सुबह समय से ही उठा.. सात बजे.. और हमेशा की ही तरह..नहा के तैयार हो गया.. आज मम्मी ने नये कपडे़ पहनाये कुर्ता-पायजामा.. पापा भी तैयार हो गये.. और हम चले.. पर ये क्या आज पापा आंटी के घर जाने के बजाय मुझे नीचे ग्राउंड पर ले गये.. वंहा पहले से काफी लोग थे.. तब पता चला आज कुछ खास है... थोड़ी देर बाद ही ध्वजारोहण हुआ.. सबने "जन-गण-मन" गाया.. और फिर लड्डू भी मिला.. मैने तो अपना लड्डू वहीं खा लिया..
पापा मम्मी की भी छुट्टी, तो फिर पूरा दिन खूब मस्ती की आप भी देखिये एक झलक..
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(आपकी प्रतिक्रिया मिली थी की मेरा ब्लोग खुलने में काफी समय लेता है, तो आज इसका हुलिया बदल दिया है.. (वैसे तो कुश अंकल भी नया हुलिया भेजने वाले हैं.. पर तब तक ये ही सही).. अगर अब भी ये ज्यादा समय ले तो जरुर बताना..)
भई वाह ! ब्लॉग का रंग बदल दिया ! बहुत अच्छा लग रहा है अभी !
ReplyDeleteलड्डू खा चुके..फिर काहे गेंद खा रहे हो जी.
ReplyDeleteकुर्ता पैजामा तो हम भी पहने थे मगर उतना नया और रंग बिरंगा नहीं, जितना सुन्दर तुम्हारा है. कुछ लड्डू हमारे लिए भी लाये क्या पापा?
बहुत प्यारे लग रहे हो..गणतंत्र दिवस पर खूब प्यार.
सर्दी आई सर्दी आई
ReplyDeleteबबुआ ढ़ूँढ़े गरम रजाई..
नहीं मिली तो रोया जम कर..
मम्मी ने तब दी दूध मलाई.
सर्दी आई सर्दी आई.
सर्दी आई सर्दी आई
ReplyDeleteपीछे से बिल्ली मौसी आयी
बिल्ली मौसी नाची जम कर
मुन्ने कि खूब हुई हंसाई
सर्दी आई सर्दी आई
:)
बहुत स्मार्ट लग रहे हो कुर्ते पायजामे मे.
ReplyDeleteलड्डू थोडे से चुपचाप इधर भी खिसका दो यार पल्टू भाई. :)
रामराम.
अरे वाह, आप काफी स्मार्ट होते जा रहे हो।
ReplyDeleteचका चक है ब्लॉग का रंग भी ओर कुरते में तुम भी....
ReplyDeleteअबे पलटू तुम्हारी टोपी तो बहुत प्यारी है,
ReplyDeleteचलो झंडा फ़हरा लिया, अरे लगता है लड्डू खा रहे हो.
अच्छा बेटा बहुत बहुत प्यार
आदि अब ब्लॉग ठीक से खुल रहा है पहली बडी परेशानी होती थी....बहुत प्यारे लग रहे हो...."
ReplyDeleteLove ya
झंडा फहराने की बधाई....
ReplyDeleteअब हर साल इसी तरह झंडा फहराना...