दिल्ली से चंडीगड़ जाते हुऐ रास्ते में एक ही बार रुके.. करनाल से पहले एक ढाबे पर.. मम्मी मेरे लिये तो सूजी घर से ही बना कर लाई थी.. लेकिन ज्यादा बना कर अपने लिए भी जुगाड़ कर लिया.. वहाँ तो बस चाय मगांई और बस..
ढा़बे के बहार कुछ दुकाने भी थी तो वहाँ से मुझे ये चिप्स का पैकट भी मिल गया..
ये देखो गेट के बाहर जो दुकान दिख रही है.. वहीं से लाये... पता है वहाँ एक मजेदार बात हुई.. मैं पापा जी गोदी में सवार हो कर चिप्स खरिदने गया.. पापा ने चिप्स के साथ कुछ केण्डीस और मिन्ट भी लिया.. पापा दूकान में पैसे दे ही रहे थे कि मैने जेम्स जैसी दिखने वाली रंग बिरंगी टॉफी पर हाथ मार दिया.. और वो पैकेट जमीन पर गिर गया.. और गिरते ही सारी गोलिया जमीन पर बिखर गई.. पापा मुझे हैराने से देखने लगे.. और बोले.."बेटा ये क्या किया अंकल डाँटेगें न".. पर पता है अंकल क्या बोलो.. "नहीं जी डाँटने की कोई बात नहीं आप तो बस दस रुपये दे दो.." है न सही बात.. और पापा ने तुरंत दस रुपये दिये..और मामला रफा दफा..
एक और मजेदार किस्सा हुआ.. मैं और पापा चाय पीकर गाड़ी में बैठ गये... और पीछे से मम्मी भी आ गई.. हम चलने ही वाले थे... कि एक भैय्या बोले.."साहब चाय के पैसे दे दिये?".. पापा मम्मी एक दूसरे कि शक्ल देखने लगे.. एक दूसरे के भरोसे हम बिना पैसे दिये भी खिसकने वाले थे..
चंडीगढ़ पहूँच कर हल्का सा वायरल हो गया.. तो अभी शरारतों में कमी है.. जल्द ही ठीक हो कर मिलता हूँ.. |
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तो हाई वे के ढाबे के मजे भी ले ही आये |
ReplyDeleteवायरल की दवा ले लेना!मम्मी-पापा के भरोसे रहने से वे भूल सकते हैं जैसे चाय के पैसे भूल गये।
ReplyDeleteवो टॉफी वाले बेकार दस रुपये चाय वाले से एडजस्ट करने के चक्कर में रहे होंगे पापा मम्मी.. :)
ReplyDeleteजल्दी ठीक हो जा बेटा...वायरल में तो शरीर बहुत दुखता है. मम्मी से मालिश करवा लेना.
अब तुम मम्मी पापा का ख्याल रखा करो.. वे लोग तो भुलक्कड़ होते जा रहे है..
ReplyDeleteआदि बेटा!
ReplyDeleteखूब मजे लो,
सफर के यही तो आनन्द हैं।
आदि मुनीरका के उडीपी में घूम रहे हो :) मेरे दोनों आदि भी यहीं फिसलने जाते थे...
ReplyDeleteहम्म्म्म तुम्हारी लटें भी अब मुंडन लायक हो चली हैं...बस सिर झुकाकर रोने के दिन आए ही समझो..
भाई जल्दी से सही हो जाइये
ReplyDeleteबस दस ही रूपए के टाफी पर हाथ मारा .. एक दो वर्ष ही बचे हैं डांट न खाने में तुम्हें .. थोडा बडा बडा हाथ मारते रहो .. इतनी आसानी से मम्मी पापा मत बनने दो उन्हें !!
ReplyDelete"नहीं जी डाँटने की कोई बात नहीं आप तो बस दस रुपये दे दो.." है न सही बात.. और पापा ने तुरंत दस रुपये दिये..और मामला रफा दफा.
ReplyDeleteदूकानदार भी कोई पक्का ताऊ ही होगा?:)
रामराम.
interesting post....
ReplyDeleteआदि तुम जहाँ भी जाते हो मजे ही करते हो ये ही तुम्हारी खासियत है...वाह शाबाश ऐसे ही बने रहो...
ReplyDeleteनीरज
ये पापा तुम पर अभी से इतना डिपेण्ड करने लग गये हैं कि पेमेण्ट भी तुम याद रखोगे। भाई बालक को इतनी जल्दी इतनी जिम्मेदारी दे दी जा रही है। कलियुग! :)
ReplyDeleteजल्दी ठीक हो जाओ भाई, बहुत जिम्मेदारियां हैं!
बहुत ही सुन्दर
ReplyDeletewah ji...
ReplyDeletegazab kuchmaidi hai.....
aur aise bimar kaise ho gaya...
khayal rakhiyo....
bahar ka nahi khana hai abhi....
aur abhi jaldi se thik ho ja.....
aur khub masti kar le.....
chote miyan ke saath,...
आदि भाई इस समय तो आप के मजे हि मजे है साथ मे आप अपना ध्यान भी रखो भाई
ReplyDeleteडाटने की बात तो है ही नहीं अगर कोई फालतू डाटें हमें याद करना उसके हाथ पैर............
ReplyDeleteतबियत कैसी है अब आपकी ?
ReplyDeleteAadi- get well soon....
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