थल पर तो चलता ही हूँ.. नभ में भी विचरण कर लिया.. अब बारी थी जल में विचरण की... तो पद्मनाभपुरम घूमने के बाद हम थिर्पाराप्पू (
thirparappu) फाल्स गए... यहाँ सुन्दर झरना भी है और एक झील भी..झील के किनारे झूले भी लगे है...और ये जगह पद्मनाभपुरम से ज्याद दूर भी नहीं..
|
आप घूमने जाए तो मदद मिलेगी... |
|
झील... |
|
आदि का नौका विहार... |
|
जब तक कुछ शरारत न हो तो क्या मजा.. देखो.. पापा कैसे हाथ पकड़ के बैठे है.. |
|
फिर मजा झूले का.. |
|
नकली है तो क्या.. गेंडा तो है.. |
|
हाथी.. मेरा फेवरेट..
|
अगली कड़ी में विवेकान्द रोक मेमोरियल ले चलूँगा.... फिर मिलते है...
गैंडे की सवारी...हा हा!! आदि से तो डर कर हाथी भाग गया फिर गैंडा क्या चीज है. :)
ReplyDeleteअरे वाह...ये तो मजे आ गए आदि को...हुर्रे...
ReplyDeleteनीरज
अच्छा, हाथी पर इस लिये नहीं चढ़े कि असली है!
ReplyDeletewowwww hero.........khub mje kiye han...
ReplyDeleteregards
क्या बात है बढ़िया झूले , बढ़िया सवारियां ...खास कर गैंडे वाली सवारी...आदि बाबू ऐश हो रही है :)
ReplyDeleteबहुत बढिया आनंद ले रहे हो आदि.
ReplyDeleteरामराम.
आदि को पानी से खेलने में तो बडा मजा आया होगा...और पापा ने कस कर पकड़ रखा था,फिर कैसा डर
ReplyDeleteवाह तुम्हारी फोटो तो बहुत अच्छी खिंची हैं
ReplyDeleteअरे वाह आदि तुम्हे पानी के संग खेलते देख कर एक बार तो मै भी डर गया, फ़िर देखा अरे पापा ने पकड रखा है, बहुत सुंदर चित्र
ReplyDelete