"मिट्टी मिल गई तो मानो स्वर्ग मिल गया...कोई खिलौना, कोई दूसरा खेल,मिट्टी की बराबरी नहीं कर सकता ....उसके आगे टिक ही नहीं सकता। इसलिए मिट्टी में खेलने का कोई भी मौका हम छोड़ते ही नहीं हैं। ऊपर से मम्मा-पापा को कहते हुए भी सुन लिया, 'लागे रज,बधे गज' (कहावत राजस्थानी की है, भावार्थ कुछ ये कि मिट्टी लगने से बच्चा अच्छा बढ़ता है....मिट्टी में खेलना बच्चे के शरीर के लिए अच्छा है.....)"अब मैं चलने लग गया हूँ और समझदार हो गया हूँ (है न?) तो पापा मुझे शाम को पार्क में और झुले पर खेलने के लिये ले जाते हैं.. एसे ही एक दिन शाम को को पापा के साथ गया और मिट्टी में खेलने के मजे लिये..
रेत पर अंगुलियों के निशान बनाये..
निशान फिर से मिटाये..
और खुद ही सुन्दर चित्रकारी का आनन्द लिया..
और खुब रेत उडाई..... धम.. धम्म..
एक और बात जो फोटो में नहीं आ पाई.. वो ये कि बीच में पापा की नजर से बच कर दो बार अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाई.. (आपको जानना है तो इमेल करें.. गुप्त नुस्खा है).. और अपने दातों की मजबुती को भी परखा.. बिल्कुल खरे दांत है मेरे..:)
पसंद आया!!
(शिर्षक विभु दीदी के ब्लोग से साभार)
बहुत बढ़िया आदि ! आखिर तुम्हे मिटटी में खेलने के आनंद का पता चल ही गया ! बेटे हम तो बड़े होने के बाद भी मिटटी में खूब खेलते थे ! रेत में खूब लोट-पोट किया करो कपडे गंदे हो तो हो परवाह मत करना ! रेत में खेलने से एलर्जी की प्रितिरोधक क्षमता विकसित है ऐसा तेरे कई डाक्टर अंकल कहते है |
ReplyDeleteओए चीकू....खेलते रहो..रेत में लकीरें बनाना ही जिन्दगी है!!
ReplyDeleteआदित्य ! खेल खेल में जीवन-दर्शन का स्वाद ले लिया तुमने । यहाँ प्रविष्टि से उसे बाँट भी लिया । जियो !
ReplyDeleteAadi please tell your papa that he writes really well....you both compliment each other so well!
ReplyDeleteह्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म यानी की आदि ने पापा से छुप कर मिटटी खाई है न..........नहीं चलेगा ये सब नहीं चलेगा ओके....
ReplyDeletelove ya
khoobsurat pics....bachpan ke din boht khoobsurat hote hai..no tension...
ReplyDeleteबहुत बढिया मेरे शेर. मिट्टी मे खेलेगा तो समझ ले पक्का ताऊ बन जायेगा.:)
ReplyDeleteरामराम.
बस तुम्हारी सूरत देखने आया हूँ..मूड अच्छा करना था इसलिए.....
ReplyDeletebahut badhiya...ji har kar khelo...bade hokar aisa nahi kar pate log. mann bhi mitti main khoob man se khelta hai.
ReplyDeleteवाह वाह ! मिटटी में खेलना तो हमारा भी प्रिय शौक था... और हमारी अम्मी बताया करती हैं की मैं तो बचपन में मिटटी खा भी लिया करता था...
ReplyDeleteपर आप ऐसा मत करना....
waah mitti se khelne ka maza gazab hai:) aur khane ka bhi:);),mitti khayi thi hai na,aadi baba:):)
ReplyDeleteलगे रहो आदि!
ReplyDeleteयही तो उम्र है मस्ती करने की।
are yaar, ham to diwar me moohn lagakar mitti khaya karte the.
ReplyDeletegaawon me milli kee deewaren hoti hain naa.
or usi ka asar hai ki aaj tak koi chhoti-moti bimari nahin hui.
" LAGE RAJ, BADHE GAJ " MUBARAK KO AAP KE TANDURASTEE LEKIN BACH KE AADI BHAI
ReplyDeleteशानदार! जियो बरखुरदार!
ReplyDeleteमैंने पूछा मिट्टी से,
ReplyDeleteमिट्टी ओ मिट्टी, तू गीली क्यों है?
मिट्टी ने कहा मुझसे,
कल रात आदि ने यहां सू सू जो किया था.. :D