Wednesday, January 21, 2009

कितनी दवाऐं खानी पड़ती है?

१४ तारीख को मुझे खांसी जुकाम हो गया.. और पहुँच गया डॉ तातेड़ के पास, उन्होने कुछ दवाऐं पीने के लिये दी.. ज्यादा नहीं बस दो थी.. अगले दिन बुखार भी आ गया और दस्त भी हो गये.. फिर डॉ के पास और दो दवाऐं और.. दो और दो कुल हुई चार.. कोई दिन में एक बार, कोई दो बार और कोई तो तीन बार, खैर बुखार और दस्त तो एक दिन में ठीक हो गई और कुछ दवाऐं भी कम हो गई.. पर खांसी जुकाम जारी था.. और खांसी तो काफी तेज थी..और तो और मेरा खाना पीना भी पहले से कम हो गया था क्या करता कुछ भी खाने को मन ही नहीं करता. इधर  जोधपुर से लिखी हुई सारी दवाऐं भी खत्म हो गई.... फिर रवीवार यानी १८ तारीख तो दिल्ली में डॉ घटक के पास गये.. डॉ अंकल ने बहुत प्यार से देखा और कहा की पेट में अभी संक्रमण है और खांसी तो है ही.. फिर क्या था.. चार दवाऐं लिख दी..
अब मैं समझने लगा हूँ तो मुझे दवा देना भी कोई आसान काम नहीं है... क्या क्या जतन करने पड़ते हैं.. पापा मम्मी की पूरी कसरत हो जाती है..दवा देने के नये नये प्रयोग..कभी बहला के, कभी ध्यान हटा कर तो कभी हाथ पकड़ कर.. कभी ड्रापर से, कभी चम्मच से.. आखिर मे  दवा तो खानी ही पड़ती है..जैसे तैसे ये कोर्स खत्म होने को है.. लेकिन मेरी हालत देख कर मम्मी को लगता है.. "एक दो दवा कम ही दे दें, तो क्या फर्क पडे़गा"

लेकिन अब मैं अच्छा हो गया हूँ... खाना पीना भी पहले जैसा हो रहा है... दवाईयें भी काफी कम हो गई है..लेकिन आप बताओ ये इतनी सारी दवाईयां क्यों होती है? बच्चों के लिये कम नहीं हो सकती? और हाँ ये कड़वी क्यों होती है.. हमारे लिये मीठी नहीं हो सकती क्या?.


और ये रही मेरे दो दाँतों वाली फोटो..

मुझे गले लगाने के लिये यहां click करें!

(चाचा की शादी में लिये फोटो जल्द ही आपको दिखाऊगां, और हाँ अगली बार बता कर जाऊगां सोरी....)

9 comments:

  1. हमने भी गले लगा लिया भई तुमको..

    टाइम पे दवाई लिया करो.. मम्मी पापा को ज़्यादा परेशान मत किया करो..

    जल्दी जल्दी ठीक हो जाओ.. फिर गन्ने खाने चलेंगे.. दाँत तो तुम्हारे आ ही गये..

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  2. मुझे भी खानी पड़ी थी कड़वी-2 दवाई, अभी नहीं इसका भला बाद में समझोगे आप!

    बहुत सुन्दर, बधाई

    ---आपका हार्दिक स्वागत है
    चाँद, बादल और शाम

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  3. जल्दी से ठीक हो जाया करो-थोड़ा बहुत तो मौसम बदलने से लगा रहता है

    आपने पापा की पसंद के ब्लॉग से हमारा नाम हटा दिया, गुस्सा हो क्या?

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  4. "क्या हुआ आदि को ....ये दवा होती ही कड़वी है तभी इनसे बच कर रहना ओके....दो दांत भी प्यारे लग रहे हैं और ये गुलाबी ड्रेस भी...."
    Love ya

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  5. अगर मम्‍मी पापा का कहना मानो, ठंड में इधर उधर न जाओ, तो फिर दवाएं क्‍यों खानी पडें। बोलो।

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  6. ए दवाई टैम से लेने का ! क्या !

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  7. भाई जरा उल्टी सीधी बाहर की चीजें मुंह मे मत डाला करो यार पल्टू.
    इसी से इन्फ़ेक्शन हो जाता है. खैर अब तो दवाए ठीक से लो और जल्दी से ठीक होकर आजाओ यार मैदान मे. :)

    रामराम.

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  8. अबे दन्दू आराम से दवा खा लिया कर, ओर हाम ममी को बोल शहद मे एक चुटकी हल्दी डाल कर तुझे चटाये दिन मे दो तीन बार , खांसी भाग जायेगी
    प्यार

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  9. हम भी जोधपुर में रहते है, दोस्ती हो गई न!

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कैसी लगी आपको आदि की बातें ? जरुर बतायें

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