Thursday, July 31, 2008

और यह गया मुँह के अन्दर......

अब तक तो मेरी अँगुली मुँह में जाती थी पर अब तो मेरे पास ताक़त आ रही है...

पता है , मेरी और मम्मी की कुश्ती चलती रहती है आजकल, शर्ट, टी-शर्ट या मेरे बनियान को लेकर.. कैसे?.. मैं खेलते-खलते अपनी शर्ट पकड़ कर मुँह में डाल लेता हुँ.. फिर मैं खुद में ही मस्त हो जाता हूँ.. किसी की कोई ज़रुरत नहीं.. पर जैसे ही मम्मी की नज़र पड़ती है.. वह जल्दी से मेरा शर्ट ठीक करती है.. और मैं फिर से उसे मुँह में... आजकल यही लुकाछिपी चलती है..

अब तो मुझे चादर ओढ़ना भी बुरा नहीं लगता.. पता है क्यों ? क्योंकि, चादर को मुँह में डालना तो और भी आसान है.

अब तो कछुआ भी मेरी पकड़ से बाहर नहीं.. और देखो - देखो यह भी गया मुँह के अंदर..

Wednesday, July 30, 2008

आदि बहुत busy था..

आप सोच रहे होंगे इतने दिनों से आदि ने कोई खब़र नहीं की.. आपको आदि की चिन्ता हो रही होगी.. पर क्या बताऊँ मैं बहुत busy था.. बहुत Meetings थी, वक़्त ही नहीं मिला वऱना आपके लिए ज़रूर लिख़ता.. आपको धीरे - धीरे बताता हूँ आदि कहाँ busy था...

Friday से शुरू करतें है.. शाम मे मेरी Mother-in-law मिलने आई थी, हाँ रितु आंटी (आंटी ने मेरे जन्म से पहले ही पापा से मेरे लिए बात कर ली थी.. देखते हैं अपना वादा़ कब पूरा करेगी?) आंटी मेरे लिए सुन्दर सा Teddy Bear और एक बैग लाई, thank you आंटी.. आंटी मुझसे मिल कर बहुत खुश थी, हम बहुत देर तक खेलते रहे.. फिर आंटी चली गई, मुझे पता है वह मुझसे मिलने जल्द ही आयेंगी .



Saturday को तो मेरी सब.........से बड़ी वाली मामी दादी आई थी.. बहुत दूर अहमदाबाद से.. मैं तो इनसे पहली बार ही मिला.. बहुत अच्छी है, बहुत प्यार करती है.. इनके साथ खेलने के लिए मेरे पास पूरे तीन दिन थे, शाम को तो पिकुं चाचा भी आ गये, पहले अभिषेक के बाद चाचा कुछ संभले हुए थे, पर इनके साथ तो मैं ख़ूब मस्ती करता हूँ.. और चाचा तो जम कर पुच्ची करते है. हाँ, saturday को दिन में मेरी नींद कुछ Disturb रही तो मैं पुरी तरह से fit नहीं था..

Sunday को बहुत fresh था, और अपने पूरे उत्साह से खेल रहा था और अपनी ही भाषा में सबसे बातें कर रहा था.. full masti.. और हाँ इन दो दिनों में मेरे green वाले मंकी से खिलाने की जिम्मेदारी पापा ने चाचा को दे दी, और चाचा बजाते बजाते थक गये पर मेरे लिए तो ये दिल मांगे More...वाली हालत थी..



Monday तो बहुत special था, मुझे कार के inauguration के लिए बुलाया गया था evening में, हाँ पिकुं चाचा चाहते थे, मैं उनकी कार का inauguration करुँ , और मैंने भी हाँ कर दी, शाम को चाचा कार लाये और मैंने सवारी कर उसका inauguration कर दिया... फिर हम मंदिर गये । वहाँ पंडित जी ने एक मोटा सा टिका मेरे माथे पर भी लगाया... दादी के तो जाने का time तब तक हो ही गया था। हम मंदिर से सीधे रेल्वे स्टेशन गये...long drive, कार की सवारी तो मुझे पसंद है, इसलिए आराम से गया.. हम दिल्ली केंट रेल्वे स्टेशन पर गये। जल्द ही मण्डोर Exp आ गई, आहा! मैंने पहली बार छुक-छुक गाड़ी देखी..
दिल्ली आने के बाद पहली बार इतना दूर गया न ! बहुत थक गया था.. और घर आकर सो गया था..

