कल सुबह-सुबह तैयार हो गया.. मेरे साथ मेरा बैग भी तैयार हो गया.. कपडे़, खिलौने, सिपर, बिछौना, ओढ़ना.. और खाना भी.. उपमा, सेरेलेक, बिस्किट और केला...
सुबह साढे़ नौ बजे मम्मी पापा के साथ आंटी के घर गया.. पहली बार तो आंटी की गोद में जाने से मना किया लेकिन दुबारा कहने पर लपक कर उनकी गोद में चला गया.. मुझे आंटी के पास छोड़ पापा मम्मी ओफि़स चले गये..
नया माहौल, नये लोग लेकिन मैनें जल्द ही दोस्ती कर ली, फिर तो अंकल-आंटी के साथ खूब खेला.. पहले तो खाना खाने में आनाकानी की लेकिन भूख तो लगती है न? थोड़ी देर के बाद खाना भी खा लिया.. थोड़ी देर सोया भी... हाँ मम्मी को बहुत miss किया.. उनके आँचल में लिपटने का मौका नहीं मिला न..
दोपहर ढ़ाई बजे पापा-मम्मी आ गये.. आटीं ने उनसे कहा कि "ये मेरे पास रह लेगा"... फिर तो खूब प्यार मिला.. आखि़र पाँच घण्टे का कोटा बकाया था न...
आप ही बताओ अच्छा ही तो रहा मैं?
यही उम्र है मिलने जुलने की। वाह आदी बेटे।
ReplyDeleteतुम तो बहुत प्यारे हो बेटा..हर जगह एडजस्ट हो जाते हो. वेरी गुड ब्वाय!!
ReplyDeleteशाबस बेटे तुम तो बहुत प्यारे ओर बाहदुर बेटे बन गये.
ReplyDeleteप्यार
अरे तुम तो पुरे ब्लॉग जगत में घुले मिले हो वो पडौस की आंटी है है | खूब खेलना आंटी के साथ |
ReplyDeleteये पीली टोपी में कमाल लग रहे हो पुचकू. पूरी तरह से हीरो.जहाँ जाओगे, सबको अपना बना लोगे. सबके साथ खेलो और खुश रहो. तुम्हें देखकर हमलोग खुश रहेंगे.
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