Friday, February 19, 2010

बाबा फिस्.....






(नागरकोविल के ऑफिस में. जनवरी-१०)

10 comments:

  1. जचेबिल पर्सनाल्टी है अपने आदि की .

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  2. सैर करना और नये-नये स्थानों के बारे में जानना ही तो जीवन है!
    बहुत आशीष!

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  3. अले, चप्पल पहन कर फिस?? जूता तो पहन लेते मेरे राजा बाबू!! :)

    लेकिन लग रहे हो फिर भी स्मार्टी...ऑफिस में सबने खिलाया कि नहीं?

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  4. जच रहे हो प्यारेलाल.

    रामराम.

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  5. अबे यह बन ठन के किधर को बाबा... आज तो बहुत शरीफ़ लग रहे हो, क्या चित्र किसी ओर ने खींचा है क्या

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  6. बोले तो हीरो लग रहा है, आदि...सुन्दर! बहुत सुन्दर!

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  7. chota baccha bhut pyara lag raha hai...

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  8. अली सैयदFebruary 19, 2010 at 7:51 PM

    आदि बेटा आज दो बातें हुई एक तो तुम संधि करना सीख गये ( बाबा +आफिस =बाबाफिस) जो अच्छे अच्छे नहीं कर पाते दूसरे यह भी देख लिया कि बड़े होकर इतने छोटे से आफिस में काम चलेगा की नहीं :)

    buzz

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कैसी लगी आपको आदि की बातें ? जरुर बतायें

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