Tuesday, June 29, 2010

बाँधौं आजु, कौन तोहि छोरै ।

"(माता कहती हैं-) `आज तुझे बाँध (ही) दूँगी, देखती हूँ कौन खोलता है । साथ बहुत ऊधम तूने किया ।' यह कहकर हाथ पकड़कर (उसे) रस्सी के द्वारा ऊखलसे बाँध रही हैं । माता को अत्यन्त क्रोधित देखकर मोहन ने अपने को बँधवा लिया और माता के मुख की ओर देखकर आँखों से आँसू ढुलकाने लगे ।"

ऐसा ही हुआ कल.. आदि ने बहुत शरारत की.. और मम्मु ने आदि के हाथ बाँध दिए... आदि बोला.. मम्मु अब कभी बमाशी नहीं करेगा... मेरे हाथ खोल दो....  मम्मु ने हाथ खोल दिए और दिन भर अतिरिक्त प्यार की बरसात करती रही....
हमारा प्यारा कान्हा.... 



सूरदास जी की ये दोहे ऐसी ही लीला का वर्णन करतें है....


बाँधौं आजु, कौन तोहि छोरै ।

बहुत लँगरई कीन्हीं मोसौं, भुज गहि ऊखल सौं जोरै ॥

जननी अति रिस जानि बँधायौ, निरखि बदन, लोचन जल ढोरै ।

यह सुनि ब्रज-जुवती सब धाई, कहतिं कान्ह अब क्यौं नहिं छोरै ॥

ऊखल सौं गहि बाँधि जसोदा, मारन कौं साँटी कर तोरै ।

साँटी देखि ग्वालि पछितानी, बिकल भई जहँ-तहँ मुख मोरे ॥

सुनहु महरि! ऐसी न बूझिए, सुत बाँधति माखन-दधि थोरैं ।

सूर स्याम कौं बहुत सतायौ, चूक परी हम तैं यह भोरैं ॥

भावार्थ :-- (माता कहती हैं-) `आज तुझे बाँध (ही) दूँगी, देखती हूँ कौन खोलता है । साथ बहुत ऊधम तूने किया ।' यह कहकर हाथ पकड़कर (उसे) रस्सी के द्वारा ऊखलसे बाँध रही हैं । माता को अत्यन्त क्रोधित देखकर मोहन ने अपने को बँधवा लिया और माता के मुख की ओर देखकर आँखों से आँसू ढुलकाने लगे । यह सुनकर (कि माता ने श्याम को बाँध दिया) व्रज की सब युवतियाँ दौड़ी आयीं और कहने लगीं - `अब कन्हाई को छोड़ क्यों नहीं देती !' (किंतु) यशोदा जी तो ऊखल से उन्हें बाँधकर मारने के लिये हाथ से छड़ी तोड़ रही है । छड़ी देखकर गोपियों को उलाहना देने का) बड़ा पश्चाताप हुआ ( श्याम के पीटे जाने की सम्भावना से ही व्याकुल होकर उन्होंने जहाँ-तहाँ अपना मुख छिपा लिया )। सूरदास जी कहते हैं- (वे सब बोलीं-) `व्रजरानी! ऐसा तुम्हें नहीं करना चाहिये कि थोड़े-से मक्खन और दहीं के लिये तुमने पुत्र को बाँध दिया। श्यामसुन्दर को तुमने बहुत त्रास दिया, यह तो भोलेपन के कारण हम लोगों से भूल हो गयी (जो उलाहना दिया )'

(आभार - कविता कोष)

Monday, June 28, 2010

आदि की स्कुल....

अगर दिल्ली में होते तो अब तक आदि जरुर कोई न कोई प्ले ग्रुप ज्वाइन कर चुका होता....पर बैंकोक में आने से ये मामला लटक गया... अप्रेल में एक दो स्कुल देखे.. काफी अच्छे थे.. पर काफी महंगे थे.. काफी महगें मतलब सोच से परे.. चूँकि अभी बैंकोक में केवल सितम्बर तक रुकना तय है.. इसलिए वो इरादा बदल दिया.. कुछ और स्कूलों के बारे में सूना.. पर देख नहीं पाए.. यहाँ के राजनितिक हालत ठीक नहीं थे.. तो कार्यक्रम फिर स्थगित हो गया... अब एक प्लेग्रुप देखा है.. अच्छा है.. घर के पास में ही है..  और बहुत रचनात्मक है..  वैसे तो आदि को प्ले ग्रुप की जरुरत नहीं है.. पर यहाँ उसके हमउम्र बच्चे ज्यादा नहीं है.. तो वो ज्यादा सोस्लाईज नहीं हो पा रहा.. सोच रहे है अगर ३-४ घंटे स्कुल जाएगा तो कुछ दोस्त बनाएगा.. मम्मी पापा के अलावा भी लोगों से मिलेगा... कुछ नया सीखेगा.. और स्कुल में दूसरे बच्चों को भी कुछ सिखा कर आएगा... :)

