Monday, January 26, 2009

दे ताली..

नई-नई चीजे सीखने लगा हूँ मैं.. मम्मी से प्यारी करता हूँ तो पापा से अलग तरह की मस्ती.. पता है अब मैं क्या नई चीज सीखा हूँ.. ताली बजाना..

पापा अपने हाथ मेरे सामने लाते है और कहते है "दे ताली".. फिर देखिये मैं पूरी ताकत से उनके हाथों पर अपने हाथ पटकता हूँ..और पापा खुश हो जाते हैं.. हम दोनों बहुत देर तक ऐसे तालियाँ बजाते है..



अकेले में भी मैं दोनों हाथों से ताली बजाता हूँ.. और तो और कई बार ताली बजा बजा कर रोता हूँ.. है न मजेदार :)

आप सभी तो गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाऐं!!

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(आपकी प्रतिक्रिया मिली थी की मेरा ब्लोग खुलने में काफी समय लेता है, तो आज इसका हुलिया बदल दिया है.. (वैसे तो कुश अंकल भी नया हुलिया भेजने वाले हैं.. पर तब तक ये ही सही).. अगर अब भी ये ज्यादा समय ले तो जरुर  बताना..)

6 comments:

  1. अरे यार पल्टू वो क्या है ना कि तेरे से मिलने की जल्दी रहती है ना इसलिये लगत है कि देर लग रही है.:)

    आज दिन भर तालीयां बजा कर जवानों की होसला अफ़्जाई करते रहना.

    गणतंत्र दिवस की बधाई और घणी रामराम जी.

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  2. अरे वाह खूब ! ताली बजा रहे हो !
    पिछले १५ दिनों से तुम्हारे शहर जोधपुर में था आज ही आया हूँ आते ही तुम्हारा ब्लॉग देखा डिजाईन बहुत अच्छा लगा !

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  3. हमको भी-दे ताली!!


    आपको एवं आपके परिवार को गणतंत्र दिवस पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.

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  4. तुम्हारी ताली की आवाज सुन कर भागा चला आया। कभी मेरे ब्लाग पर आओ तो तुम्हें शानदार कविताएं सुनाऊंगा http://babloobachpan.blogspot.com

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  5. बढ़िया पोस्ट। दे ताली!

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  6. पलटू भाई खुब बजाओ ताली. शाबस
    गणतंत्र दिवस पर आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं

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कैसी लगी आपको आदि की बातें ? जरुर बतायें

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