Sunday, July 20, 2008

आख़िर में मुझे ही सोना पडता है..

कल पापा वापस आए. पापा बाहर गये हुए थे बहुत दूर.. पापा आये तो उनका इन्तिज़ार ही कर रहा था. पापा जैसे ही आये मेरे साथ खेलने लगे, बातें करने लगे. मैं भी पापा को देख कर बहुत खुश था.

पापा ने मुझे गोद में लिया तो मेरी मस्ती का कोई ठिकाना न रहा.. पापा कुछ ज़्यादा ही excited थे.. खुद लेट गये और मुझे अपने सीने पर लिटा दिया.. पर अचानक पता नहीं उन्हें क्या हुआ वह मुझे नीचे लिटा कर बाथरुम में नहाने चले गये. मम्मी ने मुझे भी नलहाकर सुला दिया..


पता है.. मुझे एक कछुआ gift मिला है.. मैं कछुए के साथ भी खेल सकता हूँ.. अगर कोई उसे मेरे सीने पर रख दे तो मैं उसकी गर्दन और पाँव पकड़ कर मुँह में डालने की कोशिश करता हूँ।

दिन में प्यार करने और ध्यान रखने वालों को रात में पता नहीं क्या हो जाता है ? मैं खेलने के लिये पूरा active होता हूँ और ये lights off कर मुझे सुलाने की पूरी कोशिश करते हैं . मैं भी इनसे लुकाछिपी का खेल खेलता हूँ । मेरी आखें बन्द समझ यह सोचते है मैं सो रहा हूँ.. और जैसे ही झुला बंद करते है। मैं फिर आँखें खोल कर खेलने लग जाता हूँ.. ख़ैर आख़िर में मुझे ही सोना पड़ता है..

2 comments:

  1. hi aditya
    i am very happy and a good news to u that i am deputed at jodhpur as a jr program officer and hope u will meet me
    baki bate appen beth kar karenge ch......ch.......ch.........gulu....gulu.....by
    by your uncle

    rajesh

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  2. A sweet kiss to Aadi...

    Bura uncle
    Sanjib

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कैसी लगी आपको आदि की बातें ? जरुर बतायें

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