पिछले शुक्रवार (३० जुलाई) को मेरा बुखार बिल्कुल ठीक हो गया था.. डॉ को फोन किया तो उन्होंने अस्पताल आने से मना कर दिया.. बोले बिल्कुल ठीक हो.. आज दिखाने की जरुरत नहीं.. पर में तो बहार जाने के लिए बिल्कुल तैयार था.. वैसे तैयार तो दादा दादी भी थे.. टेम्पल टूर के लिए.. तो मैं भी उनके साथ हो लिया.. आखिर मैंने भी तो अब तक टेम्पल नहीं देखे थे न..
देखें कितने सुन्दर टेम्पल है...
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ये प्राम जोधपुर से बैकोक आ गया.. दादा दादी लाये है.. |
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चल चल चल मेरे हाथी... |
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दे ताली... |
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रुक आदि... कहाँ जा रहा है... |
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ये देखो दादी.. इत्ते सारे बुद्धा.. |
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दादा दादी और आदि.. |
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ये क्या है.. |
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मेरे भी 'रस्सी' बाँध दो.. |
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मम्मु अब चम्मा मुझे दे दो... |
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सब जैसा करते है.. मैं भी वैसा.. नक़ल नहीं कहते... |
स्कुल अपडेट
इस सोमवार से मेरा स्कुल फिर से शुरू हो गया.. बड़ी मुश्किल से स्कुल एन्जॉय करने लगा था.. छुट्टी हो गई.. और सारा रिदम टूट गया.. सोमवार से फिर जीरो से गिनती शुरू हुई.. सुबह सुबह तो मजा आ रहा था.. जैसे कहीं घुमने जा रहे है.. पर जैसे ही स्कुल की गली में पहुंचे.. मेरी "हूं-हूं" शुरू हो गई.. सोम मंगल बुध ये ही क्रम चला.. घर से मस्ती से चलो.. जैसे ही स्कुल की गली आये.. हूँ हूँ करो.. आज अचानक एक परिवर्तन आया.. स्कुल की गली आते हू रुआंसा हुआ.. पर रोया नहीं.... और स्कुल से निकलते हुए..
"bye bye Mitisha, bye bye Sara, bye bye Alisha.... "
हाँ ये मेरे नए दोस्त बने है!!!
वाह आदि .. हमने भी मंदिर के दर्शन कर लिए ..
ReplyDeleteदादा दादी के साथ तुम्हें देखकर बहुत अच्छा लगा ..
तुमहारे स्कूल अपडेट के अनुसार तुम नहीं रोते हो ..
ये जानकर खुशी हुई !!
दादा दादी के साथ मंदिर घूमे बढ़िया ,मितिशा ,सारा और अलीशा नये दोस्त बने और भी बढ़िया ! लेकिन रुको भाई अली...शा :)
ReplyDeleteनए दोस्त मिलने पर बधाई!
ReplyDeleteआदि चंगा हो गया इस बात की खुशी हुई, पर बेटा एक बात है तेरे अंदर ताऊपने के सारे गुण अभी से मौजूद हैं. स्कूल के दोस्त मितिषा, सारा और अलीसा.....:) सही जा रहे हो.
ReplyDeleteरामराम
चित्रमय पोस्ट देखकर तो मन प्रसन्न हो गया!
ReplyDeleteचलो, हमने भी फोटो में दादा दादी के साथ मंदिर घूम लिया.
ReplyDeleteअब तो आदि के नये नये दोस्त बन गये...अब खूब खेल होगा स्कूल में. :)
वाह आदि, दादा दादी को घुमा रहा है।
ReplyDeleteओहो, तो महाराज बैंकोक घुमा रहे हैं। मैने तो दिमाग लगाना शुरू कर दिया था कि महाराज मैक्लोडगंज कब हो आया।
ReplyDeleteचलो हमारआ शेर फ़िर से अच्छा हो गया, ओर दादा दादी को घुमा भी लाये, अरे बाबा हम ने घर बेठे ही सेर कर ली आदि के संग, बहुत सुंदर आदि को बहुत बहुत प्यार
ReplyDeleteबहुत मजा आया
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