दिल्ली से १७ जनवरी को निकले.... काफी कोहरा था... लग रहा था की फ्लाईट लेट होगी.. पर नहीं.. हम लक्की थे.. जब पहली बार बोर्डिग कार्ड मिला था तो बिना नाम का.. लेकिन इस बार बोर्डिंग कार्ड भी मेरे नाम का मिला... मेरी मस्ती एयपोर्ट पर शुरू हो गई.. मैं भागना चाह रहा था पर.. पापा मुझे जाने नहीं दे रहे थे.. आखिर सिक्योरिटी चेक पर पापा की पकड़ ढीली हुई और मैं लाइन से बाहर.. ऐसे ही मस्ती करते हुए हमारी बोर्डिंग भी हो गई.. पर मुझे प्लेन तक ले जाने वाली बस ज्यादा पसंद आई.. प्लेन में जाने के बजाय बस में घूमना चाह रहा था पर..
एक बार प्लेन में सवार हुआ तो मस्ती वहा भी शुरू हो गई...
१० दिन की मस्ती चार पोस्टो मे ..... बहुत नाइंसाफ़ी है .
ReplyDeleteवाह ! बढ़िया मौज लेकर आये हो |
ReplyDeleteha ha ha ha oye hero sach me plane se badlon ke bich me se gujarna behad romanchak hota hai...
ReplyDeletelove ya
बहुत अच्छे, बादलों मे घूमने के लिये तुझे मेरे पास आना पडेगा, मैं तेरे को जादू सिखाऊंगा.:)
ReplyDeleteरामराम
उड़न तश्तरी में बैठ कर बादल घूम लेना बबुआ..:)
ReplyDeleteमस्ती कटी..अब जल्दी जल्दी सुनाओ!!
आदि बेटा!
ReplyDeleteतुम्हारे मनोहारी चित्र देखकर तो हमें भी अपना बचपन याद आ गया!
धरती से आकाश तक के
ReplyDeleteसफल मधुरिम सफर के लिए बधाई!
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कह रहीं बालियाँ गेहूँ की -
नवसुर में कोयल गाता है - मीठा-मीठा-मीठा!"
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संपादक : सरस पायस
अरे तुम ने बताया ही नही, जब मिले, वेसे हो बहुत मस्त बहुत बहुत प्यार आदि अब पापा से बोलो मै तुम्हारी सारी फ़ोटो मेल कर दुं क्या?
ReplyDeleteआदि तुम्हारे पापा बहुत गड़बड़ कर रहे हैं भाई , दस दिन की घुमक्कड़ी पर केवल ४-५ पोस्ट ? बहुत नाइंसाफी है..
ReplyDeletebuzz
धीरू भाई, अली भाई..
ReplyDeleteपोस्ट में कंजूसी नहीं की जायेगी.. सारी बाते/फोटो पोस्ट करुगा चाहे कितनी भी पोस्ट हो जाए.. आभार..
अले वाह आदि...मम्मी-पापा के छात हवा में उल रहे हो...बहुत अच्छे....!!
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