Friday, July 25, 2008

मेरे खिलौने

यह देखो मेरे खिलोने...



मैं इनको बहुत पसंद करता हूँ.. अलग-अलग समय में अलग खिलौने से खेलता हूँ..

वो देखिये, जो yellow- orangeकलर का है, वो मेरे झूले में लगता है. चाबी लगाने पर यह तेज़ घूमता है और आवाज़ भी करता है..इसके रंग बिरंगे सितारे मुझे बहुत आकर्षित करते हैं ..

दो झुन झुने और एक डफली है.. इनकी आवाज़ बहुत अच्छी है.. मेरा ध्यान बटाने के लिए इन्हें बजाया जाता है और पापा तो अक्सर मुझे सुलाने के लिए भी इन्हें बजाते है.

green कलर का मंकी देख रहे हो? यह मुझे सबसे ज़्यादा पसन्द है.. यह तो आवाज़ के साथ हाथ हिलाता है, मुँह खोलता है और आँखें भी टमकाता है.. जब मैं रोता हूँ तो इसे मुझे चुप कराने के लिए काम लेते हैं .. और मैं मान भी जाता हूँ.. क्या करुँ है ही इतना प्यारा, नज़र ही नही हटती।

जो बड़ा सा कछुआ देख रहे हैं .. यह नया नया आया है.. इसे मेरे सीने पर रख देते हैं फिर मैं प्यार से इसे निहारता हूँ, इसे पकड़ने पर भी यह चोट नहीं पहुंचाता , और अन्दर की बात यह है कि इसकी आड़ में मुँह में अँगुली भी आराम से रख लेता हूँ.

और भी बहुत सारे खिलोने हैं .. दादा के पास जोधपुर में रखे हैं .. चाचा उनको जल्दी से भेज दो please..

Thursday, July 24, 2008

बुरी नज़र से खुद ही बचना होगा!

आज टीका लगे तीन दिन हो गये. बुख़ार आज ठीक हो गया. अब मैं पहले की तरह active हो गया हूँ.. मेरी मस्ती चालू है... पर अब मुझे गोदी में रहना ज़्यादा अच्छा लगता है..

जन्म के बाद अस्पताल से सीधा मैं नानी के घर गया. नानी के पास बहुत दिनों तक रहा. नानी ने छोटे - छोटे काले मोतियों की लड़ी मेरे दोनों हाथों मे पहनाई.. बहुत सुन्दर लड़ी थी.. नानी कहती थी: यह मोती मुझे बुरी नज़र से बचायेंगे । यह बहुत दिनों से मेरे हाथों में थे.. हाँ "थे".. अब नहीं रहे.. जब से दिल्ली आया हूँ पापा की बुरी नज़र इन पर थी.. पापा इन्हे काटने की सोच रहे थे... पर पता नहीं क्यों अब तक बची रही ? ॠषभ भैया के काले धागे तो पापा ने एक नज़र में ही काट दिये थे.. ख़ैर बहुत दिनों तक देखने के बाद आज पापा ने एक एक कर दोनों हाथों की लड़ी उतार दी.. अब मुझे बुरी नज़र से खुद ही बचना होगा.

Monday, July 21, 2008

आज आदि उदास है

आज आदि हमेशा की ही तरह सुबह जल्दी उठ गया था.. सुबह ५.०० बजे.. पापा के साथ खेला और फिर से सो गया.. फिर ९ बजे पापा आदि को गाड़ी में बाहर ले गये, मम्मी भी साथ थी... यह दोनों आदि को मालवीय नगर के अस्पताल में ले गये.. बहुत बड़ा अस्पताल था.. आदि घर से बाहर आकर बहुत खुश था..

