अब मैं समझने लगा हूँ तो मुझे दवा देना भी कोई आसान काम नहीं है... क्या क्या जतन करने पड़ते हैं.. पापा मम्मी की पूरी कसरत हो जाती है..दवा देने के नये नये प्रयोग..कभी बहला के, कभी ध्यान हटा कर तो कभी हाथ पकड़ कर.. कभी ड्रापर से, कभी चम्मच से.. आखिर मे दवा तो खानी ही पड़ती है..जैसे तैसे ये कोर्स खत्म होने को है.. लेकिन मेरी हालत देख कर मम्मी को लगता है.. "एक दो दवा कम ही दे दें, तो क्या फर्क पडे़गा"
लेकिन अब मैं अच्छा हो गया हूँ... खाना पीना भी पहले जैसा हो रहा है... दवाईयें भी काफी कम हो गई है..लेकिन आप बताओ ये इतनी सारी दवाईयां क्यों होती है? बच्चों के लिये कम नहीं हो सकती? और हाँ ये कड़वी क्यों होती है.. हमारे लिये मीठी नहीं हो सकती क्या?.
और ये रही मेरे दो दाँतों वाली फोटो..
मुझे गले लगाने के लिये यहां click करें!
(चाचा की शादी में लिये फोटो जल्द ही आपको दिखाऊगां, और हाँ अगली बार बता कर जाऊगां सोरी....)
हमने भी गले लगा लिया भई तुमको..
ReplyDeleteटाइम पे दवाई लिया करो.. मम्मी पापा को ज़्यादा परेशान मत किया करो..
जल्दी जल्दी ठीक हो जाओ.. फिर गन्ने खाने चलेंगे.. दाँत तो तुम्हारे आ ही गये..
मुझे भी खानी पड़ी थी कड़वी-2 दवाई, अभी नहीं इसका भला बाद में समझोगे आप!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर, बधाई
---आपका हार्दिक स्वागत है
चाँद, बादल और शाम
जल्दी से ठीक हो जाया करो-थोड़ा बहुत तो मौसम बदलने से लगा रहता है
ReplyDeleteआपने पापा की पसंद के ब्लॉग से हमारा नाम हटा दिया, गुस्सा हो क्या?
"क्या हुआ आदि को ....ये दवा होती ही कड़वी है तभी इनसे बच कर रहना ओके....दो दांत भी प्यारे लग रहे हैं और ये गुलाबी ड्रेस भी...."
ReplyDeleteLove ya
अगर मम्मी पापा का कहना मानो, ठंड में इधर उधर न जाओ, तो फिर दवाएं क्यों खानी पडें। बोलो।
ReplyDeleteए दवाई टैम से लेने का ! क्या !
ReplyDeleteभाई जरा उल्टी सीधी बाहर की चीजें मुंह मे मत डाला करो यार पल्टू.
ReplyDeleteइसी से इन्फ़ेक्शन हो जाता है. खैर अब तो दवाए ठीक से लो और जल्दी से ठीक होकर आजाओ यार मैदान मे. :)
रामराम.
अबे दन्दू आराम से दवा खा लिया कर, ओर हाम ममी को बोल शहद मे एक चुटकी हल्दी डाल कर तुझे चटाये दिन मे दो तीन बार , खांसी भाग जायेगी
ReplyDeleteप्यार
हम भी जोधपुर में रहते है, दोस्ती हो गई न!
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