Thursday, January 29, 2009

क्या कहते हैं ज्योतिषी..


जन्म के कुछ समय बाद ही दादा मेरी जन्मपत्रिका बनवा लायें. जोधपुर से ज्योतिषी श्री रिद्धकरण पारीक जी से. पत्रिका तो दादा के पास ही रखी है. उसके कुछ अंश आपसे भी शेयर करता हूं. वैसा ही जैसा पत्री में लिखा है अक्षरक्षः  
चलित से
"सिंह लग्न"
 "शनि छटेश सप्तमेश व्यय भाव में केतू के साथ है. अतः दामपत्य जीवन सुखी रहने का योग है, प्रवासी योग बना है.
बुध धनेश लाभेश भाग्य भाव में होने से धन परिवार सुख का पूर्ण योग है. जातक भाग्यशाली होगा.
सुर्य लग्लेश अष्टम भाव प्राक्रमेश दशमेश शुक्र के साथ ही है. जातक दिर्घजीवी स्वतंत्र विचारों वाला तथा विशेष खर्चिले स्वभाववाला होगा.
मंगल सुखेश भाग्येश लाभ भाव में है. जातक के अपने ही बुद्धीबल से अपना स्टेटस बनाने का योग. भूमी भवन सुख का भी उत्तम योग बना है.
गुरू: पंचमेग अष्टमेश स्वगृही पंचम भाव में होने से कमर्शियल (कानून) + विज्ञान (तकनिकी) शिक्षा का पूर्ण योग हैतथा संतान सुख का भी पूर्ण योग है. जातक भाग्यशाली होने के साथ दिर्घजीवी योग बना है.
चन्द्र का व्ययएश सप्तम भाव में है. पानी से भय रहेगा पाचन क्रिया कमजोर रहेगी अत: रत्ती का मोती गले में पहिनना शुभ रहेगा."
तो ये है मेरा भविष्यफल.. और भाग्यशाली तो मैं हूँ ही न? आप सभी का प्यार जो मिलता है, और आपसे दोस्ती भी हो गई..क्या कहा आप अभी मेरे दोस्त नहीं बने.. कोई बात नहीं जल्दी से यहाँ क्लिक करें..  

13 comments:

  1. बहुत बढ़िया जन्म पत्री है इसी कुंडली की सभी बाते सही हो और तुम भाग्यशाली बनो यही कामना है ! बस पाचन शक्ति के बारे में अभी से ध्यान रखना !

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  2. बहुत आशिर्वाद भाइ.

    रामराम

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  3. भाई हमको तो ज्योतिष में न भरोसा . न इसकी जानकारी !

    हमारा आशीर्वाद सदा तुम्हारे साथ है . सदा खुश रहो !

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  4. आदी जन्मपत्री तो बहुत शुभ संकेत देती है ....भगवान का आशीर्वाद सदा ही तुम्हरे साथ रहे हमारी यही कामना है ...

    love ya..

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  5. ना बिटवा.. अपना जनमपत्री खुद बनाना.. इससे भी बढ़िया..
    (मेरे जन्मपत्री में जो भी लिखा था उसमे कुछ भी सही नहीं निकला.. :D)

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  6. अरे ज्योतिषी की क्या जरूरत, हम तो वैसे ही जानते हैं कि भाग्यशाली हो। सुन्दर ब्लॉग से सज्जित!

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  7. sada khush raho, jyotish ek gaNit hai aur is par kabhi-kabhi vishvas kiya jaaye to galat nahe, par karm kaa tyaag nahee karana!

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  8. अरे ओ आदित्य के पापा,
    देखा तुमने कितना लकी है तुम्हारा बेटा. और प्रवासी योग भी बन रहा है. चलो कुछ गुण तो मेरे जैसे भी हैं.

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  9. बहुत बहुत बधाई।

    देखो तूमहारा कूंडली देखने
    के लीये आज मेरा नेट काम करने लगा।

    बहुत लकी हो।

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  10. अबे पलटू, बेटा अपना भाविष्या खुद बनाना ओर अपने पर हमेशा भारोसा रखना, फ़िर तुम जो चाहो बन सकते है, लेकिन जिस चीज को मै नही मानता इस का मतलब वो गलत है तो सच मै मै ही गलत हू, क्योकि मुझे उस चीज पर यकीन नही लेकिन कितने ही ओर लोगो को तो है

    पलटू बेटा अब खडा होना भी सीख ले...
    प्यार ओर प्यार

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  11. दामपत्य जीवन सुखी रहने का योग है, व प्रवासी योग बना है.


    -बस, अब क्या है..शादी कर लो और चले आओ समीर अंकल के यहाँ कनाडा. :)

    बेटे, कुण्डली ताले में बंद करके रख दो. सिर्फ शादी में गुण मिलवाने के लिए काम में लेंगे. ओके. :)

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  12. कुण्डली में देखना तो बबुआ के बाल घने कब होंगे?? :)

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  13. आदि,
    ज्योतिषी श्री रिद्धकरण जी पारीक ने अच्छा फ़लित किया है, सोचा कि आप को कुछ और बताँऊ...

    आपके जीवन पर चलित कुन्ड्ली से अधिक लग्न कुन्ड्ली का प्रभाव प्रतीत होता है...
    आपका जन्म लग्न सिंह एवं राशि मीन है, लग्न कुन्ड्ली में लग्न में शनि व केतू साथ हैं, शनि छटेश सप्तमेश है, लग्नेश सूर्य नवम भाव में पराक्रमेश व कर्मेश शुक्र के साथ है एवं उच्च का है...यह आपको भाग्याशाली, नैतिक, गुरु व धर्म का पालक, चर्चा योग्य बनाता है. आप अपने पिता से किसी विशेष कला को सीख सकते हो. पिता के साथ किसी विशेष प्रकार के संबध का भी आभास होता है (शायद आदि ब्लोग...कठिन विश्लेषण है)

    बुध धनेश लाभेश कर्म भाव में आपको धनी व भाग्याशाली बनाता है.

    मंगल सुखेश व भाग्येश द्वाद्श भाव में है. गुरू पंचमेग अष्टमेश स्वगृही पंचम भाव में आपको बुधिजीवी व नैतिक गुणों से युक्त करता है, साथ ही धर्म व पवित्रता का जानकार बनाता है.

    जन्म के समय शनि की महादशा में शनि की अंतर दशा व गुरू की प्रत्यंतर दशा थी, एवं अब वर्तमान मे शनि की महादशा में बुध की अंतर दशा जारी है. अत: स्वास्थ्य का ध्यान रखना आवश्यक है...

    शेष ईश्वर इच्छा....मुस्कुराते रहो...

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कैसी लगी आपको आदि की बातें ? जरुर बतायें

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