Wednesday, August 26, 2009

डांटने की कोई बात नहीं...

दिल्ली से चंडीगड़ जाते हुऐ रास्ते में एक ही बार रुके.. करनाल से पहले एक ढाबे पर..  मम्मी मेरे लिये तो सूजी घर से ही बना कर लाई थी.. लेकिन ज्यादा बना कर अपने लिए भी जुगाड़ कर लिया.. वहाँ तो बस चाय मगांई और बस..
ढा़बे के बहार कुछ दुकाने भी थी तो वहाँ से मुझे ये चिप्स का पैकट भी मिल गया..
और मेरे खाने और खेलने के लिये तो ये बहुत था..

ये देखो गेट के बाहर जो दुकान दिख रही है.. वहीं से लाये... पता है वहाँ एक मजेदार बात हुई.. मैं पापा जी गोदी में सवार हो कर चिप्स खरिदने गया.. पापा ने चिप्स के साथ कुछ केण्डीस और मिन्ट भी लिया.. पापा दूकान में पैसे दे ही रहे थे कि मैने जेम्स जैसी दिखने वाली रंग बिरंगी टॉफी पर हाथ मार दिया.. और वो पैकेट जमीन पर गिर गया.. और गिरते ही सारी गोलिया जमीन पर बिखर गई.. पापा मुझे हैराने से देखने लगे.. और बोले.."बेटा ये क्या किया अंकल डाँटेगें न".. पर पता है अंकल क्या बोलो.. "नहीं जी डाँटने की कोई बात नहीं आप तो बस दस रुपये दे दो.."  है न सही बात.. और पापा ने तुरंत दस रुपये दिये..और मामला रफा दफा..


एक और मजेदार किस्सा हुआ.. मैं और पापा चाय पीकर गाड़ी में बैठ गये... और पीछे से मम्मी भी आ गई.. हम चलने ही वाले थे... कि एक भैय्या बोले.."साहब चाय के पैसे दे दिये?".. पापा मम्मी एक दूसरे कि शक्ल देखने लगे.. एक दूसरे के भरोसे हम बिना पैसे दिये भी खिसकने वाले थे..




चंडीगढ़ पहूँच कर हल्का सा वायरल हो गया..  तो अभी शरारतों में कमी है.. जल्द ही ठीक हो कर मिलता हूँ..

18 comments:

  1. तो हाई वे के ढाबे के मजे भी ले ही आये |

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  2. वायरल की दवा ले लेना!मम्मी-पापा के भरोसे रहने से वे भूल सकते हैं जैसे चाय के पैसे भूल गये।

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  3. वो टॉफी वाले बेकार दस रुपये चाय वाले से एडजस्ट करने के चक्कर में रहे होंगे पापा मम्मी.. :)

    जल्दी ठीक हो जा बेटा...वायरल में तो शरीर बहुत दुखता है. मम्मी से मालिश करवा लेना.

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  4. अब तुम मम्मी पापा का ख्याल रखा करो.. वे लोग तो भुलक्कड़ होते जा रहे है..

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  5. आदि बेटा!
    खूब मजे लो,
    सफर के यही तो आनन्द हैं।

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  6. आदि मुनीरका के उडीपी में घूम रहे हो :) मेरे दोनों आदि भी यहीं फिसलने जाते थे...
    हम्म्म्म तुम्हारी लटें भी अब मुंडन लायक हो चली हैं...बस सिर झुकाकर रोने के दिन आए ही समझो..

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  7. भाई जल्दी से सही हो जाइये

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  8. बस दस ही रूपए के टाफी पर हाथ मारा .. एक दो वर्ष ही बचे हैं डांट न खाने में तुम्‍हें .. थोडा बडा बडा हाथ मारते रहो .. इतनी आसानी से मम्‍मी पापा मत बनने दो उन्‍हें !!

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  9. "नहीं जी डाँटने की कोई बात नहीं आप तो बस दस रुपये दे दो.." है न सही बात.. और पापा ने तुरंत दस रुपये दिये..और मामला रफा दफा.

    दूकानदार भी कोई पक्का ताऊ ही होगा?:)

    रामराम.

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  10. आदि तुम जहाँ भी जाते हो मजे ही करते हो ये ही तुम्हारी खासियत है...वाह शाबाश ऐसे ही बने रहो...
    नीरज

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  11. ये पापा तुम पर अभी से इतना डिपेण्ड करने लग गये हैं कि पेमेण्ट भी तुम याद रखोगे। भाई बालक को इतनी जल्दी इतनी जिम्मेदारी दे दी जा रही है। कलियुग! :)
    जल्दी ठीक हो जाओ भाई, बहुत जिम्मेदारियां हैं!

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  12. wah ji...
    gazab kuchmaidi hai.....
    aur aise bimar kaise ho gaya...
    khayal rakhiyo....
    bahar ka nahi khana hai abhi....
    aur abhi jaldi se thik ho ja.....
    aur khub masti kar le.....
    chote miyan ke saath,...

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  13. आदि भाई इस समय तो आप के मजे हि मजे है साथ मे आप अपना ध्यान भी रखो भाई

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  14. डाटने की बात तो है ही नहीं अगर कोई फालतू डाटें हमें याद करना उसके हाथ पैर............

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  15. तबियत कैसी है अब आपकी ?

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कैसी लगी आपको आदि की बातें ? जरुर बतायें

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