१ जुलाई को टीचर से मिलना है.. आदि को लेकर... और सब ठीक रहा तो ६ जुलाई से आदि स्कुल जाएगा....

स्कुल की बात सुन कर आदि भी बहुत खुश है.... और हम तो है ही...

Thursday, June 24, 2010

स्वीमिंग

आजकल स्वीमिंग काफी रेगुलर है.. थोड़ी बहुत सीख भी गया हूं.. पानी से दोस्ती हो गई और पूल से प्यार... अब आजाद मछली जैसे पूल के एक कोने से दूसरे कोने में.. छोटे पूल से बड़े पूल में तैरता हूं..  स्वीमिंग शुरू हुई थी कन्याकुमारी में.. बाबा हाथ पकड़ कर पानी में घुमाते थे.. मैं बाबा का हाथ पकडता था या बाबा मेरा... डर मुझे लगता था या बाबा को...पता नहीं... बैंकोक आने पर पहले दिन भी ये ही हाल था.... मेरे लिए एक ट्यूब आया था पर मुझे ट्यूब कम पसंद था... बाबा हाथ पकड़ कर छोटे पूल में घुमाते थे..  फिर एक दिन मेरा जैकेट आया.. फिर क्या था.. पहले दिन हाथ छुटा.. और अगले दिन पूल.. मतलब छोटे पूल से बड़े पूल में... और अब तो.. अब क्या.. फोटो नहीं देखोगे? 

हमारा पूल.. डोल्फिन वाला... ऐसे दिखता है हमारी बालकानी से...

चलें पूल में...

ये गया...

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चलते है पूल के बीच में..






ये लो आ गया..

आप भी आ जाओ...

आ चल डूब के देखें...

Monday, June 21, 2010

मुस्कान... Smile.

मेरी मुस्कान




है कोई जबाब....

(aadityaranjan, smile, cute kid, baby blogger)

Sunday, June 20, 2010

माँ का राजदुलारा....

मम्मु का प्यारा प्यारा राजदुलारा बेटा....







जिंदाबाद जिंदाबाद - मम्मु मेरी जिंदाबाद
जिंदाबाद जिंदाबाद - मम्मु मेरी जिंदाबाद

Thursday, June 17, 2010

एक बार फिर...

रतन अंकल ने बताया की कल ब्लॉग खोलने में दिक्कत हो रही थी.. कुछ समस्या हेडर में थी... और शायद फोटो भी ज्यादा थे...  अब राजुल दीदी ने नया हेडर बना दिया.. बहुत सुन्दर.... अब ब्लॉग आराम से खुलेगा...

तो एक बार फिर से सफारी वर्ड घूम ले...




पुरानी पोस्टिग यहाँ और यहाँ... और आप घूमने जा रहे है तो आपके लिए टिप्स...

और राजुल दीदी को थेक्स...

Wednesday, June 16, 2010

सफारी वर्ड आगे की सैर (Safari World)

कल हमने आधा सफारी वर्ड मतलब की मरीन पार्क घुमा .. आज चलते है.. सफारी पार्क में...

मरीन पार्क में डोल्फिन का शो देखते देखते मैं सो गया... अब क्या करते.. मैं सोता रहता और पापा मम्मी सफारी पार्क घूम लेते.. पर अगर मैं ही नहीं घूमा तो... आखिर वो मुझे घूमाने के चक्कर में ही तो घूम रहे है... तो तय हुआ की मुझे थोड़ी देर सोने दिया जाए और फिर सफारी वर्ड घूमा जाए... ३०-४० मिनिट की पावर नेप लेकर मैं तैयार था सफारी पार्क जाने के लिए.... और तब तक हमारी गाड़ी भी आ गई... 

लगभग तीन बजे.. हम चल पड़े सफारी पार्क की और... ये बिलकुल जंगल सफारी का अनुभव करने जैसा है... खुला जू.. अपनी गाड़ी में घूमते हुए बहुत सारे जन्तुओ को करीब से देख सकते है.. आप भी करीब से देखिये ये सुन्दर सुन्दर एनिमल्स....










