वैसे मेरे बाल बनाना कोई आसान काम नहीं है.. कम से कम तीन कंघे तो चाहिये ही.. वो इसलिये कि दो तो मेरे दोनों हाथों में खेलने के लिये.. और एक से आप बाल बनाओ..
जनमाष्टमी की सुबह जब नहा कर आया तो दादा ने सोचा कि आज आदि की चोटी बनाते हैं.. तो मैने भी सोचा चलो आज दादा तो ट्राई करने देते है और शराफत से बाल बनवाने लगा.. और तो और कंघा भी खुद ही दादा को दे दिया..
पसंद आया दादा पोते का ये खेल!!
क्या आनन्दमय दृश्य हैं! वाह!
ReplyDeleteदादा भी खुश और पोता भी...ये ख़ुशी दादा बने बिना महसूस नहीं की जा सकती...
ReplyDeleteनीरज
दादा के सामने कोई भी बच्चा शरारत कम ही करता है इसीलिए तुमने भी बाल आराम से बनवा लिए |
ReplyDeletedadaji ke saath aadi waah,bahut khush lag rahe hai dono bhi,ye pyar yuhi barkaraar rahe.
ReplyDeleteaadi bhai dada aur nai ,so good expresion
ReplyDeleteमेरे पापा से सब डर के मारे बात नहीं करते लेकिन मेरी बेटी को सभी अधिकार है कुछ भी करने का
ReplyDeleteबेटा मूल से सूद प्यारा होता है
तो दादा ने खूब दुलार किया आपका... मैं भी नेक्स्ट मंथ जा रही हूँ अपने दादा दादी से मिलने.... फिर मैं भी बताउंगी सारी बातें :-)
ReplyDeleteदुलार और कंघी एक साथ! वाह!
ReplyDeleteहम तो बाढ़ से परेशान हैं,
ReplyDeleteमगर आदि बेटा को
बधाई तो दे ही देते हैं।
वाह आदि आनंदम आनंदम.
ReplyDeleteरामराम.
आदि, कभी मत भूलना कि तुम्हारे सुंदर बालों को कब-कब किसने संवारा। ऐसे ही छूने भर से संवर जाती है जिंदगी भी। है ना!
ReplyDeleteबहुत अच्छा प्रयास
ReplyDeleteWahhhe Aditya Bhaiya...ye hui na acchhhon bachhon wali bat.
ReplyDeleteबहुत सुंदर तस्वीरें! मुझे तो अपने दादाजी की याद आ गई!
ReplyDeleteमेरे नए ब्लॉग पर आपका स्वागत है -
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com
गजब!! दादा तो गदगदायमान होंगे..जिओ मेरे लाल!!
ReplyDeleteओये हीरो ये दादा पोते का खेल मजेदार लगा....बहुत मजा आया सच आदि...
ReplyDeletelove ya