पापा कुछ जुगाड़ लगा कर जल्दी से एक पर्ची बना कर लाये.. फिर एक सिस्टर ने आदि का वज़न लिया.. आदि अब पूरे ५ किलो ८०० ग्राम का हो गया है.. लगता है आदि को ढंग से ही रखा जा रहा है.. वज़न तो ठीक ही बढ़ रहा है..

फिर आदि डाक्टर के पास गया और अपना चेकअप करवाया.. डाक्टर ने आँख, जीभ, धड़्कन देख कर कहा, सब ठीक है..

यहाँ तक तो सब ठीक था .. आदि को क्या पता असली मुसीबत तो अब आने वाली है.. आदि एक दूसरे कमरे में गया.. और वहाँ आदि को सुई लगा दी गयी . आदि रोया.. पर तुरन्त ही चुप हो गया . शायद यह सोच कर कि माथे तरह सबके सामने कोई आज आदि है !! नर्स दीदी बोली "यह तो बहुत कम रोया.".. फिर दीदी ने एक दवा भी पिलाई..

रास्ते में पापा मम्मी बात कर रहे थे कि आज आदि को "Easy Five" का दूसरा टीका लगा है.. और आदि अब Diphtheria, Tetanus, V-Pertusis, H. influenzae type b और Hepatitis B सबसे सुरक्षित रहेगा.. और Polio भी दूर रहेगा.. पर हाँ ! पूरी सुरक्षा के लिए आदि को ४ सप्ताह बाद फिर से सुई लगवानी होगी।

अस्पताल में तो आदि नहीं रोया पर घर आकर तो रोया ही.. पाँव में बहुत दर्द था..और आदि सो नहीं पा रहा था.. मम्मी ने दवा दी और माथे पर ठण्डे पानी की पट्टी भी की... शाम तक आदि कुछ ठीक हुआ.. । आज मम्मी-पापा कुछ ज़्यादा प्यार कर रहे हैं .क्योंकि आज आदि उदास है।

मेरी दिनचर्या



मुझे सुबह जल्दी उठना पसन्द है.. पर पापा मम्मी सोते रहते हैं । मैं अक्सर सुबह ५-६ बजे उठ जाता हूँ.. उठ कर खुद ही खेलने लगता हूँ.. खेलते-खेलते ज़ोर-ज़ोर से आवाज़ भी करता हूँ..और दीवार ताकता रहता हूँ या फिर बल्ब देखता रहता हूँ..मेरी आवाज़ सुन पापा-मम्मी भी जाग जाते हैं .... मैं एक बार तो बिस्तर गिला कर ही चुका होता हूँ.. मम्मी मेरी नेपी बदल कर दूध पिला कर पलंग पर लेटा देती है.. अब मेरे पास मस्ती करने के लिए पूरी ताक़त आ चुकी होती है। मै पापा के साथ खेलता हूँ, बातें करता हूँ.. पर अख़बार आते ही पापा ग़ायब हो जाते हैं .. और मम्मी दूध पिला कर फिर से सुला देती है.... जब मैं फिर से उठता हूँ तब तक पापा ऑफिस जा चुके होते हैं और घर में मम्मी और दीदी होते हैं उनके साथ खेलता हूँ।

फिर मेरी मालिश होती है। जैतुन, बादाम और नारियल के मिले-जुले तेल से. मम्मी अच्छे से कसरत करवाती है, फिर कुछ समय बाद गुनगुने पानी से नहलाती है फिर अच्छे से तैयार करती है. अब तक में काफ़ी थक चुका होता हूँ.. और लंच कर के सो जाता हूँ. हाँ ! आजकल मम्मी ने मुझे कपड़े में लपेटना बन्द कर दिया है और मैं आराम से फैल कर सो सकता हूँ. शाम को पापा के ऑफ़िस से आते आते में अपनी पूरी उर्जा के साथ तैयार हो जाता हूँ। पापा के साथ खूब मस्ती चलती है। कभी झूले में, कभी गोदी में.. आजकल मेरा ध्यान आवाज़ की तरफ़ जाता है। इसलिए मेरे सामने बहुत तरह के झुनझुने बजाये जाते हैं और मैं बहुत खुश होता हूँ। लुकाछिपी का खेल खेलते, झूला झूलते, और लोरी सुनते-सुनते रात ११ बजे तक सो जाता हूँ.