ये आदि जेबरा देख रहा है..

ये हिरण बिलकुल हमारी गाड़ी के पास आ गया....






ये देखो हिरण कैसे लाइन से जा रहे है...



हाँ आप सही देख रहे है... ये शेर ही है....





शेर खा पीकर आराम कर रहे है...

और ये बंगाल टाईगर...

टाईगर और शेर साथ साथ आराम कर रहे है...





ये मोर हमें देख कर डांस करने लगा.....


कैसा लगा.. सफारी वर्ल्ड..

(Tag: safari world, safari park marine park, bangkok, Thailand, amazing Thailand)

Tuesday, June 15, 2010

मेरे साथ घूमे सफारी वर्ड....

सफारी वर्ड  बैकोक से करीब ३० किमी दूर है, एक घंटा लगता है.. सुबह १० बजे खुलता है.. (सप्ताहांत में सुबह ९ बजे).... इस रविवार को हमने सफारी वर्ड घूमने का प्लान बनया था... और सुबह सुबह तैयार होकर ९ बजे घर से निकल लिए..

प्रेक्सेद दीदी को भी वहाँ घूमना था... हम पहले दीदी के घर गए.. और वहाँ से गाड़ी में मस्ती करते करते पहुँच गए सफारी वर्ड....
ये है दीदी... 
 सफारी वर्ड के दो हिस्से है, सफारी पार्क और मरीन पार्क ...हम पहले मरीन पार्क गए..  यहाँ बहुत सारे बर्ड्स और एनिमल्स है.. और हाँ फिश भी है.. और डोल्फिन भी...



मरीन पार्क के गेट पर ये तोते हमारा स्वागत कर रहे थे....

ये देखो तोतो ने ऊ छुक छुक बना दी...
 मरीन पार्क काफी बड़ा है.. वहाँ दिन भर कई तरह के शो होते है... और ज्यादातर शो एक बार ही होते है... तो आपको शो का समय ध्यान में रख कर घूमना होता है.... और आप ज्यादा नहीं चल सकते तो ये गाड़ी है न..

हमने सारे शो नहीं देखे.. ज्यादा समय सभी बर्ड्स और एनिमल्स को देखने मे लगाया.. फिर भी ये तीन शो मिस नहीं कर सकते.. पहला था ओरंगुटान शो... ये मंकी मस्त फाईट करते है.. बहुत समझदार होते है...


ये देखो ये वाला मंकी जीत गया...

फिर हमने कुछ बर्ड देखे... ये ईगल कैसे देख रही है...

और वहाँ जिराफ भी है... "मैं जिराफ को खाना नहीं खिलाता...."

ये सील देखने के लिए मुझे कितना झुकना पड़ा न.... इस फोटो में गेबरियल अंकल और मेगरिता आंटी भी है.. दीदी के मम्मु पापा

ये देखो.. कैसे सो रहा है...  मैं इसका नाम भूल गया.. आपको पता है?

फिर हम देखने गए एलिफेंट शो.. ये देखो.. हाथी कैसे खड़े है...


और ये हाथी तो पेंटिग भी बनाता था...  पता है इस हाथी ने बाबा की मसाज की थी.. और बाबा को ये पेंटिग गिफ्ट मिली थी...


और फिर मैं हाथी पर बैठ गया..

वहीँ पार्क में है "एग्ग वर्ल्ड" बहुत तरह के अंडे..

ये है ओस्ट्रिच का अंडा.. देखो कितना बड़ा है....

अब मरीन वर्ल्ड का सफर समाप्ति पर था... बहुत गर्मी हो रही थी... कुछ खा पीकर हम पहुंचे.. डोल्फिन शो देखने...

 डोल्फिन सुन्दर सुन्दर डांस कर रही थी... उछल रही थी.. बहुत मस्त था.. शो.. और ये है डोल्फिन किस...

ये देखो डोल्फिन कैसे रिंग में से निकल रही है...

आप देखिये इस डोल्फिन को.. बाल के साथ खेलते... मैं चला सोने... वापस उठ कर सफारी पार्क भी तो घूमना है...

कल मिलते है.... सफारी पार्क में...  ज़रा बताना मेरे ब्लॉग का नया डिजाइन कैसा है?

(Tag: safari world, safari park marine park, bangkok, Thailand, amazing Thailand)
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