है.
अरे यार बड़े होने में बहुत टाइम लगा रहे हो. हमतो सोच रहे थे की तुम नर्सरी में दाखिला ले लिए होगे. अच्छा अब तुम्हारा भी मुंडन होगा न? बड़े बड़े बाल हो गए हैं.
ReplyDeleteवाह आदि बहुत दिन बाद देखा है तुम्हें आब तो बडे हो गये हो। शरारती भी बहुत बहुत आशीर्वाद्
ReplyDeletebelated happy diwali
ReplyDeleteखुबसुरत डुगडुगी...
hello...aadi...hw r u?
ReplyDeleteअरे प्यारे अपने पापा को कहो कि एक डुगडुगी हमारे लिये भी लायें। ब्लॉगिंग में बहुत बजानी होती है।
ReplyDeleteअरे प्यारे अपने पापा को कहो कि एक डुगडुगी हमारे लिये भी लायें। ब्लॉगिंग में बहुत बजानी होती है।
ReplyDeleteअरे यार आदि तू कहां छुप जाता है इत्ते इत्ते दिन? पापा को फ़ोन लगाओ तो मिलता नही. पोस्ट में सूचना तो जकार्ता से भी दी जा सकती है. चल अब एक डुगडुगी हमारे लिये भी मंगवा लेना.:)
ReplyDeleteरामराम.
आदि बेटा।
ReplyDeleteतुम्हें तो रोज ढूँढते हैं ब्लॉग पर।
आज दिखाई दिये हो तो बधाई तो ले ही लो।
अरे आदी बाबा तो बहुत दिनों बाद दिखे हैं.. और लगता है कि खूब मस्ती हुई है..
ReplyDeleteअच्छा आदी बाबा, आपने कभी म्याऊं देखी है? या बस भौं में ही खुश हो? अपने पापा को बोलना चेन्नई लाने के लिये, यहां पीडी कक्का के घर पर एक म्याऊं रोज आती है.. :)
बहुत सुंदर बेटा तुम्हारी काऊ मेडम कही हमारी गाऊ माता तो नही? अबे सुन मेरे पास एक तरीका है तेरी डुगडुगी मंगवाने का.... पापा को बोल पोस्ट से जल्द भेज दे.
ReplyDeleteप्यार
आदि, डुगडूगी तो तू बजा लेगा पर उस पर nachaega kisko ? वो कविता नहीं सुनी ,'बजी डुगडूगी नाचा बन्दर .....'
ReplyDeleteडुगडुगी बजा बजाकर नाचो आदि ।
ReplyDeleteबचपन का मज़ा लो ।
शुभकामनाएं ।
oh oh! choti si ungli mein dard hua hoga na... koi baat nahi... tumhari mammi sab thik karna jaanti hai... dugdugi to bahut sundar lag rahi hai- Pallavi maasi
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