छोटा कर के बोले तो... सोना - जागना, हँसना - रोना, खाना - खेलना, झूला झूलना, सुसु - पोटी करना और हाँ फोटो खिचवाना यही ज़िन्दगी है, और मज़े से गुज़र रही है, मेरी तो। ....... पापा-मम्मी का पता नहीं ! आप ही पूछ लो न !







Sunday, July 20, 2008

आख़िर में मुझे ही सोना पडता है..

कल पापा वापस आए. पापा बाहर गये हुए थे बहुत दूर.. पापा आये तो उनका इन्तिज़ार ही कर रहा था. पापा जैसे ही आये मेरे साथ खेलने लगे, बातें करने लगे. मैं भी पापा को देख कर बहुत खुश था.

पापा ने मुझे गोद में लिया तो मेरी मस्ती का कोई ठिकाना न रहा.. पापा कुछ ज़्यादा ही excited थे.. खुद लेट गये और मुझे अपने सीने पर लिटा दिया.. पर अचानक पता नहीं उन्हें क्या हुआ वह मुझे नीचे लिटा कर बाथरुम में नहाने चले गये. मम्मी ने मुझे भी नलहाकर सुला दिया..


पता है.. मुझे एक कछुआ gift मिला है.. मैं कछुए के साथ भी खेल सकता हूँ.. अगर कोई उसे मेरे सीने पर रख दे तो मैं उसकी गर्दन और पाँव पकड़ कर मुँह में डालने की कोशिश करता हूँ।

दिन में प्यार करने और ध्यान रखने वालों को रात में पता नहीं क्या हो जाता है ? मैं खेलने के लिये पूरा active होता हूँ और ये lights off कर मुझे सुलाने की पूरी कोशिश करते हैं . मैं भी इनसे लुकाछिपी का खेल खेलता हूँ । मेरी आखें बन्द समझ यह सोचते है मैं सो रहा हूँ.. और जैसे ही झुला बंद करते है। मैं फिर आँखें खोल कर खेलने लग जाता हूँ.. ख़ैर आख़िर में मुझे ही सोना पड़ता है..

Wednesday, July 16, 2008

नया शग़ल !!

आज से नया काम शुरू किया है.. बताओ क्या..? सोचो..!!

नहीं पता चला, मैं बताता हूँ.. मैंने मुँह में अँगुली डालना सीख लिया है.. मैं ख़ाली समय में दायें हाथ की एक अँगुली मुँह में रख लेता हूँ.. मम्मी सोचती है कि भूख लगी है पर उन्हें क्या पता यह मेरा नया शग़ल है..



जैसी उम्मीद थी मेरे नाखुन नहीं रहे। पापा ने काट दिये जब मैं दूध पी रहा था।


पापा की ट्रेनिंग पूरी हो गई है। अब पापा मुझे आराम से उठा लेते है।
(सोमवार, १४ जुलाई)

Tuesday, July 15, 2008

मै परी से मिला..



रविवार का दिन था, बहुत सुकुन से गुजरा.. सुबह मालिश हुई.. नहाया और सोया.. आज पापा ने मेरे नाखुन काटने की कोशीश की, पुरे दिन की मश्कत के बाद केवल दो नाखुन काट पाये.. मुझे पता है जब मे सो रहा हूँगा तो कोइ मेरे नाखुन काट देगा।




शाम में परी दीदी मिलने आई। मैं सो रहा था पर जैसे ही दीदी आई मे उठ गया। दीदी मुझे देख कर बहूत खुश हुई.. दीदी अपने मम्मी-पापा के साथ आई थी..परी की मम्मी ने मेरी बहुत कसरत करवाई.. वो कह रही थी मुझे "रफ - टफ" होना चाहीये.. परी मेरे साथ बहुत खेल रही थी। और किसी को भी मुझे छुने नहीं दे रही थी।






देर शाम जब मे रोया तो मेरी आखों मे आँसु आये.. मम्मी ने बताया की अब रोने पर मेरी आँखे गीली होती है..

