मेट्रो में गए बहुत दिन हो गए.. बहुत दिनों से दूर से ही देखता हूँ... कल बाबा ने मन बनाया की चलो आदि को मेट्रो में घुमा कर लाते है.. फिर क्या बाबा ने मुझे तैयार किया.. और एक सुन्दर सी पोनी भी बना दी...
फिर हम पहुच गए सेक्टर १३ के मेट्रो स्टेशन पर.. सुरक्षा जाँच करवाई.. और चले प्लेटफार्म पर.. कुछ देर बाद आई मेट्रो में हम सवार हो गए...
और शुरू हो गया आदि... छुक छुक ऊउऊ..........
मेट्रो में ज्यादा लोग नहीं थे.. पर जो थे वो मुझसे हेलो करने और स्माइल करने से नहीं चुके..
पसंद आया..
वाह बिटवा पोनी बना के मेट्रो की सवारी ...ऐश हो रही है ..शाबास घूमो खूब घूमो ....और छुक छुक रेल चलाओ ..जियो मेरे लाल
ReplyDeleteआदि बेटा तुम्हारे पापा बहुत अच्छे हैं .......7
ReplyDeleteहम तो तो हैलो कहते पोनी वाली बच्ची को... :)
ReplyDeleteदेख ले बेटा आदि..समीर अंकल तेरी पोनी की मजाक उडा रहे हैं और तेरे को बच्ची को बोल रहे हैं?:)
ReplyDeleteपर यार कुछ भी कह...तू कुछ ज्यादा ही जंच रहा है आज तो. जरा काजल लगवा लेना बाबा से.
रामराम.
लेलगाली, लेलगाली.....
ReplyDeleteजिसपर हमको है नाज़, उसका जन्मदिवस है आज।
कोमा में पडी़ बलात्कार पीडिता को चाहिए मृत्यु का अधिकार।
तुमसे कौन बात नहीं करना चाहेगा.. ?
ReplyDeleteमस्त लग रहे हो पोनी में...
हैलो आदि!
ReplyDeleteबहुत शौकीन हो भाई घूमने के!
अरे वाह !
ReplyDeleteघूम आये मेट्रो , हम तो मेट्रो को अभी तक दूर से ही देख रहे है |
बहुत सुंदर बात कही पापा ने , बहुत प्यारे लग रहे हो
ReplyDeleteवाह..तुम्हारी मेट्रो ने छुक छुक की
ReplyDeleteलेकिन हमारी मेट्रो तो बस घूंंंं ही करती है :)