रात को मुझे बहुत मस्ती आ रही थी.. बिल्कुल नींद नही आ रही थी..पापा के साथ खुब देर तक खेलता रहा..

Saturday, July 12, 2008

अब मैं अपना खिलौना खुद़ पकड सकता हूँ.

आज का दिन बहुत अच्छा था. सुबह-सुबह सुमित चाचा का फोन आया. वो CA मे पास हो गये, मुझे नहीं पता ये CA होता क्या है, पर सब बहुत खुश थे. पापा बहुत देर तक फोन पर बात कर रहे थे..

और हां आज पापा भी पुरे दिन घर पर थे। मेरे दिल्ली आने के बाद पहली बार, शायद आज ओफिस की छुट्टी होगी.. आज मनोज मामा भी आये थे पर मैं तो सो रहा था, मुझसे मिले बिना चले गये।
बहुत दिनों से कोशीश कर रहा था. खिलौना पकडने की.. आज सीख गया.. अब मैं अपना खिलौना खुद़ पकड सकता हूँ.

हाँ, कुछ बात चल रही है कुछ प्रोग्राम की शायद अगस्त में बाहर जाना पड़े । आप सभी आयेगें न?



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Friday, July 11, 2008

मेरी पहली यात्रा - flash back

मेरा जन्म जोधपुर में हुआ था.. पर पापा दिल्ली में रहते हैं तो हमको जोधपुर से दिल्ली आना था.. पापा लेने नहीं आये बस टिकट भेज दिये.. मेरा भी टिकट बना. आदित्य रंजन नाम से.. (पर एयरलाईन्स वालों ने बोर्डीग कार्ड पर infant लिख कर छोड़ दिया).. मैं मम्मी के साथ एयरपोर्ट पहुँचा . .. रविवार ६ जुलाई को..दादा-दादी भी छोड़ने आये.. मम्मी मुझे उठा के नहीं चल सकती इसलिए एक अंकल मुझे हवाई जहाज तक लेकर गये.. एयरइंडिया (हाँ ! आप लोग इंडियन एयरलाईन्स भी बोलते हैं ).. की उड़ान थी IC - 472.. हम जोधपुर से शाम ५.४० पर चले (हाँ उड़े ).. २० मिनिट देर से.. रास्ते में बहुत मस्ती की.. सब लोग ..और मैं अकेला...और हाँ air hostess भी मुझसे खूब बातें करती रहीं...एकाएक मैं सुबक भी जाता.... थोड़ा रोया भी..और रोते-रोते हँसा भी .. पर चलता है..


फिर पता नहीं फ़्लाईट कहाँ लेट हो गई.. पापा इंतज़ार कर रहे थे..


७.३० पर हम एयरपोर्ट से बाहर निकले.. पापा वहीं थे.. इस बार एक दूसरे अंकल गोदी में उठा कर मुझे बाहर लेकर लाये.. हम पार्किंग में गये.. अंकल ने गाड़ी में बिठाया.. और हम घर की तरफ रवाना हो गये.. हाँ !! पापा अपना पर्स तो रमेश ताऊ के घर भूल आये थे.. पार्किंग के पैसे भी मम्मी से उधार लेके दिये॥
पापा सही कह रहा हूँ न !

Thursday, July 10, 2008

चाचा का अभिषेक



परसों (८ जुलाई को) चाचा मिलने आये.. बहुत सारे चाचा हैं .. मिलने आये पिकुं चाचा.. काफ़ी देर हो गई थी इन्तिज़ार करते-करते. एक नींद भी पूरी हो गई.. चाचा आये क़रीब ९ बजे.. शाम..नहीं रात में . आते ही बहुत प्यार जताया.. और गोद में उठा लिया.. अपुन खुश.. मस्त.. काफ़ी बात करते रहे .. लेकिन मेरी emergency समझ नहीं रहे थे.. ख़ैर मुझसे ज़्यादा कंट्रोल नहीं हुआ..और कर दिया चाचा का अभिषेक ..




चाचा हैरान.. !!! ...पर जो होना था ... हो चुका...
...हमने खूब मस्ती की...
उफ़ ! चाचा जल्दी चले गये.. शायद आज आये॥
आओगे न चाचा !
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